चंडीगढ़: भारतीय महिला टीम की कप्तान रानी रामपाल गुरुवार को विश्व की पहली हाकी खिलाड़ी बन गयी जिन्होंने प्रतिष्ठित ‘वर्ल्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर’ पुरस्कार जीता. ‘द वर्ल्ड गेम्स’ ने विश्व भर के खेल प्रेमियों द्वारा 20 दिन के मतदान के बाद गुरुवार को विजेता की घोषणा की.
रानी को शानदार 199,477 वोटों के साथ वर्ष की खिलाड़ी बनने की दौड़ में स्पष्ट विजय हासिल हुई है. इसमें जनवरी में 20 दिनों में विश्व भर के खेल प्रेमियों ने अपने पसंदीदा खिलाड़ी के लिये मतदान किया। इस दौरान कुल 705,610 मत पड़े.
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Indian women's national hockey team captain, Rani Rampal wins The World Games Athlete of the Year award. (file pic) pic.twitter.com/ggDIioZk25
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गणतंत्र दिवस पर पद्म श्री से हुई सम्मानित
गणतंत्र दिवस के मौके पर भारतीय हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल को पदम श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है.रानी को भीम अवॉर्ड और अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. रानी के पिता रामपाल ने बताया कि पदम श्री अवॉर्ड मिलने पर उनको बहुत खुशी है.
कौन हैं रानी रामपाल ?
बता दें कि रानी घर में सबसे छोटी हैं, रानी के 2 बड़े भाई हैं. एक भाई रेलवे में कार्यरत है तो दूसरा मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का गुजर-बसर करता है. रानी के पिता ने बताया कि दोस्तों को खेलता देख रानी ने हॉकी खेलने की जिद्द की. पिता ने रानी की बात को मान कर उनके सपने को उड़ान दे दी. रानी के पिता ने मेहनत मजदूरी कर, घोड़ा-गाड़ी चला कर अपनी बेटी की हर ख्वाहिश को पूरा किया और वो आज इस मुकाम पर है कि आज देश को उस पर गर्व है.
पिता को आदर्श मानती हैं रानी रामपाल
4 दिसंबर 1994 को कुरुक्षेत्र के शाहाबाद मारकंडा में रामपाल और राममूर्ति के घर जन्मी बिटिया का नाम रानी रखा गया. रानी रामपाल के पिता रामपाल सिंह रेहड़ा चलाते थे. रानी अपने पिता को अपना आदर्श मानती है. रानी रामपाल अपने पिता के नाम को अपने नाम साथ जोड़ती है.
13 साल की उम्र में ही भारतीय टीम में शामिल हुई रानी
परिवार की वित्तीय स्थिति काफी कमजोर थी. गांव की शाहबाद हॉकी अकादमी की लड़कियां भारतीय टीम का हिस्सा थीं, जिस वजह से उसमें भी हॉकी खेलने का शौक जगा और उसने स्टिक उठा ली. रानी सिर्फ 13 साल की उम्र में ही भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल हो गई थी. कोच बलदेव सिंह ने उसमें हॉकी खिलाड़ी के गुण देखे और उसे तराशा.
ऐसे शुरु हुआ रानी रामपाल का सफर
पिछले 11 साल से वो टीम इंडिया का हिस्सा हैं. चौथी क्लास में थी तो उसने ग्राउंड में लड़कियों को हॉकी खेलते देखा और खुद भी हॉकी खेलना शुरू किया. धीरे-धीरे रानी ने हॉकी में नाम कमाया. भारतीय हॉकी टीम की कैप्टन बनी. जैसे-जैसे वह हॉकी में आगे बढ़ी उनके परिवार की स्थिति भी सुधरी. रानी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छोटे से कस्बे शाहबाद, हरियाणा और भारत का नाम रोशन किया है.
डाइट में दूध में पानी मिलाकर पीती थीं रानी
रानी रामपाल की जिंदगी बेहद मुश्किलों भरा रहा. रानी जब अकादमी में प्रैक्टिस के लिए जाती थी तो डाइट में घर से दूध लेकर जाना जरूरी होता था, लेकिन रोजाना दूध लेकर जाना उसके लिए काफी मुश्किल था. इसलिए वो दूध में एक चौथाई पानी मिलाकर ले जाती थी, ताकि उसे अकादमी में प्रैक्टिस से बाहर न कर दिया जाए. ऐसी मुश्किलों को झेलते हुए उसने मौजूदा मुकाम हासिल किया है.
विश्व कप खेलने वाली सबसे कम उम्र की हॉकी खिलाड़ी बनीं
रानी रामपाल 2010 में विश्व कप खेलने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई थीं. उनके लिए अपने सपने को पूरा करने की राह कांटों भरा रहा. रानी का टीम की अनुभवी खिलाड़ियों और कोच ने काफी समर्थन दिया.
ओलंपिक खेलों पर है पूरा ध्यान
अब रानी रामपाल का ध्यान जुलाई 2020 में जापान के टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों में पदक जीतने पर केंद्रित है. अभी वो न्यूजलैंड में है. शुक्रवार को ही मैच के दौरान भारतीय टीम की कप्तान रानी रामपाल के दो गोल की मदद से भारतीय महिला हॉकी टीम ने न्यू जीलैंड डेवलपमेंट टीम पर 4-0 की जीत के साथ ओलिंपिक वर्ष का पहला दौरा शुरू किया.
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