चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान विपक्ष द्वारा पेश किया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया. सरकार को 55 विधायकों का समर्थन मिला वहीं 32 विधायक अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में रहे, लेकिन यहां गौर करने वाली बात ये रही कि किसान आंदोलन को लेकर लगातार सरकार का विरोध करते आ रहे जेजेपी के चार विधायक सदन में सरकार के साथ ही रहे.
जेजेपी के ये विधायक पार्टी से नाराज थे और लगातार सरकार से अलग होने की बात कहते आ रहे थे. अविश्वास प्रस्ताव पेश करने से पहले तक ये विधायक सरकार के खिलाफ थे और कहीं ना कहीं प्रस्ताव के समर्थन में थे, लेकिन जैसे ही बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग शुरू हुई तो इन विधायकों के सुर ही बदल गए और इन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ जाते हुए सरकार का ही साथ दिया.
देवेंद्र बबली (टोहाना)
सबसे पहले बात करतें हैं जेजेपी के टोहाना से विधायक देवेंद्र बबली की जिन्होंने अविश्वास प्रस्ताव से पहले जननायक जनता पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थी. देवेंद्र बबली ने सीधे अपनी पार्टी को कहा था कि हरियाणा सरकार से समर्थन वापस ले लेना चाहिए. हालांकि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान बबली ने सरकार का ही समर्थन किया. वहीं सत्र के दौरान सदन में जेजेपी विधायक देवेंद्र बबली को बोलने का मौका नहीं दिया गया. जिससे बबली नाराज हो गए और उन्होंने कह दिया कि अगर मुझे बोलने का मौका नहीं दिया गया तो मैं इस्तीफा दे दूंगा.
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रामकुमार गौतम (नारनौंद)
हिसार के नारनौंद से जेजेपी विधायक रामकुमार गौतम भी कृषि कानूनों को लेकर पार्टी से नाराज चल रहे हैं. कई बार वो पार्टी लाइन से हटकर भी बयान दे चुके हैं. वहीं मंगलवार को उन्होंने विधानसभा में कृषि कानूनों को टालने की बात कही थी, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग के दौरान रामकुमार गौतम भी सरकार के साथ ही रहे.
रामकरण काला (शाहबाद)
इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर हैं कुरुक्षेत्र के शाहबाद से जेजेपी विधायक रामकरण काला. वो भी कई बार कृषि कानूनों का विरोध कर चुके हैं. उन्होंने बीते दिनों यहां तक कह दिया था कि वो किसानों के कहने पर इस्तीफा भी दे देंगे, लेकिन उन्होंने भी सदन में अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ जाना ही ठीक समझा.
जोगीराम सिहाग (बरवाला)
इनके अलावा बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग भी लगातार बगावती सुर दिखा रहे थे. उन्होंने कहा था कि हरियाणा सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर कानून बनाए. किसानों की फसल MSP पर ही खरीदी जानी चाहिए. अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहला लग रहा था कि जोगीराम सिहाग सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग में उन्होंने सरकार का ही समर्थन किया.
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