चंडीगढ़: हजारों की संख्या में प्रवासी लोग चंडीगढ़ में रहते हैं. जो प्रतिदिन मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं लेकिन लॉकडाउन होने के बाद इन लोगों की मेहनत मजदूरी बंद हो चुकी है. जिस वजह से ये लोग अपना घर नहीं चला पा रहे हैं. साथ ही सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं का लाभ भी इन लोगों तक नहीं पहुंच पाया है. जिस वजह से इनकी हालत काफी खराब है. ऐसे में लोगों के पास सिर्फ एक ही रास्ता बचता है. ये किसी तरह अपने गांव वापस चले जाएं, लेकिन बसे और ट्रेनें बंद होने की वजह से ये लोग अपने गांव भी नहीं जा पा रहे हैं. साथ ही सरकार ने प्रवासियों के पलायन पर भी रोक लगा दी है.
चंडीगढ़ में परेशान प्रवासी मजदूर
ईटीवी भारत की टीम इन लोगों के बीच पहुंची और इनसे बात करने की कोशिश की तो पता चला कि लॉकडाउन के बाद इनकी जिंदगी बदतर हो चुकी है. इनके पास खाने के लिए कुछ नहीं बचा है और ना ही पैसे बचे हैं. इस समय ये लोग किसी भी तरह अपने गांव जाना चाहते हैं. सरकार से उन्हें कोई सहायता नहीं मिली है, ना ही खाने का सामान इनको मिला है. इन लोगों के घर का राशन भी खत्म हो गया है. इन लोगों का कहना है कि अगर सरकार उनको कुछ वाहन मुहैया करा दे जिससे कि ये लोग यहां से निकल सकें.
इन लोगों का कहना है कि हमें अपने से ज्यादा अपने बच्चों की चिंता सता रही है. हमारे पास अपने बच्चों का पेट भरने के लिए भी कुछ नहीं है. बहुत से लोग गांव जाने के लिए पैदल निकल चुके हैं लेकिन जिन लोगों ने पास छोटे-छोटे बच्चे हैं, वे अपने बच्चों को लेकर कहां जाएं. उनके सामने सबसे बड़ी समस्या ये भी है कि अगर वे यहां रहते हैं तब भी उनके बच्चे भूखे रहने को मजबूर होंगे. अगर वे अपने गांव जाएं तो अपने बच्चों को साथ कैसे लेकर जाएं.
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लॉकडाउन के बाद देश में कई जगह प्रवासी लोगों ने शहरों को छोड़कर अपने अपने गांव जाना शुरू कर दिया है. ये प्रवासी लोग ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों से आए हुए हैं. लॉकडाउन के दौरान बसें और ट्रेनें बंद होने की वजह से इन लोगों ने पैदल ही जाना शुरू कर दिया है. हालांकि सरकार ने इन लोगों के जाने पर रोक लगा दी है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में ये लोग लगातार पलायन कर रहे हैं.