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सरकार के लिए बजट में है कौन-कौन सी बड़ी चुनौतियां ? जानिए एक्सपर्ट की राय - हरियाणा बजट 2020

राजनीतिक एक्सपर्ट प्रोफेसर गुरमीत सिंह का कहना है कि इस बार बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को बजट में कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. सरकार को सबसे ज्यादा जरूरत बढ़ते खर्चे और कर्जे पर नियंत्रण लगाना सबसे बड़ी चुनौती है, विस्तार से पढ़ें

major challenges for government of haryana in budget 2020
प्रोफेसर गुरमीत सिंह, राजनीतिक विशेषज्ञ
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Published : Feb 25, 2020, 8:33 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में सुधार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास वित्त विभाग का कार्यभार भी है इसलिए हरियाणा के बजट से कई उम्मीदें जुड़ी हैं जबकि प्रदेश पर लगातार बढ़ रहा कर कई चुनौतियां भी लेकर आएगा. चुनौतियों और अपेक्षाओं के पुर्वानुमान पर राजनीतिक एक्सपर्ट प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने अहम जानकारी साझा की.

हरियाणा के राजनीतिक मामलों के जानकार एवं प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने बताया कि इस बार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने वित्तीय हालत सुधारने समेत बजट में किस तरह की बड़ी और खास चुनौतियां रहने वाली हैं.

सरकार के लिए बजट में है कौन-कौन सी बड़ी चुनौतियां? देखिए रिपोर्ट

घाटे पर लगाम लगाना बड़ी चुनौती !

आर्थिक घाटे के प्रबंधन को विशेष तौर पर सुधारना प्रदेश सरकार के लिए चुनौती रहती है. आर्थिक तौर पर पेंशन कर्मचारियों की सैलरी समेत खर्चों को किस तरह से सही तरीके से प्रबंध किया जाना है और जिन मदों में अतिरिक्त खर्च रहता है उसे कंट्रोल करना भी बड़ी चुनौती सरकार के लिए रहती है.

कर्जे ने बढ़ाई मुश्किलें !

लगातार बढ़ रहा कर्ज भी प्रदेश के लिए काफी मुश्किलों भरा है कर्ज ज्यादा लेने के चलते ब्याज भरना अभी बड़ा चुनौती रहता है. सरकारों पर घोषणाओं और अपेक्षाओं समेत विकास कार्यों को गति देने का अहम दबाव सरकारों पर बनता है. उन्होंने कहा कि कोशिश जरूर रहती हैं कि फालतू खर्चे पर रोक लगाई जाए. राजनैतिक विशेषज्ञ गुरमीत सिंह का कहना है कि सरकार की भविष्य की डिलीवरी इस बात पर तय की जा सकती है कि वो अपने संसाधनों को कैसे इस्तेमाल करते हैं.

'योजनाओं के लिए जारी पैसा खर्च नहीं होता'

अक्सर स्कीमों के लिए जारी होने वाला पैसा खर्च नहीं किया जाता है और अगला बजट आने से ठीक पहले आनन-फानन में खर्चे पूरे करने का प्रयास किया जाता है. ऐसे में बजट के लिए आया पैसा लैप्स हो जाता है इसलिए जो सिद्ध हैं यानी जिन मदों में फालतू खर्चा हो रहा है उन्हें रोकना भी बहुत चुनौती भरा रहता है.

कर्मचारियों को लुभा पाना मुश्किल होगा

सभी वर्गों के साथ-साथ कर्मचारियों को भी हरियाणा सरकार के इस बजट से काफी उम्मीदें रहने वाली हैं. हालांकि बजट से कर्मचारियों के लिए बहुत उम्मीदें नहीं की जा सकती. प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने बताया कि सरकार खर्चे कम करने को लेकर ही पहले पेंशन स्कीम बंद कर चुकी है जो 2004 से बंद है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा बजट: एक्सपर्ट से जानें कैसे राज्य सरकार बनाती है बजट

कर्मचारियों की तरफ से पंजाब के समान वेतनमान की मांग की जा रही है जिसे सरकार पूर्व में ही इंकार कर चुकी है वहीं रिटायरमेंट की आयु न बढ़ाने को लेकर भी सरकार फैसला ले चुकी है. आउटसोर्सिंग के माध्यम से सरकार कर्मचारियों को रखकर खर्चे कम करने का प्रयास कर रही है ताकि तमाम सुविधाएं जो सरकारी कर्मचारियों को देनी पड़ती हैं वह ना देनी पड़े और खर्चे कम किया जा सके.

चंडीगढ़: हरियाणा में सुधार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास वित्त विभाग का कार्यभार भी है इसलिए हरियाणा के बजट से कई उम्मीदें जुड़ी हैं जबकि प्रदेश पर लगातार बढ़ रहा कर कई चुनौतियां भी लेकर आएगा. चुनौतियों और अपेक्षाओं के पुर्वानुमान पर राजनीतिक एक्सपर्ट प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने अहम जानकारी साझा की.

हरियाणा के राजनीतिक मामलों के जानकार एवं प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने बताया कि इस बार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने वित्तीय हालत सुधारने समेत बजट में किस तरह की बड़ी और खास चुनौतियां रहने वाली हैं.

सरकार के लिए बजट में है कौन-कौन सी बड़ी चुनौतियां? देखिए रिपोर्ट

घाटे पर लगाम लगाना बड़ी चुनौती !

आर्थिक घाटे के प्रबंधन को विशेष तौर पर सुधारना प्रदेश सरकार के लिए चुनौती रहती है. आर्थिक तौर पर पेंशन कर्मचारियों की सैलरी समेत खर्चों को किस तरह से सही तरीके से प्रबंध किया जाना है और जिन मदों में अतिरिक्त खर्च रहता है उसे कंट्रोल करना भी बड़ी चुनौती सरकार के लिए रहती है.

कर्जे ने बढ़ाई मुश्किलें !

लगातार बढ़ रहा कर्ज भी प्रदेश के लिए काफी मुश्किलों भरा है कर्ज ज्यादा लेने के चलते ब्याज भरना अभी बड़ा चुनौती रहता है. सरकारों पर घोषणाओं और अपेक्षाओं समेत विकास कार्यों को गति देने का अहम दबाव सरकारों पर बनता है. उन्होंने कहा कि कोशिश जरूर रहती हैं कि फालतू खर्चे पर रोक लगाई जाए. राजनैतिक विशेषज्ञ गुरमीत सिंह का कहना है कि सरकार की भविष्य की डिलीवरी इस बात पर तय की जा सकती है कि वो अपने संसाधनों को कैसे इस्तेमाल करते हैं.

'योजनाओं के लिए जारी पैसा खर्च नहीं होता'

अक्सर स्कीमों के लिए जारी होने वाला पैसा खर्च नहीं किया जाता है और अगला बजट आने से ठीक पहले आनन-फानन में खर्चे पूरे करने का प्रयास किया जाता है. ऐसे में बजट के लिए आया पैसा लैप्स हो जाता है इसलिए जो सिद्ध हैं यानी जिन मदों में फालतू खर्चा हो रहा है उन्हें रोकना भी बहुत चुनौती भरा रहता है.

कर्मचारियों को लुभा पाना मुश्किल होगा

सभी वर्गों के साथ-साथ कर्मचारियों को भी हरियाणा सरकार के इस बजट से काफी उम्मीदें रहने वाली हैं. हालांकि बजट से कर्मचारियों के लिए बहुत उम्मीदें नहीं की जा सकती. प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने बताया कि सरकार खर्चे कम करने को लेकर ही पहले पेंशन स्कीम बंद कर चुकी है जो 2004 से बंद है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा बजट: एक्सपर्ट से जानें कैसे राज्य सरकार बनाती है बजट

कर्मचारियों की तरफ से पंजाब के समान वेतनमान की मांग की जा रही है जिसे सरकार पूर्व में ही इंकार कर चुकी है वहीं रिटायरमेंट की आयु न बढ़ाने को लेकर भी सरकार फैसला ले चुकी है. आउटसोर्सिंग के माध्यम से सरकार कर्मचारियों को रखकर खर्चे कम करने का प्रयास कर रही है ताकि तमाम सुविधाएं जो सरकारी कर्मचारियों को देनी पड़ती हैं वह ना देनी पड़े और खर्चे कम किया जा सके.

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