चंडीगढ़: इसी साल हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. चुनाव में हर राजनीतिक दल पूरी ताकत के साथ उतरने की कोशिश करता है. राजनीतिक दलों ने चुनाव को लेकर अपनी तैयारी शुरू कर दी है. वरीय पार्टी नेताओं की बैठक हो रही है, चुनाव के लिए रणनीतियां बन रही है. किनकी रणनीति, तैयारी कितनी कारगार साबित हुई, इसकी जानकार तो चुनाव परिणाम के बाद ही मिल पाएगीा, लेकिन चुनाव की तैयारी में सभी पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
बीजेपी की चुनावी तैयारी: हरियाणा में अभी बीजेपी के पास सभी 10 लोकसभा सीटें हैं. बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह सभी सीटों पर अपना कब्जा बनाए रखे. इसके लिए पार्टी ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी है. खुद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कमान संभाली है. उन्होंने बीते तीन दिनों में जहां पंचकूला में संगठन के लोगों के साथ बैठक की, वहीं पंचकूला में रोड शो भी किया. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वैजयंत पांडा के साथ कोर कमेटी की बैठक हुई. बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल, प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब और प्रदेशाध्यक्ष नायब सैनी मौजूद रहे.
जेपी नड्डा के लगातार दौरों के क्या हैं मायने: राजनीतिक प्रेक्षक धीरेन्द्र अवस्थी कहते हैं कि बीजेपी ने राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ साथ अपना चुनावी अभियान का आगाज कर दिया है. वे कहते हैं कि पंचकूला में हुए रोड शो के ज्यादा राजनीतिक मायने नहीं है, क्योंकि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का हिमाचल का भी दौरा था तो उन्होंने पंचकूला में भी अपना एक कार्यक्रम कर लिया. लेकिन इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि इस कार्यक्रम के साथ ही हरियाणा में लोकसभा की चुनाव का बीजेपी ने शंखनाद कर दिया. उनका कहना है कि अंबाला लोकसभा सीट से स्वर्गीय रतनलाल कटारिया के देहांत के बाद बीजेपी के लिए एक नया उम्मीदवार तलाशना भी चुनौती है, ऐसे में बीजेपी इस चुनावी क्षेत्र को हल्के में नहीं ले सकती है. वहीं वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल का कहना है कि पंचकूला से चुनावी तैयारी का आगाज कर बीजेपी ने सभी सीटों पर मजबूती के साथ उतरने का भी ऐलान कर दिया है. वे कहते हैं कि बीजेपी किसी भी चुनाव को पूरे दमखम के साथ लड़ती है.
कांग्रेस की जन आक्रोश रैली: कांग्रेस पार्टी में आप के दो प्रमुख नेताओं पूर्व मंत्री निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा के शामिल होने के बाद पार्टी का मनोबल बढ़ा हुआ है. पार्टी को हरियाणा में खासतौर पर जीटी रोड पर इसका फायदा मिलने की उम्मीद है. कांग्रेस पार्टी रविवार को सोनीपत के गांव बरोदा में जन आक्रोश रैली करने जा रही है. रैली को नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ,प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और दीपेंद्र सिंह हुड्डा संबोधित करेंगे.
कांग्रेस की तैयारी पर राजनीतिक प्रेक्षकों की राय: कांग्रेस की तैयारी को लेकर राजनीतिक प्रक्षेक धीरेन्द्र अवस्थी का कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि पूर्व मंत्री निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा के कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी का मनोबल ऊंचा हुआ है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी जो जन आक्रोश रैली सभी विधानसभा क्षेत्र में कर रही है, उसमें भी इसका असर देखने को मिलेगा. वहीं वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि भले ही कांग्रेस विभिन्न दलों से लोगों को पार्टी में शामिल कर रही हो लेकिन अभी भी सबसे बड़ी दिक्कत उनके सामने इंडिया गठबंधन की है. इस गठबंधन में पार्टी आगे कैसे बढ़ती है, इस पर भी कांग्रेस का हरियाणा में प्रभाव निर्भर करता है.
आप की बदलाव यात्रा: आम लोगों से जुड़ने के लिए आम आदमी पार्टी बदलाव यात्रा चला रही है. दो दिग्गज नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी पार्टी नेताओं के हौसले बुलंद हैं. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) और राज्यसभा सांसद डॉ. संदीप पाठक, प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता और वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा लगातार हरियाणा के लोगों के बीच जाकर पार्टी की बदलाव यात्रा को सफल बनाने के लिए अपना दम लगा रहे हैं. पार्टी की ओर से 28 जनवरी को जींद में बदलाव रैली आयोजित की गयी है. इस रैली में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भागवत मान भी भाग लेंगे.
राजनीतिक जानकारों की नजर में आप की तैयारी: राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि आम आदमी पार्टी पंजाब की तरह हरियाणा में असर दिखा पाएगी, ऐसा अभी दिखता नहीं है. इसके पीछे की वजह वह बताते हैं कि हाल ही में दो बड़े चेहरे पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. इसका कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर तो पड़ेगा ही. हालांकि वे यह भी कहते हैं कि फाइनल कॉल वोटर के हाथ में होता है. वह आम आदमी पार्टी को कैसे देखता है इस पर उसका भविष्य निर्भर करता है. वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि जिस तरह की हवा आम आदमी पार्टी की दो दिग्गज नेताओं निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा के छोड़ने से पहले दिख रही थी वैसी शायद अब ना रहे. इसके पीछे उनका तर्क है कि निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा दोनों पार्टी के दिग्गज नेताओं में शामिल थे. उनका पार्टी का साथ छोड़ना कहीं ना कहीं पार्टी के आने वाले दिनों के कार्यक्रमों पर भी असर कर सकता है. हालांकि वे यह भी कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं है, वक्त और हालात कब किस करवट बदले कहना मुश्किल है.