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ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भारी लॉकडाउन, 50 फीसदी से ज्यादा का नुकसान - automobile sector during lockdown chandigarh

लॉकडाउन के दौरान ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को तगड़ा झटका लगा है. ऑटो इंडस्ट्री के डीलर से लेकर कारोबारी तक सभी परेशान हैं और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने ऑटोमोबाइल कारोबारी संजय दहूजा से बातचीत की...

lockdown effect on automobile sector, loss of more than 50%
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Published : Apr 20, 2020, 4:19 PM IST

चंडीगढ़ः कोरोना वायरस के कहर के मद्देनजर देश में लॉक डाउन पार्ट टू जारी है. इसकी वजह से विभिन्न क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं. लोगों की जान बचाने के लिए सरकार ने लॉकडाउन किया है, लेकिन इसने आर्थिक जगत की कमर तोड़ दी है. ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी लॉकडाउन की वजह से भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है और इस सेक्टर से जुड़े कारोबारी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

मार्च महीने में 50 फीसदी से ज्यादा नुकसान

ईटीवी भारत ने गाड़ियों के कारोबार से जुड़े संजय दहूजा से बात की, तो उन्होंने बताया कि

लॉकडाउन के बाद सिर्फ मार्च महीने में ही 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हुआ है. पिछले साल से ही ऑटोमोबाइल सेक्टर के कारोबार में गिरावट थी, लेकिन धीरे-धीरे चीजें सामान्य होने लग गई थी. इसी बीच लॉकडाउन हो जाने से कारोबार पर काफी असर पड़ा है. गाड़ियों का ज्यादातर स्पेयर पार्ट्स चीन में तैयार होते हैं और कोरोना वायरस के दौर में वहां प्रोडक्शन बंद पड़ा है. अगर हमारे देश में ही गाड़ियों के स्पेयर पार्ट बनने शुरू हो जाएं तो इससे काफी फायदा होगा. क्योंकि उसकी कीमत में भी काफी कमी होगी. ऐसे में देश के कारोबारियों को भी इस सेक्टर में आकर इस मौके का फायदा उठाना चाहिए.

कैश फ्लो ना होने से कारोबारी परेशान

कारोबारियों के लिए कर्मचारियों का सिस्टम मैनेज कर पाना मुश्किल हो रहा है. हालांकि इन लोगों ने मार्च के महीने की कर्मचारियों की सैलरी दे दी है. लेकिन इनके कारोबार में जो कैश का फ्लो है, वह बिल्कुल रुक गया है. अब आगे कैसे काम चलेगा, इसको लेकर कारोबारी परेशान है.

ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भारी लॉकडाउन, 50 फीसदी से ज्यादा का नुकसान

सुंजय दहूजा ने बताया कि ऑटोमोबाइल के बिजनेस में वर्किंग कैपिटल से ही सारा काम चलता है. क्योंकि गाड़ियों का स्टॉक रखना पड़ता है और ये लोग बैंक से लोन लेकर चलाते हैं. उनके मुताबिक अभी इनके हितों की रक्षा के लिए कोई भी आगे आकर बात नहीं कर रहा है. हालांकि सरकार ने 3 महीने की ईएमआई में रियायत की बात कही है. लेकिन 3 महीने के बाद पैसा उन्हें देना ही होगा और यह कैसे हो पाएगा यह इन्हें भी समझ नहीं आ रहा है. इंटरेस्ट बढ़ रहा है और कारोबार चल नहीं रहा है.

सरकार से मदद की गुहार

कारोबार में मैन पावर की ज्यादा जरूरत होती है. क्योंकि यह सर्विस सेक्टर है, ऐसे में सरकार की मदद की जरूरत है. ताकि बाद में काम चलाना आसान हो सके. संजय दहूजा का कहना है कि

सरकार को चाहिए कि वह कम से कम हमारे 6 महीने के इंटरेस्ट को माफ करें. गाड़ियों पर जीएसटी कम करें और जिस कर्मचारी की सैलरी वेज एक्ट के अंदर आती है उनको मदद करें. अगर सरकार आगे आकर मदद करेगी तो कारोबार चला पाना आसान होगा.

कारोबार के ट्रैक पर आने में लगेगा वक्त

संजय दहूजा के मुताबिक लॉकडाउन के बाद भी कारोबार ट्रैक पर आने में वक्त लगेगा. लेकिन इस वित्तीय वर्ष में इसके हालात सुधरने की उम्मीद इनको कम ही दिखाई देती है. हालांकि यह मानते हैं कि अगले साल तक इनके कारोबार से जुड़े कारोबारी सामान्य हालात में शायद पहुंच जाएं और धीरे-धीरे इनका बिजनेस भी ट्रैक पर आ जाए.

ये भी पढ़ेंः- लॉकडाउन ने तोड़ी ऑटो इंडस्ट्री की कमर, रोजाना 2300 करोड़ का नुकसान

चंडीगढ़ः कोरोना वायरस के कहर के मद्देनजर देश में लॉक डाउन पार्ट टू जारी है. इसकी वजह से विभिन्न क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं. लोगों की जान बचाने के लिए सरकार ने लॉकडाउन किया है, लेकिन इसने आर्थिक जगत की कमर तोड़ दी है. ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी लॉकडाउन की वजह से भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है और इस सेक्टर से जुड़े कारोबारी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

मार्च महीने में 50 फीसदी से ज्यादा नुकसान

ईटीवी भारत ने गाड़ियों के कारोबार से जुड़े संजय दहूजा से बात की, तो उन्होंने बताया कि

लॉकडाउन के बाद सिर्फ मार्च महीने में ही 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हुआ है. पिछले साल से ही ऑटोमोबाइल सेक्टर के कारोबार में गिरावट थी, लेकिन धीरे-धीरे चीजें सामान्य होने लग गई थी. इसी बीच लॉकडाउन हो जाने से कारोबार पर काफी असर पड़ा है. गाड़ियों का ज्यादातर स्पेयर पार्ट्स चीन में तैयार होते हैं और कोरोना वायरस के दौर में वहां प्रोडक्शन बंद पड़ा है. अगर हमारे देश में ही गाड़ियों के स्पेयर पार्ट बनने शुरू हो जाएं तो इससे काफी फायदा होगा. क्योंकि उसकी कीमत में भी काफी कमी होगी. ऐसे में देश के कारोबारियों को भी इस सेक्टर में आकर इस मौके का फायदा उठाना चाहिए.

कैश फ्लो ना होने से कारोबारी परेशान

कारोबारियों के लिए कर्मचारियों का सिस्टम मैनेज कर पाना मुश्किल हो रहा है. हालांकि इन लोगों ने मार्च के महीने की कर्मचारियों की सैलरी दे दी है. लेकिन इनके कारोबार में जो कैश का फ्लो है, वह बिल्कुल रुक गया है. अब आगे कैसे काम चलेगा, इसको लेकर कारोबारी परेशान है.

ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भारी लॉकडाउन, 50 फीसदी से ज्यादा का नुकसान

सुंजय दहूजा ने बताया कि ऑटोमोबाइल के बिजनेस में वर्किंग कैपिटल से ही सारा काम चलता है. क्योंकि गाड़ियों का स्टॉक रखना पड़ता है और ये लोग बैंक से लोन लेकर चलाते हैं. उनके मुताबिक अभी इनके हितों की रक्षा के लिए कोई भी आगे आकर बात नहीं कर रहा है. हालांकि सरकार ने 3 महीने की ईएमआई में रियायत की बात कही है. लेकिन 3 महीने के बाद पैसा उन्हें देना ही होगा और यह कैसे हो पाएगा यह इन्हें भी समझ नहीं आ रहा है. इंटरेस्ट बढ़ रहा है और कारोबार चल नहीं रहा है.

सरकार से मदद की गुहार

कारोबार में मैन पावर की ज्यादा जरूरत होती है. क्योंकि यह सर्विस सेक्टर है, ऐसे में सरकार की मदद की जरूरत है. ताकि बाद में काम चलाना आसान हो सके. संजय दहूजा का कहना है कि

सरकार को चाहिए कि वह कम से कम हमारे 6 महीने के इंटरेस्ट को माफ करें. गाड़ियों पर जीएसटी कम करें और जिस कर्मचारी की सैलरी वेज एक्ट के अंदर आती है उनको मदद करें. अगर सरकार आगे आकर मदद करेगी तो कारोबार चला पाना आसान होगा.

कारोबार के ट्रैक पर आने में लगेगा वक्त

संजय दहूजा के मुताबिक लॉकडाउन के बाद भी कारोबार ट्रैक पर आने में वक्त लगेगा. लेकिन इस वित्तीय वर्ष में इसके हालात सुधरने की उम्मीद इनको कम ही दिखाई देती है. हालांकि यह मानते हैं कि अगले साल तक इनके कारोबार से जुड़े कारोबारी सामान्य हालात में शायद पहुंच जाएं और धीरे-धीरे इनका बिजनेस भी ट्रैक पर आ जाए.

ये भी पढ़ेंः- लॉकडाउन ने तोड़ी ऑटो इंडस्ट्री की कमर, रोजाना 2300 करोड़ का नुकसान

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