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Karnal Lathi Charge Case: करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

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Published : Sep 25, 2021, 10:22 AM IST

Karnal Lathi Charge Case: किसानों के ऊपर बसताड़ा टोल पर हुए लाठीचार्ज मामले में आज पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई की. ये याचिका करनाल के मनीष लाठर और पांच अन्य लोगों ने दायर की थी.

Karnal lathi charge case
करनाल लाठीचार्ज मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

चंडीगढ़: करनाल में किसानों के सिर फोड़ने के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के आदेश से जुड़ी याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. ये याचिका करनाल के मनीष लाठर और पांच अन्य लोगों ने दायर की थी. याचिका में मांग की गई थी कि पूरे प्रकरण की जांच करने के लिए रिटायर्ड जज को जांच सौंपी जाए. जिसपर हाई कोर्ट ने जवाब दिया कि इस मामले में पहेल ही रिटायर्ड जस्टिस एसएन अग्रवाल को जांच सौंप दी गई है, इसलिए इस याचिका का कोई औचित्य नहीं है.

वहीं पिछली सुनवाई पर हरियाणा सरकार की ओर से करनाल रेंज की आईडी ममता सिंह ने अदालत में हलफनामा दाखिल किया था, उसी पर भी सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई पर हरियाणा सरकार की ओर से करनाल रेंज के आईजी ममता सिंह ने अदालत में दाखिल हलफनामे में कहा था कि करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के इशारे पर बसताड़ा टोल प्लाजा पर लाठीचार्ज कर किसानों के सिर फोड़ने का आरोप निराधार है. एसडीएम घटनास्थल से 13 किलोमीटर दूर करनाल शहर में थे और जिन पुलिसवालों को सिन्हा निर्देश दे रहे थे उनमें से कोई भी बसताडा टोल प्लाजा पर नहीं था.

ममता सिंह ने अदालत को बताया था कि लाठीचार्ज वाले दिन याचिकाकर्ता मनीष कुमार ने पुलिसकर्मी पर किसान ने वार करना चाहा तो उसी चक्कर में असंतुलित होकर खुद ही गिर पड़ा, जिससे उसके सिर पर चोट लगी. जिस पुलिसकर्मी पर उसने कस्सी से वार किया उसी ने उसे प्राथमिक चिकित्सा सहायता दी. ऐसे में यह कहना पुलिस की लाठी से याचिकाकर्ता के सिर पर चोट लगी है वह गलत है.

ये पढ़ें- HPSC HCS Prelims Result 2021: हरियाणा सिविल सर्विसेस प्रीलिम्स का रिजल्ट घोषित

आईजी ने हलफनामे में विरोध प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के अलग-अलग आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि विरोध प्रदर्शन हर किसी का अधिकार है, लेकिन उस विरोध प्रदर्शन से आम लोगों को नुकसान नहीं होना चाहिए, सड़के नहीं रोकनी चाहिए. जबकि कई महीनों से सड़कें अवरुद्ध है. उन्होंने कहा कि ये सीधे-सीधे सर्वोच्च अदालत के आदेश का उल्लंघन है. सड़क बंद करने वाले यह भी नहीं देख रहे कि इसकी वजह से कितने लोग अपने परिवार के साथ हाईवे पर फंस गए और उन्हें इतनी परेशानी का सामना करना पड़ा.

करनाल के मनीष लाठर सहित पांच लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की कि करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सेना ने प्रदर्शनकारियों के सिर फोड़ने के आदेश पुलिस को दिए. यह आदेश सीधे तौर पर किसानों के संवैधानिक और मौलिक अधिकारों का हनन है. एसडीएम के आदेश के बाद ही किसानों पर लाठीचार्ज किया गया, जिसमें कई किसानों को गंभीर चोटें आई.

याचिका में अपील की गई थी कि इस प्रकरण के दोषी एसडीएम आयुष सिन्हा, करनाल के डीएसपी बरिंदर सैनी और इंस्पेक्टर हरजिंदर सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट के किसी रिटायर्ड जज से जांच करवाकर इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. जिसमें हरियाणा सरकार ने रिटायर्ड जस्टिस एसएन अग्रवाल को जांच सौंप कर उसकी मांग पूरी कर दी.

ये पढे़ं- UPSC ने सिविल सेवा परीक्षा 2020 का परिणाम घोषित किया, शुभम कुमार ने किया टॉप

चंडीगढ़: करनाल में किसानों के सिर फोड़ने के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के आदेश से जुड़ी याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. ये याचिका करनाल के मनीष लाठर और पांच अन्य लोगों ने दायर की थी. याचिका में मांग की गई थी कि पूरे प्रकरण की जांच करने के लिए रिटायर्ड जज को जांच सौंपी जाए. जिसपर हाई कोर्ट ने जवाब दिया कि इस मामले में पहेल ही रिटायर्ड जस्टिस एसएन अग्रवाल को जांच सौंप दी गई है, इसलिए इस याचिका का कोई औचित्य नहीं है.

वहीं पिछली सुनवाई पर हरियाणा सरकार की ओर से करनाल रेंज की आईडी ममता सिंह ने अदालत में हलफनामा दाखिल किया था, उसी पर भी सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई पर हरियाणा सरकार की ओर से करनाल रेंज के आईजी ममता सिंह ने अदालत में दाखिल हलफनामे में कहा था कि करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के इशारे पर बसताड़ा टोल प्लाजा पर लाठीचार्ज कर किसानों के सिर फोड़ने का आरोप निराधार है. एसडीएम घटनास्थल से 13 किलोमीटर दूर करनाल शहर में थे और जिन पुलिसवालों को सिन्हा निर्देश दे रहे थे उनमें से कोई भी बसताडा टोल प्लाजा पर नहीं था.

ममता सिंह ने अदालत को बताया था कि लाठीचार्ज वाले दिन याचिकाकर्ता मनीष कुमार ने पुलिसकर्मी पर किसान ने वार करना चाहा तो उसी चक्कर में असंतुलित होकर खुद ही गिर पड़ा, जिससे उसके सिर पर चोट लगी. जिस पुलिसकर्मी पर उसने कस्सी से वार किया उसी ने उसे प्राथमिक चिकित्सा सहायता दी. ऐसे में यह कहना पुलिस की लाठी से याचिकाकर्ता के सिर पर चोट लगी है वह गलत है.

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आईजी ने हलफनामे में विरोध प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के अलग-अलग आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि विरोध प्रदर्शन हर किसी का अधिकार है, लेकिन उस विरोध प्रदर्शन से आम लोगों को नुकसान नहीं होना चाहिए, सड़के नहीं रोकनी चाहिए. जबकि कई महीनों से सड़कें अवरुद्ध है. उन्होंने कहा कि ये सीधे-सीधे सर्वोच्च अदालत के आदेश का उल्लंघन है. सड़क बंद करने वाले यह भी नहीं देख रहे कि इसकी वजह से कितने लोग अपने परिवार के साथ हाईवे पर फंस गए और उन्हें इतनी परेशानी का सामना करना पड़ा.

करनाल के मनीष लाठर सहित पांच लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की कि करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सेना ने प्रदर्शनकारियों के सिर फोड़ने के आदेश पुलिस को दिए. यह आदेश सीधे तौर पर किसानों के संवैधानिक और मौलिक अधिकारों का हनन है. एसडीएम के आदेश के बाद ही किसानों पर लाठीचार्ज किया गया, जिसमें कई किसानों को गंभीर चोटें आई.

याचिका में अपील की गई थी कि इस प्रकरण के दोषी एसडीएम आयुष सिन्हा, करनाल के डीएसपी बरिंदर सैनी और इंस्पेक्टर हरजिंदर सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट के किसी रिटायर्ड जज से जांच करवाकर इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. जिसमें हरियाणा सरकार ने रिटायर्ड जस्टिस एसएन अग्रवाल को जांच सौंप कर उसकी मांग पूरी कर दी.

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