चंडीगढ़: सुखना कैचमेंट एरिया में बने गांव कांसल में बने घरों को तोड़ने के आदेश के बाद ईटीवी भारत की टीम ने गांव पूर्व सरपंच समेत अन्य कई लोगों बात की. लोगों ने इस दौरान कहा कि कोर्ट ने जो आदेश दिया है वो गलत है. लोगों का कहना है कि
सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से सुखना कैचमेंट का जो नक्शा बनाया गया था. वो 90 के दशक में बनाया गया था. उस समय नक्शे को बनाने के लिए उतनी उन्नत तकनीक नहीं थी, जिसके आधार पर सही नक्शा बनाया जा सके. ये गांव सुखना कैचमेंट एरिया में नहीं आता है. ये गांव सुखना कैचमेंट एरिया से काफी दूर है. यहां से बारिश का पानी बहकर सुखना तक जा ही नहीं सकता.
लोगों के तर्क
- यहां बने सभी घर मास्टर प्लान के तहत आते हैं.
- सभी घरों के नक्श पास हैं.
- कोई भी घर अवैध रूप से नहीं बनाया गया.
- सरकारी मंजूरी के बाद बने हैं सभी घर.
- केस में सर्वे ऑफ इंडिया को पार्टी बनाए कोर्ट
- नए सिरे से बने कैचमेंट एरिया का नक्शा
- पूरे इलाके की भौगोलिक स्थिति साफ करे सर्वे ऑफ इंडिया
- सुखना के अस्तित्व में कांसल गांव का कोई हस्तक्षेप नहीं है.
- कांसल गांव से नहीं आती सुखना झील में जाने वाले पानी में रुकावट
कोर्ट का आदेश
- पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट ने सुखना कैचमेंट एरिया में आने वाले गांव कांसल को पूरी तरह से तोड़ने का आदेश दिया है.
- कोर्ट ने गांव कांसल में बने सभी घरों को तोड़ने के निर्देश दिए हैं.
- कोर्ट ने कहा ये घर सुखना कैचमेंट एरिया में बनाए गए हैं.
- सुखना कैचमेंट एरिया में निर्माण कार्य होने से बारिश का पानी सुखना झील तक नहीं पहुंच रहा.
गांव के लोगों का कहना है कि कैचमेंट एरिया के नक्शे में पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट की इमारत, रॉक गार्डन, विधानसभा लेक क्लब आदि कई अन्य जगह भी आती हैं लेकिन हाइकोर्ट ने उन इमारतों के खिलाफ तो कोई आदेश नहीं सुनाया जबकि कांसल गांव के खिलाफ सुना दिया. जिसका सुखना लेक से कोई लेना-देना नहीं है.
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