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सभी न्यायिक अधिकारी 'माय लॉर्ड' या 'लॉर्डशिप' कहकर संबोधित ना करें- जस्टिस अरुण त्यागी

जस्टिस अरुण कुमार त्यागी ने अपनी कोर्ट में सुनवाईयों के दौरान बनाई गई सूची में एक नोट में ये स्पष्ट किया है कि वो चाहते हैं कि वकील न्यायाधीशों को संबोधित करने की पुरातन व्यवस्था को बदलें.

Justice Arun Tyagi High court Chandigarh
Justice Arun Tyagi High court Chandigarh
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Published : Mar 4, 2021, 9:15 PM IST

चंडीगढ़: जस्टिस अरुण त्यागी ने कहा है कि सभी न्यायिक अधिकारी उन्हें 'माय लॉर्ड' या 'लॉर्डशिप' कहकर संबोधित ना करें. इसकी जगह 'सर' कहकर संबोधित करें. इसके लिए उन्होंने एक लेटर जारी किया है.

जस्टिस अरुण कुमार त्यागी ने अपनी कोर्ट में सुनवाईयों के दौरान बनाई गई सूची में एक नोट में ये स्पष्ट किया है कि वो चाहते हैं कि वकील न्यायाधीशों को संबोधित करने की पुरातन व्यवस्था को बदलें. नोट में कहा गया है कि ये पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सम्मानित सदस्यों से अपील की जाती है कि उनकी कोर्ट में जब भी उन्हें संबोधित किया जाए तो उन्हें 'माय लॉर्ड' या 'योर लॉर्डशिप' कहकर संबोधित करने से बचें.

कुछ वकीलों द्वारा यह तर्क दिया जाता है कि माई लॉर्ड निवेदन करने का तरीका है. इससे पहले भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने साल 2014 में कहा था कि माय लॉर्ड या योर लॉर्डशिप कहना कोई जरूरी नहीं है, लेकिन जब भी न्यायाधीश को संबोधित करें तो समानता पूर्व शब्दों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें- रेवाड़ी में विवादित जमीन पर लगाए गए खंबे और बिछाई पाइप गई लाइन, HC ने जारी किया नोटिस

2011 पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा एक रेगुलेशन पास कर कहा गया था कि किसी भी जज को सर कहकर ही संबोधित किया जाएगा और जो इस रेजोल्यूशन को नहीं मानेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी.

चंडीगढ़: जस्टिस अरुण त्यागी ने कहा है कि सभी न्यायिक अधिकारी उन्हें 'माय लॉर्ड' या 'लॉर्डशिप' कहकर संबोधित ना करें. इसकी जगह 'सर' कहकर संबोधित करें. इसके लिए उन्होंने एक लेटर जारी किया है.

जस्टिस अरुण कुमार त्यागी ने अपनी कोर्ट में सुनवाईयों के दौरान बनाई गई सूची में एक नोट में ये स्पष्ट किया है कि वो चाहते हैं कि वकील न्यायाधीशों को संबोधित करने की पुरातन व्यवस्था को बदलें. नोट में कहा गया है कि ये पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सम्मानित सदस्यों से अपील की जाती है कि उनकी कोर्ट में जब भी उन्हें संबोधित किया जाए तो उन्हें 'माय लॉर्ड' या 'योर लॉर्डशिप' कहकर संबोधित करने से बचें.

कुछ वकीलों द्वारा यह तर्क दिया जाता है कि माई लॉर्ड निवेदन करने का तरीका है. इससे पहले भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने साल 2014 में कहा था कि माय लॉर्ड या योर लॉर्डशिप कहना कोई जरूरी नहीं है, लेकिन जब भी न्यायाधीश को संबोधित करें तो समानता पूर्व शब्दों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

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2011 पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा एक रेगुलेशन पास कर कहा गया था कि किसी भी जज को सर कहकर ही संबोधित किया जाएगा और जो इस रेजोल्यूशन को नहीं मानेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी.

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