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हरियाणा के कृषि मंत्री ने कहा- दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब की पराली जिम्मेदार, हरियाणा कम हुए जलाने के मामले

दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण (Pollution in Delhi) की वजह से राजधानी में मिनी लॉकडउन की स्थिति बन गई है. इस मुद्दे पर विपक्षी दल दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को लगातार घेर रहे हैं. इसके साथ ही पंजाब में जलती पराली की वजह से पंजाब सरकार भी निशाने पर आ गई है. चंडीगढ़ में हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने भी पराली जलाने के मामले पर पंजाब और आम आदमी पार्टी की सरकार पर हमला किया.

पराली जलाने के मामले पर जेपी दलाल का बयान
पराली जलाने के मामले पर जेपी दलाल का बयान
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Published : Nov 4, 2022, 4:56 PM IST

चंडीगढ़: दिल्ली में भयंकर प्रदूषण के मुद्दे पर हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल (JP Dalal Statement on Delhi pollution) ने दिल्ली सरकार पर हमला बोला. जेपी दलाल ने कहा कि दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के हालात बहुत गंभीर हैं और हर जगह इसी पर चर्चा हो रही है. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली के हालात खराब होने की वजह से विश्व स्तर पर भी देश की छवि को नुकसान होता है. दीपावली के बाद से ही दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है.

पंजाब में हरियाणा से 10 गुना जली पराली- जेपी दलाल ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री और मंत्री हरियाणा में जलती पराली (Stubble burning Cases in Haryana) को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं लेकिन वह यह देखना भूल जाते हैं कि पंजाब में हरियाणा से 10 गुना ज्यादा पराली जल रही है. हरियाणा में 2022 में 2377 मामले तो पंजाब में 24 हजार 146 मामले सामने आए हैं. कृषि मंत्री ने कहा कि हम जीरो बर्निंग की तरफ जा रहे हैं. हम चाहते है कि अगले सीजन तक एक भी मामला पराली जलाने का ना हो.

हरियाणा में पराली जलाने के मामले- मीडिया से बात करते हुए हरियाणा के कृषि मंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार पराली के मुद्दे पर बेहतर तरीके से काम कर रही है और किसानों को भी इसके लिए लगातार जागरूक कर रही है, जिसकी वजह से हरियाणा में पराली जलाने के मामले में भारी कमी देखने को मिल रही है. आंकड़ों की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हरियाणा में साल 2016 में 1568, 2017 में 13085, 2018 में 9225, 2019 में 6364, 2020 में 4202 और 2021 में 6987 मामले सामने आए हैं. जबकि इस साल अभी तक 2300 मामले ही सामने आये हैं. दूसरी ओर पंजाब में स्थिति बहुत ही गंभीर है. पंजाब में इस साल अभी तक 24 हजार से अधिक मामले पराली जलाने के आ चुके हैं.

ये भी पढ़ें- पराली जलाने के मामले पंजाब में सबसे ज्यादा, पाकिस्तान की पराली भी भारत में प्रदूषण के लिए हो सकती है जिम्मेदार

जेपी दलाल ने कहा- पराली के मुद्दे पर हरियाणा सरकार इस साल भी 8 हजार मशीनरी दे रहे है. जो लोग आग नहीं लगाते उन्हें 1000 रुपये प्रति एकड़ अनुदान दिया जाता है. इसके अलावा इंडियन ऑयल ने बायो डीजल प्लांट लगाया है जो इस साल तक शुरू हो जाएगा. गेंहू और धान की तरह पराली की खरीद कर उद्योगों को मुहैया करवाएंगे. हरियाणा में पिछले साल के मुकाबले 30 प्रतिशत मामले कम हुए हैं. इसके बाद भी हरियाणा पर दोषारोपण करने का काम किया जा रहा है. दिल्ली में हालात खराब किए हैं. दिल्ली के स्कूल बंद कर दो. ऑड इवन लागू कर दो. किसी दिन कहेंगे कि दिल्ली खाली कर दो. केजरीवाल की आदत है, दोषारोपण करके माफी मांगते हैं.

पराली पर हरियाणा सरकार का एक्शन:

  1. हरियाणा ने पराली के मामले में वर्ष 2022 में अब तक पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 31 प्रतिशत की कमी दर्ज की है. इस वर्ष 3 नवम्बर 2022 तक 1601 चालान करते हुए 37. 85 लाख रुपये का जुर्माना वसूला है. फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी पर अनुदान दिया जा रहा है. वर्ष 2018 से 2021 तक 72 हजार 777 मशीनें 584 करोड़ रुपये अनुदान पर दी गई हैं, जिसमें 1261 बेलर सम्मिलित हैं. वर्ष 2022 में 7146 मशीनों पर 100 करोड़ अनुदान दिया गया, जिसमें 600 बेलर सम्मिलित हैं.
  2. 1000/रु प्रति एकड़ की दर से 2021 में 25 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि किसानों को दी गई. इण्डियन ऑयल के 2 जी इथनॉल प्लांट में पराली की पहुंच सुनिश्चित करने हेतु 2000/-रु प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. इस संयंत्र में वार्षिक 2 लाख टन पराली की खपत की जा रही है.
  3. धान की पराली की खपत करने पर गोशालाओं को अधिकतम 15 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. मेरा पानी मेरी विरासत स्कीम में फसल विविधीकरण हेतु धान से अन्य फसलों को परिवर्तित करने पर 7 हजार रु प्रति एकड़ का अनुदान 2020 में 44.77 करोड़ और 2021 में 30.96 करोड़ रुपये किसानों को दिए गए.
  4. वर्ष 2021 में 4 लाख टन फसल अवशेषों का उद्योगों में प्रयोग किया गया. इस वर्ष 2022 में 13 लाख टन फसल अवशेषों की इथेनॉल सी०बी०जी० कार्ड बोर्ड एवम बायोमास प्लांटों द्वारा संभावित खपत है. इस वर्ष जीरो फसल अवशेष घटनाएं दर्ज करने वाली पंचायतों को इनाम राशि दी गई है. पिछले वर्ष रेड (Red) जोन में थीं उनको एक लाख और येलो (Yellow) जोन वाली पंचायत को पचास हजार राशि दी गई. हरियाणा में पंचायत भूमि पर धान की पराली की बेलों की भंडारण की व्यवस्था की गई है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में पराली जलाने के मामले हुए कम, पंजाब में हरियाणा से 5 गुना ज्यादा

चंडीगढ़: दिल्ली में भयंकर प्रदूषण के मुद्दे पर हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल (JP Dalal Statement on Delhi pollution) ने दिल्ली सरकार पर हमला बोला. जेपी दलाल ने कहा कि दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के हालात बहुत गंभीर हैं और हर जगह इसी पर चर्चा हो रही है. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली के हालात खराब होने की वजह से विश्व स्तर पर भी देश की छवि को नुकसान होता है. दीपावली के बाद से ही दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है.

पंजाब में हरियाणा से 10 गुना जली पराली- जेपी दलाल ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री और मंत्री हरियाणा में जलती पराली (Stubble burning Cases in Haryana) को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं लेकिन वह यह देखना भूल जाते हैं कि पंजाब में हरियाणा से 10 गुना ज्यादा पराली जल रही है. हरियाणा में 2022 में 2377 मामले तो पंजाब में 24 हजार 146 मामले सामने आए हैं. कृषि मंत्री ने कहा कि हम जीरो बर्निंग की तरफ जा रहे हैं. हम चाहते है कि अगले सीजन तक एक भी मामला पराली जलाने का ना हो.

हरियाणा में पराली जलाने के मामले- मीडिया से बात करते हुए हरियाणा के कृषि मंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार पराली के मुद्दे पर बेहतर तरीके से काम कर रही है और किसानों को भी इसके लिए लगातार जागरूक कर रही है, जिसकी वजह से हरियाणा में पराली जलाने के मामले में भारी कमी देखने को मिल रही है. आंकड़ों की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हरियाणा में साल 2016 में 1568, 2017 में 13085, 2018 में 9225, 2019 में 6364, 2020 में 4202 और 2021 में 6987 मामले सामने आए हैं. जबकि इस साल अभी तक 2300 मामले ही सामने आये हैं. दूसरी ओर पंजाब में स्थिति बहुत ही गंभीर है. पंजाब में इस साल अभी तक 24 हजार से अधिक मामले पराली जलाने के आ चुके हैं.

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जेपी दलाल ने कहा- पराली के मुद्दे पर हरियाणा सरकार इस साल भी 8 हजार मशीनरी दे रहे है. जो लोग आग नहीं लगाते उन्हें 1000 रुपये प्रति एकड़ अनुदान दिया जाता है. इसके अलावा इंडियन ऑयल ने बायो डीजल प्लांट लगाया है जो इस साल तक शुरू हो जाएगा. गेंहू और धान की तरह पराली की खरीद कर उद्योगों को मुहैया करवाएंगे. हरियाणा में पिछले साल के मुकाबले 30 प्रतिशत मामले कम हुए हैं. इसके बाद भी हरियाणा पर दोषारोपण करने का काम किया जा रहा है. दिल्ली में हालात खराब किए हैं. दिल्ली के स्कूल बंद कर दो. ऑड इवन लागू कर दो. किसी दिन कहेंगे कि दिल्ली खाली कर दो. केजरीवाल की आदत है, दोषारोपण करके माफी मांगते हैं.

पराली पर हरियाणा सरकार का एक्शन:

  1. हरियाणा ने पराली के मामले में वर्ष 2022 में अब तक पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 31 प्रतिशत की कमी दर्ज की है. इस वर्ष 3 नवम्बर 2022 तक 1601 चालान करते हुए 37. 85 लाख रुपये का जुर्माना वसूला है. फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी पर अनुदान दिया जा रहा है. वर्ष 2018 से 2021 तक 72 हजार 777 मशीनें 584 करोड़ रुपये अनुदान पर दी गई हैं, जिसमें 1261 बेलर सम्मिलित हैं. वर्ष 2022 में 7146 मशीनों पर 100 करोड़ अनुदान दिया गया, जिसमें 600 बेलर सम्मिलित हैं.
  2. 1000/रु प्रति एकड़ की दर से 2021 में 25 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि किसानों को दी गई. इण्डियन ऑयल के 2 जी इथनॉल प्लांट में पराली की पहुंच सुनिश्चित करने हेतु 2000/-रु प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. इस संयंत्र में वार्षिक 2 लाख टन पराली की खपत की जा रही है.
  3. धान की पराली की खपत करने पर गोशालाओं को अधिकतम 15 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. मेरा पानी मेरी विरासत स्कीम में फसल विविधीकरण हेतु धान से अन्य फसलों को परिवर्तित करने पर 7 हजार रु प्रति एकड़ का अनुदान 2020 में 44.77 करोड़ और 2021 में 30.96 करोड़ रुपये किसानों को दिए गए.
  4. वर्ष 2021 में 4 लाख टन फसल अवशेषों का उद्योगों में प्रयोग किया गया. इस वर्ष 2022 में 13 लाख टन फसल अवशेषों की इथेनॉल सी०बी०जी० कार्ड बोर्ड एवम बायोमास प्लांटों द्वारा संभावित खपत है. इस वर्ष जीरो फसल अवशेष घटनाएं दर्ज करने वाली पंचायतों को इनाम राशि दी गई है. पिछले वर्ष रेड (Red) जोन में थीं उनको एक लाख और येलो (Yellow) जोन वाली पंचायत को पचास हजार राशि दी गई. हरियाणा में पंचायत भूमि पर धान की पराली की बेलों की भंडारण की व्यवस्था की गई है.

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