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Tolerance Day 2023: क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस? जानें इस दिन का इतिहास और उद्देश्य

International Tolerance Day 2023: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 1996 में अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस की घोषणा की थी. तब से हर साल 16 नवंबर को इंटरनेशनल टॉलरेंस डे मनाया जाता है. जानें इस दिन का महत्व और उद्देश्य.

International Tolerance Day 2023
International Tolerance Day 2023
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 15, 2023, 7:13 PM IST

Updated : Nov 21, 2023, 1:57 PM IST

अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस

चंडीगढ़: हर साल 16 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस मनाया जाता है. ताकि समाज में सहिष्णुता को बढ़ावा दिया जा सके. अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस का मकसद दुनिया में हिंसा की भावना और नकारात्मकता को खत्म कर अहिंसा को बढ़ावा देना है. आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 1996 में अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस की घोषणा की थी. तब से हर साल 16 नवंबर को इंटरनेशनल टॉलरेंस डे मनाया जाता है.

क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस? महात्मा गांधी के जन्म की 125वीं वर्षगांठ पर 16 नवंबर को संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस घोषित किया था. ये दिन शांति, अहिंसा और समानता को दर्शाता है. यूनेस्को का मानना था कि हर साल हमारी संस्कृति की समृद्ध विविधता और अभिव्यक्ति के रूपों को सम्मान और सराहना करने का एक दिन होना चाहिए. जिसके चलते 16 नवंबर को इंटरनेशनल टॉलरेंस डे के तौर पर मनाया जाने लगा. दुनिया भर में टॉलरेंस को बढ़ावा देने के लिए कई सामाजिक संस्थाएं काम कर रहीं हैं. ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिए शिक्षा व प्रसार करते हुए. इस क्षेत्र में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

क्या है टॉलरेंस डे का महत्व? टॉलरेंस यानी सहिष्णुता दिवस दुनिया भर के लोगों को सहिष्णुता के प्रति जागरूक होने के लिए प्रेरित करता है. इस दिन कई प्रकार के आयोजन किए जाते हैं. स्कूलों में भी बच्चों को न्याय, सहिष्णुता, नैतिकता जैसी मूलभूत जानकारियां दी जाती हैं. इस दिन लोगों को मानवाधिकारों के प्रति जागरूक किया जाता है. कुछ संस्थाओं द्वारा ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें मानवाधिकारों के साथ सहिष्णुता पर चर्चा की जाती है.

इस पूरे मुद्दे पर चंडीगढ़ पीजीआई के साइकैटरिस्ट डॉक्टर राहुल चक्रवर्ती ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की. डॉक्टर राहुल ने बताया कि इस दिन का महत्व अलग-अलग संस्कृति से संबंध रखने वाले लोगों को उनके रीति रिवाज के मुताबिक समाज में जगह देना और उनके साथ सामान्य व्यवहार करना है. अगर एक दूसरे की संस्कृति व रीति रिवाज को नहीं समझा जाएगा, तो ये एक संयुक्त समाज के लिए बड़ी समस्या बन सकता है.

सोशल मीडिया का असर: डॉक्टर राहुल ने बताया कि आज के समय में इंटरनेट का इस्तेमाल हर कोई कर रहा है. जिसके चलते कोई भी नासमझ अपने हिसाब से उसका इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन वो ये भूल जाते हैं कि इसका असर आम लोगों पर क्या पड़ने वाला है. वहीं दूसरी और लोग अपने पसंद के हिसाब से इंटरनेट में दिखाई जाने वाली चीजों को पसंद करते हैं. जिससे इंटरनेट भी उन्हें उससे संबंधित फीड यानी संबंधित पोस्ट दिखने लग जाता. जिसका फायदा पॉलिटिशियन और विरोधी संस्थाएं लेती हैं.

डॉक्टर राहुल ने बताया कि चंडीगढ़ पीजीआई में आने वाले मरीजों को इसकी गाइडेंस दी जाती है. अक्सर देखा जाता है कि पीजीआई में आने वाले मरीज कामकाज से परेशान होकर नशे की लत लगा लेते हैं. एसएमएस साइकैटरिस्ट विभाग की तरफ से उन्हें सबसे पहले खुद पर संयम रखने की राय दी जाती है. वहीं दूसरी राय उन्हें समय और हालात के मुताबिक अपने आप में बदलाव करने को लेकर दी जाती है.

ये भी पढ़ें- COPD DAY : अपने फेफड़ों को लेकर रहें जागरूक, आज है विश्व सीओपीडी दिवस

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अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस

चंडीगढ़: हर साल 16 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस मनाया जाता है. ताकि समाज में सहिष्णुता को बढ़ावा दिया जा सके. अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस का मकसद दुनिया में हिंसा की भावना और नकारात्मकता को खत्म कर अहिंसा को बढ़ावा देना है. आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 1996 में अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस की घोषणा की थी. तब से हर साल 16 नवंबर को इंटरनेशनल टॉलरेंस डे मनाया जाता है.

क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस? महात्मा गांधी के जन्म की 125वीं वर्षगांठ पर 16 नवंबर को संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस घोषित किया था. ये दिन शांति, अहिंसा और समानता को दर्शाता है. यूनेस्को का मानना था कि हर साल हमारी संस्कृति की समृद्ध विविधता और अभिव्यक्ति के रूपों को सम्मान और सराहना करने का एक दिन होना चाहिए. जिसके चलते 16 नवंबर को इंटरनेशनल टॉलरेंस डे के तौर पर मनाया जाने लगा. दुनिया भर में टॉलरेंस को बढ़ावा देने के लिए कई सामाजिक संस्थाएं काम कर रहीं हैं. ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिए शिक्षा व प्रसार करते हुए. इस क्षेत्र में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

क्या है टॉलरेंस डे का महत्व? टॉलरेंस यानी सहिष्णुता दिवस दुनिया भर के लोगों को सहिष्णुता के प्रति जागरूक होने के लिए प्रेरित करता है. इस दिन कई प्रकार के आयोजन किए जाते हैं. स्कूलों में भी बच्चों को न्याय, सहिष्णुता, नैतिकता जैसी मूलभूत जानकारियां दी जाती हैं. इस दिन लोगों को मानवाधिकारों के प्रति जागरूक किया जाता है. कुछ संस्थाओं द्वारा ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें मानवाधिकारों के साथ सहिष्णुता पर चर्चा की जाती है.

इस पूरे मुद्दे पर चंडीगढ़ पीजीआई के साइकैटरिस्ट डॉक्टर राहुल चक्रवर्ती ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की. डॉक्टर राहुल ने बताया कि इस दिन का महत्व अलग-अलग संस्कृति से संबंध रखने वाले लोगों को उनके रीति रिवाज के मुताबिक समाज में जगह देना और उनके साथ सामान्य व्यवहार करना है. अगर एक दूसरे की संस्कृति व रीति रिवाज को नहीं समझा जाएगा, तो ये एक संयुक्त समाज के लिए बड़ी समस्या बन सकता है.

सोशल मीडिया का असर: डॉक्टर राहुल ने बताया कि आज के समय में इंटरनेट का इस्तेमाल हर कोई कर रहा है. जिसके चलते कोई भी नासमझ अपने हिसाब से उसका इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन वो ये भूल जाते हैं कि इसका असर आम लोगों पर क्या पड़ने वाला है. वहीं दूसरी और लोग अपने पसंद के हिसाब से इंटरनेट में दिखाई जाने वाली चीजों को पसंद करते हैं. जिससे इंटरनेट भी उन्हें उससे संबंधित फीड यानी संबंधित पोस्ट दिखने लग जाता. जिसका फायदा पॉलिटिशियन और विरोधी संस्थाएं लेती हैं.

डॉक्टर राहुल ने बताया कि चंडीगढ़ पीजीआई में आने वाले मरीजों को इसकी गाइडेंस दी जाती है. अक्सर देखा जाता है कि पीजीआई में आने वाले मरीज कामकाज से परेशान होकर नशे की लत लगा लेते हैं. एसएमएस साइकैटरिस्ट विभाग की तरफ से उन्हें सबसे पहले खुद पर संयम रखने की राय दी जाती है. वहीं दूसरी राय उन्हें समय और हालात के मुताबिक अपने आप में बदलाव करने को लेकर दी जाती है.

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Last Updated : Nov 21, 2023, 1:57 PM IST
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