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वजन कम करने के लिए शुरू की थी बॉक्सिंग, बन गई इंटरनेशनल बॉक्सर - चंडीगढ़ महिला बॉक्सर नंदिनी सूद न्यूज

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याती प्राप्त करने वाली बॉक्सर नंदिनी कभी वकिल बनना चाहती थी. मोटापा कम करने के लिए उन्होंने बॉक्सिंग ज्वाइन की थी, लेकिन अब पूरी दुनिया उन्हें एक प्रोफेशनल बॉक्सर के रूप में जानती है. चंडीगढ़ में ईटीवी भारत ने इस चैंपियन से मुलाकात की. देखिए रिपोर्ट-

international boxer nandini sood shares his Boxing career stories in Chandigarh
बॉक्सर नंदिनी सूद चंडीगढ़
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Published : Mar 5, 2021, 2:28 PM IST

चंडीगढ़: कभी कभी अपनी जिंदगी के रास्ते हम तय नहीं करते, बल्कि जिंदगी हमारे लिए कर देती है. कुछ ऐसा ही उदाहरण चंडीगढ़ के एक बॉक्सिंग रिंग में देखने को मिला. दरअसल हम बात कर रहे हैं अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर नंदिनी सूद के बारे में. नंदिनी कभी वकील बनना चाहती थी, लेकिन आज वे भारतीय बॉक्सिंग में जाना माना नाम हैं. नंदिनी चार साल के बॉक्सिंग करियर में कई अंतरराष्ट्रीय पदक अपने नाम कर चुकी हैं.

अपने बॉक्सिंग करियर के बारे में बात करते हुए नंदिनी बताती हैं कि बाहरवीं क्लास तक उन्होंने कभी यह नहीं सोचा था कि वे खेलों में जाएंगी. साल 2016 में वे सेंट स्टीफन स्कूल में 12वीं क्लास में पढ़ रही थी. उनका वजन काफी ज्यादा था. जिस पर उनके एक टीचर ने उन्हें वजन कम करने के लिए बॉक्सिंग करने की सलाह दी और उसके बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई.

वजन कम करने के लिए शुरू की थी बॉक्सिंग, बन गई इंटरनेशनल बॉक्सर

बॉक्सिंग के साथ पढ़ाई भी कर रही है नंदिनी

नंदिनी बताती हैं कि वे बॉक्सिंग के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी कर रही हैं और रेलवे में नौकरी भी कर रही हैं. नौकरी के साथ-साथ फुल टाइम प्रैक्टिस करना संभव नहीं होता. इसके लिए रेलवे उनकी भरपूर सहायता कर रहा है. ताकि उनकी प्रैक्टिस मे कमी ना आए.

ये भी पढ़ें: हरियाणा के 'ऑल्ड बॉय' ने फिर बनाया रिकॉर्ड, मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जीते 3 मेडल

अपने बेटी का हमने हमेशा बढ़ाया है हौसला: नंदिनी की मां

इस आधुनिक युग में भी हमारे समाज में लड़के और लड़कियों में भेद किया जाता है. लड़कियों को लड़कों के मुकाबले कमतर समझा जाता है. इस बारे में हमने नंदिनी की मां से बात-चीत की. जिसपर उनका कहना है कि उन्होंने नंदिनी को कभी रोका ही नहीं. बल्कि उसका हमेशा प्रोत्साहन बढ़ाया है.

ये भी पढ़ें: करनाल: जयवीर मक्कड़ ने नेशनल हॉर्स राइडिंग प्रतियोगिता में जीते 3 गोल्ड मेडल

ओलंपिक में गोल्ड लाना चाहती है नंदिनी

अगर किसी चीज को हम शिद्दत से चाहें. तो पूरी कायनात हमें उससे मिलाने में जुट जाती है. हिंदी फिल्म का ये डायलॉग नंदनी पर सटीक बैठता है. खूब पढ़ाई-लिखाई कर सरकारी नौकरी की चाह रखने वाली नंदिनी को बॉक्सिंग ने ना सिर्फ नाम और शोहरत दिया. बल्कि आज बल्कि उन्हें रेलवे में सरकारी नौकरी भी दिलवाई है. वो आज भी बॉक्सिंग ग्लव्ज के साथ घंटों प्रैक्टिस करती हैं और देश के लिए गोल्ड लाना चाहती हैं.

ये भी पढ़ें: कभी परिजनों से छिपकर करती थी प्रेक्टिस, अब वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर रचा इतिहास

चंडीगढ़: कभी कभी अपनी जिंदगी के रास्ते हम तय नहीं करते, बल्कि जिंदगी हमारे लिए कर देती है. कुछ ऐसा ही उदाहरण चंडीगढ़ के एक बॉक्सिंग रिंग में देखने को मिला. दरअसल हम बात कर रहे हैं अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर नंदिनी सूद के बारे में. नंदिनी कभी वकील बनना चाहती थी, लेकिन आज वे भारतीय बॉक्सिंग में जाना माना नाम हैं. नंदिनी चार साल के बॉक्सिंग करियर में कई अंतरराष्ट्रीय पदक अपने नाम कर चुकी हैं.

अपने बॉक्सिंग करियर के बारे में बात करते हुए नंदिनी बताती हैं कि बाहरवीं क्लास तक उन्होंने कभी यह नहीं सोचा था कि वे खेलों में जाएंगी. साल 2016 में वे सेंट स्टीफन स्कूल में 12वीं क्लास में पढ़ रही थी. उनका वजन काफी ज्यादा था. जिस पर उनके एक टीचर ने उन्हें वजन कम करने के लिए बॉक्सिंग करने की सलाह दी और उसके बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई.

वजन कम करने के लिए शुरू की थी बॉक्सिंग, बन गई इंटरनेशनल बॉक्सर

बॉक्सिंग के साथ पढ़ाई भी कर रही है नंदिनी

नंदिनी बताती हैं कि वे बॉक्सिंग के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी कर रही हैं और रेलवे में नौकरी भी कर रही हैं. नौकरी के साथ-साथ फुल टाइम प्रैक्टिस करना संभव नहीं होता. इसके लिए रेलवे उनकी भरपूर सहायता कर रहा है. ताकि उनकी प्रैक्टिस मे कमी ना आए.

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अपने बेटी का हमने हमेशा बढ़ाया है हौसला: नंदिनी की मां

इस आधुनिक युग में भी हमारे समाज में लड़के और लड़कियों में भेद किया जाता है. लड़कियों को लड़कों के मुकाबले कमतर समझा जाता है. इस बारे में हमने नंदिनी की मां से बात-चीत की. जिसपर उनका कहना है कि उन्होंने नंदिनी को कभी रोका ही नहीं. बल्कि उसका हमेशा प्रोत्साहन बढ़ाया है.

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ओलंपिक में गोल्ड लाना चाहती है नंदिनी

अगर किसी चीज को हम शिद्दत से चाहें. तो पूरी कायनात हमें उससे मिलाने में जुट जाती है. हिंदी फिल्म का ये डायलॉग नंदनी पर सटीक बैठता है. खूब पढ़ाई-लिखाई कर सरकारी नौकरी की चाह रखने वाली नंदिनी को बॉक्सिंग ने ना सिर्फ नाम और शोहरत दिया. बल्कि आज बल्कि उन्हें रेलवे में सरकारी नौकरी भी दिलवाई है. वो आज भी बॉक्सिंग ग्लव्ज के साथ घंटों प्रैक्टिस करती हैं और देश के लिए गोल्ड लाना चाहती हैं.

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