सोनीपत: हरियाणा में लॉकडाउन के दौरान हुए शराब घोटाले के मामले ने तूल पकड़ लिया है. खरखौदा गोदाम से जिस तरह शराब गायब हुई वो कहानी एकदम फिल्मी है. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्रारा जब्त की गई शराब रखी गई थी. लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गयाब हो गईं. जाहिर है बिना पुलिसकर्मियों और आबकारी विभाग की मिलीभगत के ये संभव नहीं है. कमाल ये है कि जिस गोदाम में ये शराब पुलिस ने जब्त करके रखी थी उसके मालिक पर पहले से ही अंतर राज्यीय शराब तस्करी के कई आरोप हैं. ये सारे खुलासे चार दिन तक तीन डीएसपी के नेतृत्व में खरखौदा गोदाम की जांच करने के बाद हुआ है.
प्रदेश में शराब तस्करी की इस अनोखे मामले के सामने आने के बाद अब पुलिस हरकत में आ गई है. इस मामले में दो दिन के अंदर दो मामले दर्ज हुए. पहला शराब गोदाम के मालिक पर. और उसके अलावा तीन अन्य लोगों पर. यानि कुल चार लोगों को नामजद किया गया है. वहीं दूसरे मामले में दो एसएचओ अरुण कुमार और सुखबीर सिंह समेत पांच पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज हुआ है. दोनों एसएचओ को लाइन हाजिर कर दिया गया है.
कहां और कैसे हुई तस्करी?
सोनीपत के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा के मुताबिक, खरखौदा में बाईपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.
पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा. जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात हैं.
'पूरी योजना बना कर निकाली गई थी शराब'
विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि शराब माफिया ने पुलिस से सांठ-गांठ कर पूरा गुणा-भाग लगा कर गोदाम से शराब निकाली है. लॉकडाउन के दौरान शराब की मांग बढ़ी तो शराब माफिया ने पुलिस कर्मचारियों को झांसे में लिया. शराब गिनती में पकड़े जाने की बात उठी, तो माफिया ने तर्क दिया कि अब 6 सौ की बोतल 22 सौ में बिक रही है. लॉकडाउन खुलने के बाद 6 सौ रुपये की बोतल खरीद कर वापस गोदाम में रखवा दी जाएगी. जिससे कभी भी यह खेल उजागर नहीं होगा.
कैसे हुआ खुलासा?
डीएसपी हरेंद्र कुमार, डॉ. रविंद्र कुमार और जितेंद्र सिंह की देखरेख में 4 दिन तक शराब की गिनती की गई. पुलिस को सील की गयी गई शराब में से 5500 पेटियां गायब मिली. इनको ताले तोड़कर, सील हटाकर और दीवार उखाड़ कर निकाला गया था. सील की गई शराब गायब होने पर खरखौदा थाने में एसएचओ रहे अरुण कुमार और जसबीर सिंह समेत 5 पर मुकदमा दर्ज हुआ.
एसपी जश्नदीप के मुताबिक खरखौदा गोदाम में जहां सील की गई शराब की पेटियां रखी गई थीं. वहां तीन और कमरे थे. वहां शराब की 411 पेटियां रखी गई थीं. इसके साथ ही बाहर एक ट्रक था जिसमें प्याज की बोरियों के नीचे 950 शराब की पेटियां छिपाई गई थीं. हैरान करने वाली बात थी कि ये कुल 1400 पेटियां पुलिस ने वहां सील नहीं की थीं. ये शराब बाहर से कहीं से लाई गई थी. इससे इस बात का भी खुलासा हुआ कि यहां सिर्फ सील की गई शराब की तस्करी नहीं हो रही थी, जबकि बाहर से शराब लाकर लॉक डाउन के दौरान बेची जा रही थी.
2 साल के सभी SHO पर नजर
पुलिस ने इस मामले का पता चलते ही सबसे पहले शक के घेरे में आए भूपेंद्र सिंह और उसके साथियों के खिलाफ केस दर्ज किया. दो दिन बाद जांच में जब सामने आया तो पुलिस के अपने विभाग के दो एसएचओ के खिलाफ भी केस दर्ज किया है. अब इस मामले में पुलिस विभाग ने गंभीरता दिखानी शुरू कर दी है. पुलिस ने पिछले दो साल की अवधि में खरखौदा थाना में रहे थाना प्रभारियों को भी जांच के दायरे में लिया है. इस मामले में आधा दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
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