चंडीगढ़: महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जब से कानून सख्त हुआ है तब से रेप की झूठी शिकायतों के मामले भी बढ़ने लगी है. आए दिन देश की विभिन्न अदालतों में कई झूठे मुकदमें दाखिल किए जाते हैं. अदालती बार-बार ऐसे मामलों पर सख्त नजर आती है और कहती है कि मानवता और दया के चलते बलात्कारियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाती है, लेकिन आजकल महिलाएं इसका गलत फायदा उठाने लगी है.
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देश के वरिष्ठ अदालत सुप्रीम कोर्ट कह चुकी है कि अगर एक यवक और युवती की रजामंदी के बाद उनके बीच शारीरिक संबंध बनता है और फिर कुछ समय बाद यदि बलात्कार के आरोप लगाए जाते हैं तो वो बलात्कार नहीं होता.
दिल्ली महिला आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर बलात्कार के मामलों से 50% झूठे होते हैं. बलात्कार के कुल 25 फीसदी मामले ऐसे होते हैं जिनमें आरोप था कि पुरूष से शादी करने के नाम पर महिला से यौन संबंध बनाए और फिर बाद में शादी नहीं की.
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ऐसे मामलों को लेकर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकील शौकीन वर्मा ने बताया कि बलात्कार की झूठी रिपोर्टिंग के कई कारण हैं. एक तो किसी से बदला लेने के लिए उसके खिलाफ बलात्कार की झूठी रिपोर्ट करना अब आम बात होती जा रही है.
उन्होंने कहा कि दूसरा कारण ये है कि कई बार आर्थिक फायदा उठाने के लिए बलात्कार की झूठी रिपोर्ट की जाती है. लड़कियां द्वारा अपने प्रेम संबंधों का खुलासा होने पर अक्सर ही खुद को बचाने के लिए प्रेमी पर बलात्कार का आरोप लगाया जाता है, क्योंकि भारतीय परिवारों में लड़की द्वारा अपने प्रेमी से यौन संबंध बनाने को अभी भी बलात्कार से ज्यादा कलंकित करने वाला काम माना जाता है.
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उन्होंने कहा कि तीसरा कारण ये भी है कि हनीट्रैप के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में लड़कियां पैसे ऐंठने के चलते झूठे रेप के केस रजिस्टर करती है और उसके बाद उनके ऊपर कॉम्प्रोमाइज करने का दबाव डालती है.
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वकील शौकीन वर्मा का कहना है कि जिन लड़कों को बलात्कार के झूठे आरोप में फंसाया जाता हैं उनका पूरा जीवन तबाह हो जाता है, क्योंकि बलात्कार के केस के कारण उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा खराब होती है और साथ ही कोर्ट की लंबी कार्रवाई उनके करियर को तभा कर देती है. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में कई लोगों की नौकरियां भी चली जाती है. उन्होंने कहा कि यदि इन चीजों को रोकना है तो पुलिस को संवेदनशील होना पड़ेगा और रेप के मामलों में पूरी पड़ताल करने के बाद ही कार्रवाई करनी चाहिए.