पंचकूला: हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन (HPSC) के डिप्टी सेक्रेटरी आरोपी अनिल नागर, अश्वनी और नवीन को कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. स्टेट विजिलेंस ने मंगलवार को इन सभी आरोपियों को पंचकूला की जिला अदालत में पेश किया. विजिलेंस ने कोर्ट से इन तीनों आरोपियों की और रिमांड की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी अर्जी नामंजूर कर दी. इन सभी पर एचपीएससी डेंटल सर्जन भर्ती फर्जीवाड़े (HPSC Recruitment Scam) का आरोप है.
इस केस में अब तक स्टेट विजिलेंस 3 करोड़ 60 लाख रुपये रिकवर कर चुकी है. विजिलेंस द्वारा अपनी जांच में कई दस्तावेज, लेपटॉप, सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल चैट की जांच कर रही है. स्टेट विजिलेंस द्वारा इन सभी आरोपियों की पेशी के दौरान पंचकूला जिला कोर्ट से तीन दिन का रिमांड मांगा गया, लेकिन कोर्ट द्वारा तीनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. वहीं बचाव पक्ष के वकील विशाल गर्ग ने कहा कि स्टेट विजिलेंस ने कोर्ट से मामले के तीनों आरोपियों की रिमांड मांगी थी. उन्होंने कोर्ट के सामने दलील दी कि रोहतक ओर सोनीपत जाकर इस मामले में और रिकवरी व जांच करनी है. हालांकि कोर्ट ने उनकी इस मांग को अनसुना कर दिया.
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उन्होंने बताया कि इस मामले में कोर्ट ने हमारी यानी बचाव पक्ष की दलील को मंजूर कर लिया. बचाव पक्ष की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने तीनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा दिया. उन्होंने बताया कि अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने सही तरीके से रिप्लाई न दिए जाने पर विजिलेंस को फटकार लगाते हुए कहा कि अगली बार पूरी तैयारी के साथ कोर्ट में आए.
गौरतलब है कि विजिलेंस ब्यूरो ने HPSC की ओर से ली जाने वाली डेंटल सर्जन भर्ती की परीक्षा के दौरान ओएमआर शीट खाली छोड़ने वालों का चयन करने का खुलासा किया था. 17 नवंबर को भिवानी निवासी नवीन पंचकूला में 20 लाख रुपये लेते पकड़ा गया था. वहीं से इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ.
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इसके बाद विजिलेंस ब्यूरो ने HPSC के डिप्टी सेक्रेटरी अनिल नागर (HPSC deputy secretary arrested) के असिस्टेंट अश्विनी के झज्जर स्थित घर में रेड मारकर एक करोड़ आठ लाख रुपये बरामद किए. तब अश्विनी ने ही खुलासा किया कि इसमें से 90 लाख रुपये अनिल नागर के हैं. इसके बाद विजिलेंस के कहने पर अश्विनी HPSC हैडक्वार्टर में बैठने वाले वर्ष 2016 बैच के एचसीएस अधिकारी अनिल नागर को उनके दफ्तर में 90 लाख रुपए देने पहुंचा. जैसे ही अनिल नागर ने कैश लिया, विजिलेंस ने उसे पकड़ लिया.
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