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एनीमिया से जंग में सबसे आगे हरियाणा, कोरोना काल में ऐसे बना नंबर वन

एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत हरियाणा को देश के 29 राज्यों की सूची में पहला स्थान मिला है. हरियाणा देश के 29 राज्यों में एनीमिया मुक्त भारत सूचकांक में सबसे ऊपर है. हरियाणा के लिए ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि इसलिए भी है, क्योंकि कोरोना काल के दौरान हरियाणा ने शीर्ष स्थान हासिल किया है.

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एनीमिया से जंग में सबसे आगे हरियाणा, कोरोना काल में ऐसे बना नंबर वन
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Published : Nov 17, 2020, 7:25 PM IST

चंडीगढ़: 'देसां मै देस हरियाणा, जित्त दूध दही का खाना', हरियाणा के लिए प्रचलित इस लोकोक्ति को एक बार फिर यहां के लोगों ने सच साबित करके दिखाया है और पूरे देश में पहला स्थान हासिल किया है. आप सोच रहे होंगे हरियाणा को किस बात में पहला स्थान मिला है ? तो बता दें कि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत हरियाणा को देश के 29 राज्यों की सूची में पहला स्थान मिला है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से इस संबंध में स्कोर कार्ड जारी किया गया है. जिसके मुताबिक हरियाणा को 46.7 अंकों के साथ एनीमिया मुक्त भारत की लिस्ट में सबसे शीर्ष पर रखा गया है. बता दें कि इससे पहले 2019-20 में हरियाणा इस लिस्ट में 12वें स्थान पर था, लेकिन एक लंबी छलांग मारते हुए हरियाणा ने ये पहला स्थान हासिल किया है.

हरियाणा के लिए ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि इसलिए भी है, क्योंकि कोरोना काल के दौरान हरियाणा ने शीर्ष स्थान हासिल किया है. वो कोरोना काल जिस दौर में सभी सेवाएं बंद थी. यहां तक की स्वास्थ्य सेवाएं भी कोरोना की वजह से प्रभावित थी, लेकिन कोरोना काल में हरियाणा सरकार की ओर से कई तरह के खास कदम उठाए गए. जिसके बारे में भी आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि आखिर एनिमिया है क्या और किस तरह से ये जानलेवा होता है

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क्या होता है एनीमिया और क्या है इसके लक्षण?

हरियाणा सरकार ने एनिमिया मुक्त भारत अभियान को लॉन्च किया और उसके बाद हरियाणा ने इस कार्यक्रम को केंद्र सरकार के कार्यक्रम के साथ जोड़ दिया. केंद्र सरकार की तरफ से इसको लेकर स्कोर कार्ड भी जारी किया जाने लगा. 29 राज्यों में हरियाणा पहले 2017-18 में 22 वें स्थान पर था, 2019-20 में हरियाणा 10 वें स्थान पर आ गया.

इसके बाद में केंद्र सरकार की तरफ से इस कार्यक्रम को गति देने के लिए 2020-21 का मासिक स्कोर कार्ड जारी करना शुरू किया गया. इसके तहत अप्रैल में हरियाणा मासिक रेटिंग में 12वें स्थान पर था, लेकिन मई में हरियाणा नंबर 1 पर आ गया. इसके बाद जून, जुलाई और अगस्त में भी हरियाणा इस रेटिंग में नंबर 1 पर रहा.

एनीमिया से जंग में सबसे आगे हरियाणा, कोरोना काल में ऐसे बना नंबर वन

हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों के बारे में जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत हरियाणा ने हरियाणा के डिप्टी डायरेक्टर इम्यूनाइजेशन वीरेंद्र अहलावत से बात की. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने अलग अलग वर्ग के हिसाब से लोगों को टारगेट किया और उन्हें फिर उस वर्ग के हिसाब से दवाई दी गई.

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हरियाणा स्वास्थ्य विभाग ने बनाए अलग-अलग वर्ग

वीरेंद्र अहलावत ने कहा कि तीसरे वर्ग की महिलाएं काफी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ऐसी महिलाएं बच्चों को जन्म देंगी. कभी भी गर्भवती हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि अगर एनीमिया स्टेटस अच्छा होगा तो ऐसी महिलाओं के पेट मे कीड़े नही होंगे, खून की समस्या नहीं होगी और स्वस्थ बच्चे को जन्म देंगी.

हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के प्रयास

BCC यानी बिहेवियर चेंज कम्युनिकेशन: इस कार्यक्रम के तहत लोगों के बिहेवियर(व्यवहार) को बदलने की कोशिश की गई. लोगों को जानकारी दी गई कि आयरन युक्त फल क्यों खाने चाहिए. इसके महत्व को समझाया गया.

T-3 स्ट्रेटजी: इस कार्यक्रम के तहत टेस्ट, ट्रीट और टॉक पर ध्यान दिया गया. सबसे पहले मरीज का टेस्ट किया गया. जिसके बाद उसका ट्रीटमेंट(इलाज) किया गया और आखिर में मरीज से टॉक(बात) की गई कि वो अपना सही से ध्यान रख रहा है या नहीं?

फूड डाइवर्सिफिकेशन: इस कार्यक्रम के तहत लोगों को आयरन युक्त खाने के बारे में बताया जाता है. बताया गया कि दाल और चावल से ज्यादा क्यों बाजरा और चना जैसे आयरन युक्त खाने की तरफ बढ़ना चाहिए.

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सरकार द्वारा उठाए गए कदम

चंडीगढ़: 'देसां मै देस हरियाणा, जित्त दूध दही का खाना', हरियाणा के लिए प्रचलित इस लोकोक्ति को एक बार फिर यहां के लोगों ने सच साबित करके दिखाया है और पूरे देश में पहला स्थान हासिल किया है. आप सोच रहे होंगे हरियाणा को किस बात में पहला स्थान मिला है ? तो बता दें कि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत हरियाणा को देश के 29 राज्यों की सूची में पहला स्थान मिला है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से इस संबंध में स्कोर कार्ड जारी किया गया है. जिसके मुताबिक हरियाणा को 46.7 अंकों के साथ एनीमिया मुक्त भारत की लिस्ट में सबसे शीर्ष पर रखा गया है. बता दें कि इससे पहले 2019-20 में हरियाणा इस लिस्ट में 12वें स्थान पर था, लेकिन एक लंबी छलांग मारते हुए हरियाणा ने ये पहला स्थान हासिल किया है.

हरियाणा के लिए ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि इसलिए भी है, क्योंकि कोरोना काल के दौरान हरियाणा ने शीर्ष स्थान हासिल किया है. वो कोरोना काल जिस दौर में सभी सेवाएं बंद थी. यहां तक की स्वास्थ्य सेवाएं भी कोरोना की वजह से प्रभावित थी, लेकिन कोरोना काल में हरियाणा सरकार की ओर से कई तरह के खास कदम उठाए गए. जिसके बारे में भी आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि आखिर एनिमिया है क्या और किस तरह से ये जानलेवा होता है

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क्या होता है एनीमिया और क्या है इसके लक्षण?

हरियाणा सरकार ने एनिमिया मुक्त भारत अभियान को लॉन्च किया और उसके बाद हरियाणा ने इस कार्यक्रम को केंद्र सरकार के कार्यक्रम के साथ जोड़ दिया. केंद्र सरकार की तरफ से इसको लेकर स्कोर कार्ड भी जारी किया जाने लगा. 29 राज्यों में हरियाणा पहले 2017-18 में 22 वें स्थान पर था, 2019-20 में हरियाणा 10 वें स्थान पर आ गया.

इसके बाद में केंद्र सरकार की तरफ से इस कार्यक्रम को गति देने के लिए 2020-21 का मासिक स्कोर कार्ड जारी करना शुरू किया गया. इसके तहत अप्रैल में हरियाणा मासिक रेटिंग में 12वें स्थान पर था, लेकिन मई में हरियाणा नंबर 1 पर आ गया. इसके बाद जून, जुलाई और अगस्त में भी हरियाणा इस रेटिंग में नंबर 1 पर रहा.

एनीमिया से जंग में सबसे आगे हरियाणा, कोरोना काल में ऐसे बना नंबर वन

हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों के बारे में जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत हरियाणा ने हरियाणा के डिप्टी डायरेक्टर इम्यूनाइजेशन वीरेंद्र अहलावत से बात की. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने अलग अलग वर्ग के हिसाब से लोगों को टारगेट किया और उन्हें फिर उस वर्ग के हिसाब से दवाई दी गई.

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हरियाणा स्वास्थ्य विभाग ने बनाए अलग-अलग वर्ग

वीरेंद्र अहलावत ने कहा कि तीसरे वर्ग की महिलाएं काफी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ऐसी महिलाएं बच्चों को जन्म देंगी. कभी भी गर्भवती हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि अगर एनीमिया स्टेटस अच्छा होगा तो ऐसी महिलाओं के पेट मे कीड़े नही होंगे, खून की समस्या नहीं होगी और स्वस्थ बच्चे को जन्म देंगी.

हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के प्रयास

BCC यानी बिहेवियर चेंज कम्युनिकेशन: इस कार्यक्रम के तहत लोगों के बिहेवियर(व्यवहार) को बदलने की कोशिश की गई. लोगों को जानकारी दी गई कि आयरन युक्त फल क्यों खाने चाहिए. इसके महत्व को समझाया गया.

T-3 स्ट्रेटजी: इस कार्यक्रम के तहत टेस्ट, ट्रीट और टॉक पर ध्यान दिया गया. सबसे पहले मरीज का टेस्ट किया गया. जिसके बाद उसका ट्रीटमेंट(इलाज) किया गया और आखिर में मरीज से टॉक(बात) की गई कि वो अपना सही से ध्यान रख रहा है या नहीं?

फूड डाइवर्सिफिकेशन: इस कार्यक्रम के तहत लोगों को आयरन युक्त खाने के बारे में बताया जाता है. बताया गया कि दाल और चावल से ज्यादा क्यों बाजरा और चना जैसे आयरन युक्त खाने की तरफ बढ़ना चाहिए.

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सरकार द्वारा उठाए गए कदम
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