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सुप्रीम कोर्ट का फैसला: चंडीगढ़ में घरों को अपार्टमेंट में बदलने पर रोक, 1 से 30 सेक्टर हेरिटेज जोन घोषित

सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ में 1 से 30 सेक्टर को (heritage zone in Chandigarh) हेरिटेज जोन घोषित किया है. इन क्षेत्रों में आवासीय घरों को अपार्टमेंट में नहीं बदला जा सकेगा. कोर्ट ने कहा है कि सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच एक उचित संतुलन बनाना जरूरी है.

Supreme Court decision heritage zone in Chandigarh
चंडीगढ़ में घरों को अपार्टमेंट में बदलने पर रोक
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Published : Jan 11, 2023, 3:29 PM IST

चंडीगढ़: शहर में मकानों को तोड़कर अपार्टमेंट में बदलने को लेकर (houses convert into apartments ban in Chandigarh) सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court decision) ने चंडीगढ़ के 1 से 30 सेक्टर तक को हेरिटेज जोन घोषित किया है. रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और अन्य की याचिका पर कोर्ट ने यह फैसला दिया है. अब इन क्षेत्रों में आवासीय घरों को तोड़कर वहां अपार्टमेंट नहीं बनाए जा सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में फेज-1 में बनी सभी इमारतों को हेरिटेज जोन में घोषित किया है. फेज-1 में बने अपार्टमेंट को अवैध घोषित किया गया है. इन क्षेत्रों में जो अपार्टमेंट में बने हुए हैं, उन्हें आगे और किसी को नहीं बेच सकते है. ऐसे में अब जो एमओयू होंगे वे अवैध होंगे.

जानकारी के अनुसार 2016 में सेक्टर 10 की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. सरीन मेमोरियल लीगल फाउंडेशन ने भी इसका समर्थन किया था. इसमें कहा गया था कि चंडीगढ़ में अपार्टमेंट के बनने से न सिर्फ शहर की मूल छवि खराब होगी, बल्कि शहर की सड़कों पर भी जाम बढ़ेगा. क्योंकि एक ही इंडिपेंडेंट घर में कई परिवार आकर रहने लगेंगे. हालांकि हाईकोर्ट ने मामले में सीमित राहत ही प्रदान की थी.

Supreme Court decision heritage zone in Chandigarh
सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ में 1 से 30 सेक्टर को हेरिटेज जोन घोषित किया.

ऐसे में हाई‌कोर्ट की ओर से कोई फैसला ‌न लिए जाने के बाद आरडब्ल्यू को सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी थी. हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान इस्टेट ऑफिस को एक सर्वे करने को कहा था. जिसमें पाया गया था कि कई परिवार इस तरह मकान की हिस्सेदारी करते हुए रह रहे हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि रोक के बावजूद आवासीय भूखंडों को तीन मंजिला अपार्टमेंट में बदलने का काम जारी है. लोगों ने कोठियों को तोड़कर उन्हें फ्लोर के हिसाब से बनाया और फिर उन्हें फ्लोर वाइज हिस्से के हिसाब से बेच दिया है.

पढ़ें: चंडीगढ़ में 3 हजार बच्चे मिले कुपोषित, प्रशासन ने डाइट प्लान तैयार करने के दिए निर्देश

फ्लोर वाइज में ग्राउंड फ्लोर बेसमेंट को 50 फीसदी, पहली मंजिल 30 फीसदी और दूसरी मंजिल को 20 फीसदी हिस्से के तौर पर बेचा जा रहा है. इसको लेकर शहरवासियों ने प्रशासन से आपत्ति भी जताई थी, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि ली कार्बूजियर ने चंडीगढ़ मास्टर प्लान को ध्यान में रखते हुए शहर को डिजाइन किया था. जिसमें हर यूनिट को धूप और खुले स्थानों में पेड़ पौधों से भरपूर स्थान दिया गया था.

अगर शहर में अपार्टमेंट और बनाए जाएंगे, तो शहर की आबादी बढ़ते बढ़ते शहर की खूबसूरती को बिगाड़ देगी. अपार्टमेंट का प्रावधान हुआ तो एक यूनिट के हिस्से को तीन यूनिटों में बैठना पड़ेगा. चंडीगढ़ शहर को एक नियोजित शहर के तौर पर दुनिया के नक्शे पर माना जाता है. जिसे वास्तविक काल और शहरी डिजाइन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिली ‌है. ऐसे में अपार्टमेंट के तौर पर सुविधाओं को बांटने से पहले इसके पर्यावरण प्रभाव का आंकलन किया जाना जरूरी है. (Supreme Court decision heritage zone in Chandigarh)

पढ़ें: चंडीगढ़ सेक्टर 16 अस्पताल में एक साल बाद एमआरआई सुविधा शुरू

सुप्रीम कोर्ट ने अपने 131 पन्नों के फैसले में कहा कि इस मामले में कोर्ट को कुछ आवश्यक निर्देश देने पड़ेंगे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि चंडीगढ़ में तीन लेवल में बनने वाले अपार्टमेंट के मुद्दे को पहले हेरिटेज कमेटी द्वारा निरीक्षण किया जा सके ताकि 'कार्बूजियन चंडीगढ़' के हेरिटज स्टेटस का संरक्षण हो सके. इसके साथ ही चंडीगढ़ प्रशासन को मास्टर प्लान-2031 और 2017 के नियम में संशोधन के लिए कदम उठाने को कहा गया है.

पढ़ें: चंडीगढ़ में बीजेपी जेजेपी और निर्दलीय विधायकों की बैठक, पंचायत चुनाव के बाद विकास कार्यों को लेकर मंथन

चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा इन प्रावधानों में संशोधन के बाद इसे केंद्र सरकार के समक्ष विचार और अंतिम फैसले के लिए रखा जाए. इस मामले से जुड़े महत्त्वपूर्ण मुद्दे सिर्फ चंडीगढ़ प्रशासन के विवेकाधीन तक ही नहीं छोड़े जा सकते. इसके साथ ही सेक्टर 1 से लेकर 30 सेक्टर तक बनी सभी इमारतें हेरिटेज जोन में शामिल है. अदालत ने शहरी विकास की अनुमति देने से पहले पर्यावरण प्रभाव का आंकलन करने के लिए आवश्यक प्रावधान को लागू करने का आग्रह किया है.

चंडीगढ़: शहर में मकानों को तोड़कर अपार्टमेंट में बदलने को लेकर (houses convert into apartments ban in Chandigarh) सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court decision) ने चंडीगढ़ के 1 से 30 सेक्टर तक को हेरिटेज जोन घोषित किया है. रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और अन्य की याचिका पर कोर्ट ने यह फैसला दिया है. अब इन क्षेत्रों में आवासीय घरों को तोड़कर वहां अपार्टमेंट नहीं बनाए जा सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में फेज-1 में बनी सभी इमारतों को हेरिटेज जोन में घोषित किया है. फेज-1 में बने अपार्टमेंट को अवैध घोषित किया गया है. इन क्षेत्रों में जो अपार्टमेंट में बने हुए हैं, उन्हें आगे और किसी को नहीं बेच सकते है. ऐसे में अब जो एमओयू होंगे वे अवैध होंगे.

जानकारी के अनुसार 2016 में सेक्टर 10 की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. सरीन मेमोरियल लीगल फाउंडेशन ने भी इसका समर्थन किया था. इसमें कहा गया था कि चंडीगढ़ में अपार्टमेंट के बनने से न सिर्फ शहर की मूल छवि खराब होगी, बल्कि शहर की सड़कों पर भी जाम बढ़ेगा. क्योंकि एक ही इंडिपेंडेंट घर में कई परिवार आकर रहने लगेंगे. हालांकि हाईकोर्ट ने मामले में सीमित राहत ही प्रदान की थी.

Supreme Court decision heritage zone in Chandigarh
सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ में 1 से 30 सेक्टर को हेरिटेज जोन घोषित किया.

ऐसे में हाई‌कोर्ट की ओर से कोई फैसला ‌न लिए जाने के बाद आरडब्ल्यू को सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी थी. हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान इस्टेट ऑफिस को एक सर्वे करने को कहा था. जिसमें पाया गया था कि कई परिवार इस तरह मकान की हिस्सेदारी करते हुए रह रहे हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि रोक के बावजूद आवासीय भूखंडों को तीन मंजिला अपार्टमेंट में बदलने का काम जारी है. लोगों ने कोठियों को तोड़कर उन्हें फ्लोर के हिसाब से बनाया और फिर उन्हें फ्लोर वाइज हिस्से के हिसाब से बेच दिया है.

पढ़ें: चंडीगढ़ में 3 हजार बच्चे मिले कुपोषित, प्रशासन ने डाइट प्लान तैयार करने के दिए निर्देश

फ्लोर वाइज में ग्राउंड फ्लोर बेसमेंट को 50 फीसदी, पहली मंजिल 30 फीसदी और दूसरी मंजिल को 20 फीसदी हिस्से के तौर पर बेचा जा रहा है. इसको लेकर शहरवासियों ने प्रशासन से आपत्ति भी जताई थी, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि ली कार्बूजियर ने चंडीगढ़ मास्टर प्लान को ध्यान में रखते हुए शहर को डिजाइन किया था. जिसमें हर यूनिट को धूप और खुले स्थानों में पेड़ पौधों से भरपूर स्थान दिया गया था.

अगर शहर में अपार्टमेंट और बनाए जाएंगे, तो शहर की आबादी बढ़ते बढ़ते शहर की खूबसूरती को बिगाड़ देगी. अपार्टमेंट का प्रावधान हुआ तो एक यूनिट के हिस्से को तीन यूनिटों में बैठना पड़ेगा. चंडीगढ़ शहर को एक नियोजित शहर के तौर पर दुनिया के नक्शे पर माना जाता है. जिसे वास्तविक काल और शहरी डिजाइन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिली ‌है. ऐसे में अपार्टमेंट के तौर पर सुविधाओं को बांटने से पहले इसके पर्यावरण प्रभाव का आंकलन किया जाना जरूरी है. (Supreme Court decision heritage zone in Chandigarh)

पढ़ें: चंडीगढ़ सेक्टर 16 अस्पताल में एक साल बाद एमआरआई सुविधा शुरू

सुप्रीम कोर्ट ने अपने 131 पन्नों के फैसले में कहा कि इस मामले में कोर्ट को कुछ आवश्यक निर्देश देने पड़ेंगे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि चंडीगढ़ में तीन लेवल में बनने वाले अपार्टमेंट के मुद्दे को पहले हेरिटेज कमेटी द्वारा निरीक्षण किया जा सके ताकि 'कार्बूजियन चंडीगढ़' के हेरिटज स्टेटस का संरक्षण हो सके. इसके साथ ही चंडीगढ़ प्रशासन को मास्टर प्लान-2031 और 2017 के नियम में संशोधन के लिए कदम उठाने को कहा गया है.

पढ़ें: चंडीगढ़ में बीजेपी जेजेपी और निर्दलीय विधायकों की बैठक, पंचायत चुनाव के बाद विकास कार्यों को लेकर मंथन

चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा इन प्रावधानों में संशोधन के बाद इसे केंद्र सरकार के समक्ष विचार और अंतिम फैसले के लिए रखा जाए. इस मामले से जुड़े महत्त्वपूर्ण मुद्दे सिर्फ चंडीगढ़ प्रशासन के विवेकाधीन तक ही नहीं छोड़े जा सकते. इसके साथ ही सेक्टर 1 से लेकर 30 सेक्टर तक बनी सभी इमारतें हेरिटेज जोन में शामिल है. अदालत ने शहरी विकास की अनुमति देने से पहले पर्यावरण प्रभाव का आंकलन करने के लिए आवश्यक प्रावधान को लागू करने का आग्रह किया है.

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