चंडीगढ़: होली का त्योहार 2023 धूम धाम से मनाया जा रहा है. रंगों के इस त्योहार की अलग अलग परंपरा है. हर कोई रंगों से खेलने के लिए काफी उत्सुक रहता है, लेकिन मन में डर भी होता है कि कहीं रंगों से उनकी स्किन खराब ना हो जाए. ऐसे में पीजीआई के डॉक्टर ने ईटीवी भारत से बातचीत में विस्तार से बताया कि होली पर स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखा जाए. चंडीगढ़ पीजीआई के सीनियर डॉक्टर सोनू गोयल ने बताया कि मार्केट में केमिकल युक्त कलरों की भरमार है. जो स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं. केमिकल युक्त रंगों से चेहरे को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है.
हर्बल रंगों का करें इस्तेमाल: केमिकल युक्त रंगों से आंखों की रोशनी भी जा सकती है. अगर ये रंग कानों के अंदर चला जाए तो कानों में भी जख्म हो सकते हैं. कई बार देखा गया है कि केमिकल युक्त रंगों का इस्तेमाल करने से लोगों को सांस लेने में समस्या भी होती है. इसलिए डॉक्टर सोनू ने हर किसी हर्बल कलर खरीदने की सलाह दी. क्योंकि उनमें फूलों का और फूड कलर डाला जाता है. ये मार्केट में आसानी से उपलब्ध है, लेकिन लोगों को केमिकल युक्त रंगों की आदत है. तो ऐसे में अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए हर्बल कलर और नेचुरल कलर्स से ही होली खेलनी चाहिए.
इन बातों का रखें ध्यान: डॉक्टर ने बताया कि होली खेलने से कुछ मिनट पहले चेहरे और हाथों पर तेल लगा लें. जो आपकी त्वचा को रंगों से सुरक्षित रखेगा. तेल में नारियल का तेल, वैसलीन या ऐसा कोई मोशराइजर भी हो सकता है. इससे रंग आपकी स्किन के अंदर नहीं जाएगा और आपकों नुकसान की संभावना ना के बराबर रह जाएगी. होली खेलते वक्त अगर रंग नाक और कान में चला जाता है. ऐसी सूरत में तुरंत हल्के गुनगुने पानी से नाक और कान को साफ करें, ताकि रंग उसी समय निकल जाए और डॉक्टर के पास जाने की नौबत ना आए.
बच्चों पर दें विशेष ध्यान: वहीं बच्चों पर सख्त ध्यान देने की जरूरत है. रंग लगाने से पहले बच्चों के शरीर पर भी तेल लगा दें. उनको पूरी बाजू के कॉटन के कपड़े पहनाएं. होली के त्योहार के दिन खास तौर पर पकवान बनाए जाते हैं. या फिर लोग बाहर जाकर तला भुना खाते हैं. घर में बना पकवान सेहत को उतना नुकसान नहीं पहुंचाता जितना की बाहर का. बेहतर हो तो घर में बना खाना खाएं. हो सकते तो खाना कम ही खाएं. नहीं फूड प्वाइजनिंग की समस्या हो सकती है. पहले ज्यादातर लोग केमिकल युक्त रंगों की होली खेलते थे. हालांकि अब लोगों को अपने स्वास्थ्य को लेकर कुछ जागरूकता भी आई है. अब लोग हर्बल और फूलों से बनने वाले रंगों को भी खरीदने लगे हैं. भले ही उनकी कीमत अधिक है, लेकिन ये चेहरा और त्वचा के लिए सही हैं.