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अस्पतालों में है डॉक्टर्स की कमी तो नियुक्त करने के लिए नहीं आड़े आएगी आचार संहिता: HC

चडीगढ़ के एक नए अस्पताल और कैथल के गांव स्थित स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर और स्टाफ की कमी को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि आचार संहिता का डॉक्टरों की नियुक्ति से कोई लेना-देना नहीं है.

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Published : Mar 12, 2019, 9:37 PM IST

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट. फाइल फोटो

चंडीगढ़: लोकसभा चुनावों की तारीखों के एलान के बाद से पूरे देश में आचाक संहिता लागू हो चुकी है. आचार संहिता के अनुसार अब किसी भी प्रदेश की सरकार किसी तरह की सरकारी योजना का एलान नहीं कर सकती. इसी बीच हाईकोर्ट में एक याचिका डाली गई की हरियाणा सरकार ने अभी तक बहुत से अस्पतालों में रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं की है.

आपको बता दें कि याचिका दाखिल करते हुएहाईकोर्ट से स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध करवाने की अपील की गई थी. याचिका में बताया गया कि गांव बालू के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल 25 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से 22 खाली हैं. साथ ही बताया कि तहसील स्तर पर अस्पताल में डाक्टरों के 8 में से 6 पद खाली हैं और नर्स एक भी नहीं है.

प्रदीप रापड़िया, वकील

वहीं जिला स्तर पर मोजूद मल्टी स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में भी डाक्टरों के 36 पद खाली हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है कि वह राज्य के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाए. राज्य सरकार के मोजूदा बजट के साथ ही केंद्र सरकार ने पिछले तीन साल में उन्हें 1562 करोड़ की ग्रांट जारी की है फिर भी राज्य के अस्पतालों में पद रिक्त पड़े हैं.

आपको बता दें कि हरियाणा सरकार ने बताया था कि वह इन पदों को भरने के लिए प्रस्ताव संबंधित विभाग को भेज चुकी हैं. कुछ डाक्टरों ने नियुक्ति के बाद ज्वाईन नहीं किया है. साथ ही सरकार ने जल्द ही स्थिति बेहतर होने का दावा किया था. अब सुनवाई के दौरान सरकार ने आचार संहिता की दलील दी, इसपर हाईकोर्ट ने कहा कि आचार संहिता डॉक्टरों और स्टाफ की नियुक्ति करने से नहीं रोक सकती.

चंडीगढ़: लोकसभा चुनावों की तारीखों के एलान के बाद से पूरे देश में आचाक संहिता लागू हो चुकी है. आचार संहिता के अनुसार अब किसी भी प्रदेश की सरकार किसी तरह की सरकारी योजना का एलान नहीं कर सकती. इसी बीच हाईकोर्ट में एक याचिका डाली गई की हरियाणा सरकार ने अभी तक बहुत से अस्पतालों में रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं की है.

आपको बता दें कि याचिका दाखिल करते हुएहाईकोर्ट से स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध करवाने की अपील की गई थी. याचिका में बताया गया कि गांव बालू के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल 25 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से 22 खाली हैं. साथ ही बताया कि तहसील स्तर पर अस्पताल में डाक्टरों के 8 में से 6 पद खाली हैं और नर्स एक भी नहीं है.

प्रदीप रापड़िया, वकील

वहीं जिला स्तर पर मोजूद मल्टी स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में भी डाक्टरों के 36 पद खाली हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है कि वह राज्य के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाए. राज्य सरकार के मोजूदा बजट के साथ ही केंद्र सरकार ने पिछले तीन साल में उन्हें 1562 करोड़ की ग्रांट जारी की है फिर भी राज्य के अस्पतालों में पद रिक्त पड़े हैं.

आपको बता दें कि हरियाणा सरकार ने बताया था कि वह इन पदों को भरने के लिए प्रस्ताव संबंधित विभाग को भेज चुकी हैं. कुछ डाक्टरों ने नियुक्ति के बाद ज्वाईन नहीं किया है. साथ ही सरकार ने जल्द ही स्थिति बेहतर होने का दावा किया था. अब सुनवाई के दौरान सरकार ने आचार संहिता की दलील दी, इसपर हाईकोर्ट ने कहा कि आचार संहिता डॉक्टरों और स्टाफ की नियुक्ति करने से नहीं रोक सकती.

Intro:चंड़ीगढ़ व हरियाणा में डॉक्टरो की कमी का मामला
अस्पतालों में डाक्टर नियुक्ति करने के लिए नहीं रोकती आचार संहिता: हाईकोर्ट 
-स्वास्थ्य सचिव को अस्पतालों में डाक्टरों और स्टाफ की संख्या में जवाब सौंपने के आदेश 


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चंडीगढ़। 
चंड़ीगढ़ के एक नए अस्पताल व कैथल के गांव बालू स्थित स्वास्थ्य केंद्र व अन्य अस्पतालों में डाक्टर व स्टाफ की कमी लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह स्पष्टï कर दिया कि आचार संहित अस्पतालों में डाक्टर नियुक्त करने से नहींं रोकती। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर स्वास्थ्य सचिव को अस्पतालों में डाक्टरों और अन्य स्टाफ की स्थिति पर हलफनामा सौंपने के आदेश दिए हैं। 
याचिका दाखिल करते हुए  हाईकोर्ट से स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध करवाने की अपील की थी। याचिका में बताया गया था कि गांव बालू के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल 25 स्वीकृत पद हैं जिनमें से 22 खाली हैं। तहसील स्तर पर अस्पताल में डाक्टरों के 8 मेंं से 6 पद खाली हैं और नर्स एक भी नहींं है। वहीं जिला स्तर पर मोजूद मल्टी स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में भी डाक्टरों के 36 पद खाली हैं। याची ने कहा कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है कि वह राज्य के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाए। राज्य सरकार द्वारा मोजूद बजट के साथ ही केंद्र सरकार ने पिछले तीन साल में उन्हें 1562 करोड़ की ग्रांट जारी की है फिर भी राज्य के अस्पतालों में पद रिक्त पड़े हैं। हरियाणा सरकार ने बताया था कि वह इन पदों को भरने के लिए प्रस्ताव संबंधित विभाग को भेज चुके हैं। कुछ डाक्टरों ने नियुक्ति केबाद ज्वाईन नहीं किया है। जल्द ही स्थिति बेहतर होने का राज्य ने दावा किया था। अब सुनवाई के दौरान आचार संहिता की दलील दी गई इसपर हाईकोर्ट ने कहा कि आचार संहिता डाक्टर नियुक्ति करने से नहीं रोकती। 
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प्रदीप रापड़िया
वकील


नोट: कल यह समाचर dry भेजा था आज बाइट के साथ हैं।



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