चंडीगढ़ः झज्जर विधानसभा सीट को आरक्षित रखने के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फिलहाल सीट को आरक्षित रखने का निर्देश दिया है. कोर्ट के निर्देशानुसार हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी कोर्ट में पेशी हुई.
जातिगत आंकड़े के आधार पर रिजर्व सीटें
इस दौरान मुख्य चुनाव अधिकारी ने किसी भी सीट को आरक्षित करने के लिए अपनाए गए तरीके की जानकारी देते हुए बताया कि किस सीट को किस प्रकार से आरक्षित रखा गया है. साथ ही चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट के सामने झज्जर विधानसभा चुनाव से जुड़े जातिगत आंकड़ों के रिकोर्ड भी पेश किए.
विधानसभा चुनाव में 17 सीटें रिजर्व
किसी भी सीट को विधानसभा लेवल पर नहीं बल्कि जिले के आधार पर रिजर्व किया जाता है. इसलिए 2001 सेंसस को ध्यान में रखते हुए हरियाणा में सीटें रिजर्व की गई. जिस जिले में आरक्षित जाति के लोग ज्यादा होंगे, वहीं की सीट रिजर्व की जाती है. इसी मेथड के हिसाब से 17 सीटों को रिजर्व किया गया है.
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गौरतलब है झज्जर निवासी बृजेंद्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि 1976 में झज्जर विधानसभा सीट को आरक्षित किया था, जबकि यहां सबसे ज्यादा जाट और यादवों की संख्या है, इसलिए इस विधान सभा क्षेत्र को रिजर्व कैटिगरी से हटाकर सामान्य कैटेगरी की विधानसभा सीट बनाया जाना चाहिए.
मामले में बहस शुरू होने पर सरकार की तरफ से कहा गया कि विधानसभा को आरक्षित रखने और नहीं रखने का मामला चुनाव आयोग के दायरे में आता है. इस पर कोई भी फैसला चुनाव आयोग ही ले सकता है, इसलिए हाईकोर्ट इस मामले पर सुनवाई नहीं कर सकता. वहीं बेंच ने तर्क दिया कि आर्टिकल 226 के तहत हाई कोर्ट इस तरह के मामलों पर सुनवाई कर सकता है. इस पर सरकार तरफ से अनुच्छेद 332 क्लॉज 3 का हवाला दिया गया और मामले को कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया गया.