चंडीगढ़: बीएससी रेडियोथैरेपी डिग्री कोर्स की समय अवधि साढ़े तीन साल करने के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई. ये सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई. जहां पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर 4 हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. वहीं अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी.
दरअसल पीजीआई की एसोसिएशन ऑफ रेडियोथैरेपिस्ट ने पीजीआई और मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर को इस मामले में एक लीगल नोटिस भेजा था. जिसमें पीजीआई द्वारा जारी वर्ष 2020 के लिए बीएससी पैरामेडिकल कोर्स के प्रोस्पेक्टस को गलत ठहराते हुए उसे चुनौती दी है.
8 नवंबर 2020 को पीजीआई में एडमिशन नोटिस जारी करते हुए विभिन्न पैरामेडिकल कोर्स के लिए स्टूडेंट्स का एडमिशन लेने के लिए एप्लीकेशन मांगी हैं. इस विज्ञापन में बीएससी डिग्री कोर्स और रेडियो थेरेपी टेक्नोलॉजी की अवधि केवल साढ़े तीन साल साल रखी है. जिसमें 6 महीने की इंटर्नशिप बताई गई. मगर इसी विज्ञापन में बीएससी लेबोरेटरी, टेक्नीशियन और इमेजिंग एंड रेडियोलॉजी टेक्नोलॉजी की डिग्री कोर्स की ड्यूरेशन 4 साल की रखी गई है.
एसोसिएशन की तरफ से दिया गया जवाब
दरअसल पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकील पंकज चांदगोठिया की ओर से दायर याचिका में एसोसिएशन ने कहा है कि साल 1971 से लगातार लेबोरेटरी टेक्नीशियन ,एक्स-रे टेक्नीशियन, टेक्नीशियन रेडियोथैरेपी को हर मामले में सब बराबर रखा गया है. जैसे कि कोर्स ड्यूरेशन एग्जामिनेशन और पे स्केल साल 2019 के विज्ञापन में भी इन सभी कोर्स का टेन्योर 3 साल रखा गया था. एसोसिएशन ने कहा कि रेडिएशन थेरेपी कोलैबोर x-ray टेक्निशियन से ऊपर का दर्जा मिलना चाहिए.
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