चंडीगढ़: चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर पद के लिए हुए चुनावों के खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई 4 फरवरी तक स्थगित कर दी गई (Chandigarh Municipal Corporation Mayor Election) है. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से सीनियर स्टैंडिंग काउंसल अनिल मेहता ने इस याचिका पर कुछ टेक्निकल सवाल उठाए. जिस पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से जवाब मांगा और कहा कि या तो नए सिरे से बेहतर तथ्यों के साथ याचिका दाखिल की जाए या इसी याचिका में संशोधन किया जाए.
क्या है पूरा मामला: चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की है. बीजेपी की सरबजीत कौर को चंडीगढ़ का मेयर (sarabjit kaur chandigarh new mayor) चुन लिया गया है. चुनाव में कुल 28 वोट पड़े थे. इसमें 14 बीजेपी के खाते में गए, 13 वोट आम आदमी पार्टी के खाते में गए. वहीं आम आदमी पार्टी का एक वोट कैंसिल हो जाने से नतीजा बीजेपी के पक्ष में गया. कांग्रेस के सात पार्षद और शिरोमणि अकाली दल का एक पार्षद मतदान के लिए नहीं पहुंचे थे. यानी 8 पार्षद मतदान प्रक्रिया से दूर रहे. मेयर पद के चुनाव के लिए कुल 28 वोट पड़े थे.
चंडीगढ़ में कुल 35 वार्ड है. इसमें से कांग्रेस के सात पार्षदों और अकाली दल के एक पार्षद ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. इस हिसाब से कुल 28 वोट रह गए. इस स्थिति में मेयर चुने जाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 19 से घटकर 15 हो गया. कांग्रेस को निकालकर बचे 28 पार्षदों में से 14 आम आदमी पार्टी के पास बचे थे. जबकि भाजपा के पास भी 14 (13 पार्षद और एक सांसद) वोट थे. आम आदमी पार्टी का एक वोट कैंसिल होने से बीजेपी का मेयर उम्मीदवार जीत (BJP win chandigarh mayor election) गया. बीजेपी उम्मीदवार सरबजीत कौर को चंडीगढ़ का मेयर चुन लिया गया है. मेयर नतीजा आने के बाद से आम आदमी पार्टी के नेता हंगामा कर रहे हैं. आप नेताओं का आरोप है कि साजिश के तहत उनके एक पार्षद का वोट कैंसिल किया गया है. मेयर की कुर्सी के पीछे ही आम आदमी पार्टी के सभी पार्षद धरने पर बैठ गए हैं. डीसी विनय प्रताप सिंह को भी मौके पर रोक लिया गया है. नगर निगम के अंदर मार्शल बुलाए गए हैं. सदन में धक्का-मुक्की भी हुई थी.
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