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चींटी साइज में शर्तें लिखने वाली बीमा कंपनियों को HC की फटकार, जारी किया नोटिस

मामला बीमा क्लेम से जुड़ा हुआ है जिसमें शिकायत के आधार पर बीमा कंपनी के मैनेजर व अन्य पर एफआईआर दर्ज की गई थी. इस एफआईआर को खारिज करने और एफआईटार रद्द करने की अपील लेकर मैनेजर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

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Published : Apr 9, 2019, 6:03 AM IST

चंडीगढ़: बीमा कंपनियां क्लेम देने से जुड़ी शर्तों को बारीक अक्षरों में लिखती हैं और जब क्लेम देने की बात आती है तो वह शर्तें दिखा अपनी जिम्मेदारी से बच जाती हैं. पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए इस मामले में संज्ञान लेते हुए आईआरडीए को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

मामला बीमा क्लेम से जुड़ा हुआ है जिसमें शिकायत के आधार पर बीमा कंपनी के मैनेजर व अन्य पर एफआईआर दर्ज की गई थी. इस एफआईआर को खारिज करने और एफआईटार रद्द करने की अपील लेकर मैनेजर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

सुनवाई के दौरान दलीलों में जब शर्तों को लेकर बात हुई तो हाईकोर्ट ने पाया कि शर्तें इतने बारीक अक्षरों में थी कि याची के वकील भी इसे सही ढ़ंग से नहीं पढ़ पा रहे थे. इसके साथ ही बीमा लाभ नहीं देने की स्थितियां भी पॉलिसी में सही स्थान पर नहीं थी जिससे शिकायतकर्ता पॉलिसी को पूरी तरह समझ सकता. इसपर हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए आईआरडीए को नोटिस जारी कर प्रतिवादी बना लिया.
हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना बीमा कंपनियों के लिए 4 निर्देश अनिवार्य किए जाएं. हाईकोर्ट ने जो 4 निर्देश दिए हैं वह इस तरह हैं-

  • कोई भी पॉलिसी टाईम्स न्यू रोमन या इससे मिलते हुए किसी फॉन्ट के 12 साइज से कम में ना छापी जाए.
  • जहां पर भी पॉलिसी का लाभ देने की स्थितियां और शर्तें बोल्ड लैटर्स में पॉलिसी में लिखे जाएं.
  • किस स्थिति में बीमा लाभ नहीं दिया जाएगा यह पहले पन्ने पर या कवर नोट में दर्ज किया जाए.
  • पॉलिसी के कवर नोट में साफ और बड़े अक्षरों में यह लिखा जाए कि बीमा कंपनी का एजेंट या अधिकारी कोई लाईबिलिटी जोडऩे का वायदा करने के लिए अधिकृत नहीं है.

चंडीगढ़: बीमा कंपनियां क्लेम देने से जुड़ी शर्तों को बारीक अक्षरों में लिखती हैं और जब क्लेम देने की बात आती है तो वह शर्तें दिखा अपनी जिम्मेदारी से बच जाती हैं. पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए इस मामले में संज्ञान लेते हुए आईआरडीए को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

मामला बीमा क्लेम से जुड़ा हुआ है जिसमें शिकायत के आधार पर बीमा कंपनी के मैनेजर व अन्य पर एफआईआर दर्ज की गई थी. इस एफआईआर को खारिज करने और एफआईटार रद्द करने की अपील लेकर मैनेजर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

सुनवाई के दौरान दलीलों में जब शर्तों को लेकर बात हुई तो हाईकोर्ट ने पाया कि शर्तें इतने बारीक अक्षरों में थी कि याची के वकील भी इसे सही ढ़ंग से नहीं पढ़ पा रहे थे. इसके साथ ही बीमा लाभ नहीं देने की स्थितियां भी पॉलिसी में सही स्थान पर नहीं थी जिससे शिकायतकर्ता पॉलिसी को पूरी तरह समझ सकता. इसपर हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए आईआरडीए को नोटिस जारी कर प्रतिवादी बना लिया.
हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना बीमा कंपनियों के लिए 4 निर्देश अनिवार्य किए जाएं. हाईकोर्ट ने जो 4 निर्देश दिए हैं वह इस तरह हैं-

  • कोई भी पॉलिसी टाईम्स न्यू रोमन या इससे मिलते हुए किसी फॉन्ट के 12 साइज से कम में ना छापी जाए.
  • जहां पर भी पॉलिसी का लाभ देने की स्थितियां और शर्तें बोल्ड लैटर्स में पॉलिसी में लिखे जाएं.
  • किस स्थिति में बीमा लाभ नहीं दिया जाएगा यह पहले पन्ने पर या कवर नोट में दर्ज किया जाए.
  • पॉलिसी के कवर नोट में साफ और बड़े अक्षरों में यह लिखा जाए कि बीमा कंपनी का एजेंट या अधिकारी कोई लाईबिलिटी जोडऩे का वायदा करने के लिए अधिकृत नहीं है.
Intro:बारीक अक्षरों में जिम्मेदारियों से बचने की शर्तें छुपाने के बीमा कंपनियों के प्रयास पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान 

-बीमे की शर्तों को लेकर सभी कंपनियों पर निर्देश जारी करने लागू करने को लेकर आईआरडीए को नोटिस

-एक बीमा कंपनी के मैनेजर की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान 


Body:
चंडीगढ़। 

बीमा कंपनियां क्लेम देने से जुड़ी शर्तों को बारीक अक्षरों में लिखती हैं और जब क्लेम देने की बात आती है तो वह शर्तें दिखा अपनी जिम्मेदारी से बच जाती हैं। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए इस मामले में संज्ञान लेते हुए आईआरडीए को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। 

मामला बीमा क्लेम से जुड़ा हुआ है जिसमें शिकायत के आधार पर बीमा कंपनी के मैनेजर व अन्य पर एफआईटार दर्ज की गई थी। इस एफआईआर को खारिज करने और एफआईटार रद्द करने की अपील लेकर मैनेजर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने जमानत दिए जाने की मांग पर पंजाब सरकार व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया। सुनवाई के दौरान दलीलों में जब शर्तों को लेकर बात हुई तो हाईकोर्ट ने पाया कि शर्तेंं इतने बारीक अक्षरों में थी कि याची के वकील भी इसे सही प्रकार से नहीं पढ़ पा रहे थे। इसके साथ ही बीमा लाभ न देने की स्थितियां भी पॉलिसी में सही स्थान पर नहीं थी जिससे शिकायतकर्ता पॉलिसी को पूरी तरह समझ सकता। इसपर हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए आईआरडीए को नोटिस जारी कर प्रतिवादी बना लिया। हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न बीमा कंपनियों के लिए 4 निर्देश अनिवार्य किए जाएं। हाईकोर्ट ने जो 4 निर्देश दिए हैं वह इस प्रकार हैं। कोई भी पॉलिसी टाईम्स न्यू रोमन या इससे मिलते हुए किसी फॉंट के 12 साइज से कम में न छापी जाए। जहां पर भी पॉलिसी का लाभ देने की स्थितियां व शर्तें बोल्ड लैटर्स में पॉलिसी में लिखे जाएं। किस स्थिति में बीमा लाभ नहीं दिया जाएगा यह पहले पन्ने पर व कवर नोट में दर्ज किया जाए। पॉलिसी के कवर नोट में साफ और बड़े अक्षरों में यह लिखा जाए कि बीमा कंपनी का एजेंट या अधिकारी कोई लाईबिलिटी जोडऩे का वायदा करने के लिए अधिकृत नहीं है। 





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