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HC ने HUDA चीफ एडमिनिस्ट्रेट को लगाई फटकार, 6 अगस्त को कोर्ट में पेश होने के दिए आदेश

अर्धसैनिक बल के एक इंस्पेक्टर को हाई कोर्ट के आदेशों के बाद भी प्लाट अलॉट नहीं किए जाने के मामले में बुधवार को सुनवाई हुई.

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Published : Mar 28, 2019, 10:08 AM IST

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

चंड़ीगढ़ः अर्धसैनिक बल के एक इंस्पेक्टर को हाई कोर्ट के आदेशों के बाद भी प्लाट अलॉट नहीं किए जाने के मामले में बुधवार को सुनवाई हुई. कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर और रेवाड़ी के एस्टेट अफसर के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर 6 अगस्त को अगली सुनवाई में पेश होने के आदेश दिए हैं.

जस्टिस निर्मलजीत कौर ने ये आदेश सी.आई.एस.एफ के इंस्पेक्टर नरेश कुमार द्वारा एडवोकेट सन्नी भरद्वाज के जरिए दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं. याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया है कि हुडा ने वर्ष 2009 में रेवाड़ी में प्लॉट्स के लिए आवेदन मांगे थे.

याचिकाकर्ता ने डिफेन्स कोटे के तहत 10 मरले के प्लाट के लिए आवेदन कर 1 लाख 65 हजार रूपए जमा भी करवा दिए थे और तब उसे प्लाट भी जारी कर दिया गया. बाद में उसे अयोग्य करार दे उसके प्लाट का आबंटन रद्द कर दिया. इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी. कोर्ट ने वर्ष 2013 में याचिका स्वीकार करते हुए हुडा को प्लाट जारी करने के आदेश दे दिए थे.

हाईकोर्ट के इन आदेशों को हुडा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से हुडा को कोई राहत नहीं मिल पाई और सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2016 में हुडा की अपील खारिज कर दी. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों के आदेशों के बावजूद हुडा ने याचिकाकर्ता को प्लाट जारी नहीं किया.

प्लाट जारी नहीं किए जाने पर याचिकाकर्ता ने हुडा के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर के खिलाफ हाई कोर्ट के आदेशों की अवमानना याचिका दायर कर दी. याचिका पर हाई कोर्ट के नोटिस के जवाब में हुडा ने बताया कि याचिकाकर्ता को हुडा ने 220 स्क्वेयर मीटर के प्लाट जारी कर दिया है. इस जानकारी के बाद हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया था.

अब याचिकाकर्ता ने दोबारा हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर बताया है कि उसे प्लाट तो जारी कर दिया गया, लेकिन अब इस प्लाट की कीमत मौजूदा मार्किट रेट के आधार पर मांगी जा रही है जो पहले की कीमत से तीन गुना अधिक है. जबकि उससे साल 2009 में तय किए गए रेट के आधार पर ही कीमत मांगी जानी चाहिए.

हाई कोर्ट ने इस जानकारी पर कड़ा रुख अपनाते हुए हुडा के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर और रेवाड़ी के एस्टेट अफसर के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर उन्हें अगली सुनवाई पर हाई कोर्ट में पेश होने के आदेश दे दिए हैं.

चंड़ीगढ़ः अर्धसैनिक बल के एक इंस्पेक्टर को हाई कोर्ट के आदेशों के बाद भी प्लाट अलॉट नहीं किए जाने के मामले में बुधवार को सुनवाई हुई. कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर और रेवाड़ी के एस्टेट अफसर के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर 6 अगस्त को अगली सुनवाई में पेश होने के आदेश दिए हैं.

जस्टिस निर्मलजीत कौर ने ये आदेश सी.आई.एस.एफ के इंस्पेक्टर नरेश कुमार द्वारा एडवोकेट सन्नी भरद्वाज के जरिए दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं. याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया है कि हुडा ने वर्ष 2009 में रेवाड़ी में प्लॉट्स के लिए आवेदन मांगे थे.

याचिकाकर्ता ने डिफेन्स कोटे के तहत 10 मरले के प्लाट के लिए आवेदन कर 1 लाख 65 हजार रूपए जमा भी करवा दिए थे और तब उसे प्लाट भी जारी कर दिया गया. बाद में उसे अयोग्य करार दे उसके प्लाट का आबंटन रद्द कर दिया. इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी. कोर्ट ने वर्ष 2013 में याचिका स्वीकार करते हुए हुडा को प्लाट जारी करने के आदेश दे दिए थे.

हाईकोर्ट के इन आदेशों को हुडा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से हुडा को कोई राहत नहीं मिल पाई और सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2016 में हुडा की अपील खारिज कर दी. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों के आदेशों के बावजूद हुडा ने याचिकाकर्ता को प्लाट जारी नहीं किया.

प्लाट जारी नहीं किए जाने पर याचिकाकर्ता ने हुडा के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर के खिलाफ हाई कोर्ट के आदेशों की अवमानना याचिका दायर कर दी. याचिका पर हाई कोर्ट के नोटिस के जवाब में हुडा ने बताया कि याचिकाकर्ता को हुडा ने 220 स्क्वेयर मीटर के प्लाट जारी कर दिया है. इस जानकारी के बाद हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया था.

अब याचिकाकर्ता ने दोबारा हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर बताया है कि उसे प्लाट तो जारी कर दिया गया, लेकिन अब इस प्लाट की कीमत मौजूदा मार्किट रेट के आधार पर मांगी जा रही है जो पहले की कीमत से तीन गुना अधिक है. जबकि उससे साल 2009 में तय किए गए रेट के आधार पर ही कीमत मांगी जानी चाहिए.

हाई कोर्ट ने इस जानकारी पर कड़ा रुख अपनाते हुए हुडा के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर और रेवाड़ी के एस्टेट अफसर के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर उन्हें अगली सुनवाई पर हाई कोर्ट में पेश होने के आदेश दे दिए हैं.

Intro:एक सैनिक को  प्लाट जारी न करने पर हाई कोर्ट का कड़ा रुख
- हुड्डा के मुख्य प्रशासक के खिलाफ जमानती वारंट जारी


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चंड़ीगढ़
अर्धसैनिक बल के एक इंस्पेक्टर को हाई कोर्ट के आदेशों के बाद भी लगभग दस वर्षों तक प्लाट अलॉट नहीं किये जाने के मामले में हाई कोर्ट ने अब कड़ा रुख अपनाते हुए हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर और रेवाड़ी के एस्टेट अफसर के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर 6 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई पर हाईकोर्ट में पेश होने के आदेश दे दिए हैं ।
जस्टिस निर्मलजीत कौर ने यह आदेश सी.आई.एस.एफ. के इंस्पेक्टर नरेश कुमार द्वारा एडवोकेट सन्नी भरद्वाज के जरिये दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं । याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया है कि हुडा ने वर्ष 2009 में रेवाड़ी में प्लॉट्स के लिए आवेदन मांगे थे  ।याचिकाकर्ता ने डिफेन्स कोटे के तहत 10 मरले के प्लाट के लिए आवेदन कर 1 लाख 65 हजार रूपए जमा भी करवा दिए थे तब उसे प्लाट भी जारी कर दिया गया  लेकिन बाद में उसे अयोग्य करार दे उसके प्लाट का आबंटन रद्द कर दिया । इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी  हाई कोर्ट ने वर्ष 2013 में याचिका स्वीकार करते हुए हुडा को प्लाट जारी करने के आदेश दे दिए थे ।



Conclusion:हाईकोर्ट के इन आदेशों को हुडा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी  लेकिन सुप्रीम कोर्ट से हुडा को कोई राहत नहीं मिल पाई और सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2016 में हुडा की अपील ख़ारिज कर दी थी । हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों के आदेशों के बावजूद हुडा ने याचिकाकर्ता को प्लाट जारी नहीं किया  प्लाट जारी नहीं किये जाने पर याचिकाकर्ता ने हुडा के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर के खिलाफ हाई कोर्ट के आदेशों की अवमानना याचिका दायर कर दी । याचिका पर हाई कोर्ट के नोटिस के जवाब में हुडा ने बताया कि याचिकाकर्ता को हुडा ने 220 स्क्वेयर मीटर के प्लाट जारी कर दिया है  ।इस जानकारी के बाद हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया था।
अब याचिकाकर्ता ने दोबारा हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर बताया है कि उसे प्लाट तो जारी कर दिया गया  लेकिन अब इस प्लाट की कीमत मौजूदा मार्किट रेट के आधार पर मांगी जा रही है   जोकि पहले की कीमत से तीन गुना अधिक है  जबकि उससे वर्ष 2009 में तय किये गए रेट के आधार पर ही कीमत मांगी जानी चाहिए । हाई कोर्ट ने इस जानकारी पर कड़ा रुख अपनाते हुए हुडा के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर और रेवाड़ी के एस्टेट अफसर के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर उन्हें अगली सुनवाई पर हाई कोर्ट में पेश होने के आदेश दे दिए हैं ।
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