चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने शराब पर कोविड सेस लगाने का फैसला लिया था. जिसके बाद रिटेलर हरियाणा वाइंस द्वारा इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गई. इसी मामले में रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अब इस मामले में कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा है कि क्यों न हरियाणा सरकार के इन आदेशों पर स्टे लगा दिया जाए.
याचिकाकर्ता के वकील चेतन मित्तल ने बताया कि रिटेलर हरियाणा वाइंस ने हाई कोर्ट का रुख किया था. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने पॉलिसी में अमेंडमेंट करके कोविड सेस लगा दिया, जबकि मिनिमम प्राइस में कोई बदलाव नहीं किया और ना ही इस सेस को वैट (Value Added Tax) में जोड़ा गया.
रिटेलर वाइंस के मुताबिक कोविड सेस का सारा बोझ उन पर आ गया है, क्योंकि सेस शराब की भट्टियों पर नहीं लगाया गया और ना ही वैट के साथ जोड़ा गया है जिसके कारण वो ग्राहक से भी ज्यादा पैसे नहीं ले पाएंगे.
मामले की सुनवाई के दौरान यूटी चंडीगढ़ की एक्साइज पॉलिसी का भी हवाला दिया गया. ये मांग की गई कि चंडीगढ़ की तर्ज पर ही हरियाणा सरकार एक्साइज पॉलिसी में बदलाव करे, ताकि कोविड सेस का सारा बोझ उन पर न पड़े. वहीं अब इस मामले में हाई कोर्ट ने 10 जुलाई को अगली सुनवाई करनी है.
हरियाणा कैबिनेट बैठक में हुआ था फैसला
लॉकडाउन के दौरान हरियाणा सरकार ने शराब पर कोविड सेस लगा दिया था. जिससे देसी शराब की बोतल पर 5 रुपये, अंग्रेजी शराब की बोतल पर 20 रुपये सेस लगाया गया. ये फैसला मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया था.
कोरोना सेस लगने के बाद बढ़े दाम
कोरोना सेस लगाने के बाद विदेश से आने वाली शराब की बोतल पर 50, अद्धा और पव्वे पर 25 रुपये बढ़े. वहीं देसी शराब की बोतल पर 5, अद्धा पर 3 और पव्वे पर 2 रुपये बढ़ाए गए. वहीं देश में बनी विदेशी शराब की बोतल पर 20, अद्धा पर 10 और पव्वे पर 5 रुपये बढ़े और माइल्ड व रेगुलर बीयर पर 2 और स्ट्रांग बीयर पर 5 रुपये बढ़ाए गए.
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