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सजा में राहत मांग रहे दुष्कर्म आरोपी की याचिका को HC ने किया खारिज

10 साल की भतीजी से दुष्कर्म करने के मामले में सजा काट रहे आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया गया है. दुष्कर्म करने वाले फूफा को सजा में राहत देने से पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया है.

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Published : Aug 9, 2020, 4:02 PM IST

चंडीगढ़: अपनी 10 साल की मासूम भतीजी से दुष्कर्म करने वाले फूफा को सजा में राहत देने से पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया है. आरोपी फूफा ने 10 साल की सजा के खिलाफ अपील की थी, जिसे पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि अगर सरकार अपील करती तो हाईकोर्ट सजा बढ़ाने पर भी विचार कर सकता है.

ये है पूरा मामला

बता दें कि ये मामला फरीदाबाद का है, जहां दोषी फूफा अपनी 10 साल की भतीजी को जंगल में लेकर गया था. इस दौरान उसने भतीजी से दुष्कर्म किया. घर पहुंचकर भतीजी ने ये बात अपनी बुआ को बताई. बच्ची ने परिजनों को सारी बात बताई, जिसके बाद पुलिस को शिकायत दी गई.

याचिकाकर्ता ने कहा कि पीड़िता के बयान में फर्क है. उसने पीड़िता से दुष्कर्म नहीं किया. हाईकोर्ट ने कहा कि 10-12 साल की बच्ची के बयानों में मामूली फर्क होने से याचिकाकर्ता का केस मजबूत नहीं होता.

हाईकोर्ट ने याचिका को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इस तरह के मामले में न्यायालय राहत देने की सोच भी नहीं सकता. अगर राज्य सरकार ने अपील की होती तो सजा बढ़ाने पर भी विचार कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें- नई दिल्ली: यूपीएससी टॉपर प्रदीप मलिक ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से की मुलाकात

चंडीगढ़: अपनी 10 साल की मासूम भतीजी से दुष्कर्म करने वाले फूफा को सजा में राहत देने से पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया है. आरोपी फूफा ने 10 साल की सजा के खिलाफ अपील की थी, जिसे पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि अगर सरकार अपील करती तो हाईकोर्ट सजा बढ़ाने पर भी विचार कर सकता है.

ये है पूरा मामला

बता दें कि ये मामला फरीदाबाद का है, जहां दोषी फूफा अपनी 10 साल की भतीजी को जंगल में लेकर गया था. इस दौरान उसने भतीजी से दुष्कर्म किया. घर पहुंचकर भतीजी ने ये बात अपनी बुआ को बताई. बच्ची ने परिजनों को सारी बात बताई, जिसके बाद पुलिस को शिकायत दी गई.

याचिकाकर्ता ने कहा कि पीड़िता के बयान में फर्क है. उसने पीड़िता से दुष्कर्म नहीं किया. हाईकोर्ट ने कहा कि 10-12 साल की बच्ची के बयानों में मामूली फर्क होने से याचिकाकर्ता का केस मजबूत नहीं होता.

हाईकोर्ट ने याचिका को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इस तरह के मामले में न्यायालय राहत देने की सोच भी नहीं सकता. अगर राज्य सरकार ने अपील की होती तो सजा बढ़ाने पर भी विचार कर सकते हैं.

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