चंडीगढ़: हरियाणा में राजनीतिक दलों की चुनावी कसरत अभी से चरम पर पहुंच चुकी है. बात बीजेपी की हो, जेजेपी की हो, कांग्रेस, की हो या फिर इंडियन नेशनल लोकदल और आम आदमी पार्टी की. जनता के दरबार में सभी ने तेजी के साथ इस गर्म मौसम में पसीना बहाना शुरू कर दिया है. मई के इस गर्म मौसम में चढ़ते पारे के साथ राजनीतिक पारा भी हरियाणा में चढ़ता जा रहा है.
हरियाणा में चढ़ने लगा सियासी पारा: हरियाणा में खासतौर पर अभी तक जो सियासी जंग दिखाई दे रही है, वह बीजेपी और कांग्रेस के बीच प्रमुख रूप से देखी जा रही है. हालांकि बीजेपी की सहयोगी पार्टी जननायक जनता पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल के साथ आम आदमी पार्टी भी मैदान में है. लेकिन, सबसे बड़ी टक्कर इस वक्त कांग्रेस और बीजेपी में दिखाई दे रही है.
सीएम जन संवाद कार्यक्रम के जरिए जनता से कर रहे संवाद: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अप्रैल महीने से अपना जनसंवाद कार्यक्रम शुरू किया. जिसके तहत सबसे पहले वह भिवानी में पहुंचे थे. जिसके बाद उनका यह कार्यक्रम पलवल में हुआ. उसके बाद उनका जनसंवाद कार्यक्रम कुरुक्षेत्र और करनाल में हुआ. अब उनका जनसंवाद का यह सफर सिरसा पहुंच चुका है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल इन कार्यक्रमों के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं. जहां भी कई घोषणाएं भी कर रहे हैं और जन समस्याओं का समाधान भी कर रहे हैं.
'कांग्रेस विपक्ष आपके समक्ष' कार्यक्रम के जरिए जुटा रही जन समर्थन: हरियाणा कांग्रेस भी नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में 'विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम' पिछले लंबे समय से जारी रखे हुए हैं. जिससे पार्टी के नेता काफी उत्साहित हैं. कांग्रेस का यह कार्यक्रम हरियाणा की लोकसभा सीटों के हिसाब से चल रहा है. अभी तक पार्टी का यह कार्यक्रम 7 लोकसभा सीटों पर संपन्न हो चुका है. जबकि 3 लोकसभा सीटों पर यह कार्यक्रम होना बाकी है. पार्टी ने भिवानी में होने वाले विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम की तारीख घोषित कर दी है, जिसके बाद रोहतक और हिसार में भी हो कार्यक्रम होना है.
भूपेंद्र हुड्डा ने बताया जन संवाद को चुनावी संवाद: इन सबके बीच नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री के जनसंवाद कार्यक्रम को लेकर तंज कसते हुए कहते हैं कि यह तो मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है ये तो हमने भी किया था. लेकिन, उनको 9 साल के बाद संवाद याद आए हैं. मुख्यमंत्री के जनसंवाद को चुनावी संवाद बता रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष कहते हैं कि यह जनहित के संवाद नहीं है, चुनाव सिर पर आए तो संवाद शुरू हो गए. उन्होंने कहा कि हम बहुत पहले ही 'विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम' शुरू कर चुके हैं. जब हम सरकार में थे तो सब चलता ही रहता था. वे कहते हैं कि जब सरकार ने संवाद पोर्टल बना ही दिया है तो फिर जाने की भी जरूरत नहीं है. पोर्टल ही लोगों की समस्या दूर कर देगा.
क्या कहते हैं इन कार्यक्रमों पर राजनीतिक विश्लेषक?: मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपने जनसंवाद कार्यक्रम को सफल बता चुके हैं. उनका मानना है कि इस कार्यक्रम के जरिए लोगों का सरकार की योजनाओं के प्रति अच्छा रिस्पॉन्स देखने को मिल रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या विपक्ष के चुनावी चक्रव्यूह को मुख्यमंत्री मनोहर लाल का जनसंवाद कार्यक्रम भेद पाएगा? इस पर राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि मुख्यमंत्री हो या विपक्ष का कार्यक्रम जनता के बीच जो भी नेता जाता है उसको निश्चित तौर पर ही इसका लाभ मिलता है. वे कहते हैं कि जनता के बीच रहने वाले नेताओं के प्रति लोगों का रुझान भी बना रहता है.
वहीं, मौजूदा दौर में चल रहे कार्यक्रमों पर प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि अब चुनाव नजदीक है तो ऐसे में हर नेता जनता के बीच ज्यादा समय रहने की कोशिश करेगा. लेकिन, यह जनता पर निर्भर करता है कि वह इससे कितना प्रभावित होते हैं. ऐसे में इसका लाभ किसको कितना मिलेगा वह आने वाले चुनाव में वोट के तौर पर सामने दिखाई देगा.
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सवाल यह भी है कि क्या सत्ता में वापसी करने की कोशिश में लगी कांग्रेस को बीजेपी अपने कार्यक्रमों के जरिए रोक पाने में सफल होगी? इस पर प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि मौजूदा दौर में असल मुकाबला तो कांग्रेस और बीजेपी के बीच दिखाई दे रहा है. दोनों पार्टियां हर स्तर पर प्रयास कर रही है कि वे चुनावी दंगल में एक दूसरे को पटखनी देने में कामयाब हो जाए. लेकिन, वे कहते हैं कि अन्य पार्टियां भी इस दौड़ में शामिल हैं, तो ऐसे में कौन किस पर भारी पड़ेगा यह अभी से कह पाना मुश्किल है.
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