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प्राकृतिक खेती पर वैज्ञानिक रिसर्च पेपर तैयार करेगा हरियाणा

हरियाणा में प्राकृतिक खेती (Natural Farming in Haryana) को लेकर सरकार वैज्ञानिक रिसर्च पेपर तैयार करेगी. सरकार ने प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए ये फैसला लिया है. खाद्यान्न ही औषधि की तर्ज पर किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर आकर्षित करने के लिए जागरुक भी किया जायेगा.

Natural Farming in Haryana
Natural Farming in Haryana
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Published : Nov 24, 2022, 6:09 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा है कि हरियाणा में प्राकृतिक खेती (Natural Farming in Haryana) को बढ़ावा देने और अधिक से अधिक किसानों को इस ओर प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार भरसक प्रयास कर रही है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. इन्हीं योजनाओं का परिणाम है कि अब किसान रासायनिक खेती से प्राकृतिक खेती की ओर जा रहे हैं.

मुख्य सचिव संजीव कौशल ने गुरुवार को चंडीगढ़ में प्राकृतिक खेती पर समीक्षा बैठक की. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि समय-समय पर प्राकृतिक खेती के सकारात्मक परिणामों के बारे में जानकारियां मिलती रही हैं, लेकिन अभी तक कहीं भी प्राकृतिक खेती पर वैज्ञानिक रिसर्च पेपर (Research Paper on Natural Farming in Haryana) उपलब्ध नहीं हैं. हरियाणा को इस दिशा में कदम बढ़ाने होंगे और प्राकृतिक खेती पर वैज्ञानिक रिसर्च पेपर तैयार करने होंगे, जिसमें इस पद्धति की पूरी प्रक्रिया, समयावधि और परिणामों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध हो.

ये भी पढ़ें- हरियाणा सरकार की नेचुरल फार्मिंग स्कीम पर बोले किसान- सिर्फ गाय पर सब्सिडी नहीं, बल्कि महंगे चारे पर भी बनाए प्लान

हरियाणा के मुख्य सचिव ने कहा कि इसके लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (Chaudhary Charan Singh Agricultural University) के कुलपति और रिसर्च निदेशक से बातचीत कर जल्द से जल्द इस कार्य को अमलीजामा पहनाया जाए. मुख्य सचिव ने कहा कि प्राकृतिक खेती धीरे-धीरे समय की जरूरत बनती जा रही है. इस पद्धति से कम लागत के साथ किसान जैविक पैदावार बढ़ा सकता है और अपनी आय में भी वृद्धि कर सकता है. प्राकृतिक खेती का उद्देश्य रसायन मुक्त कृषि, प्रकृति के अनुरूप जलवायु, अनुकूल खेती को बढ़ावा देना और पर्यावरण एवं जलवायु प्रदूषण में कमी लाते हुए इस पद्धति को स्थाई आजीविका के रूप में स्थापित करना है. इसके लिए राज्य सरकार द्वारा किसानों को जागरूक और प्रशिक्षित भी किया जा रहा है.

मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान में 2 प्रशिक्षण केंद्रों गुरुकुल, कुरुक्षेत्र और घरौंडा, करनाल में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. इसके अलावा, जल्द ही तीन स्थानों, चौधरी चरण सिंंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हमेटी, जींद तथा मंगियाणा, सिरसा में 3 और प्रशिक्षण केंद्र स्था‌पित किये जाएंगे. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती का मूल उद्देश्य खान-पान को बदलना है, इसके लिए खाद्यान ही औषधि की धारणा को अपनाना होगा. प्राकृतिक खेती ही इसका एकमात्र रास्ता है. किसानों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए हर खंड में एक प्रदर्शनी खेत तैयार किये जायेंगे. अब तक 5 जिलों में इस प्रकार के प्रदर्शनी खेत तैयार किये जा चुके हैं.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए नई पहल, देसी गाय की खरीद पर मलेगी 25 हजार की सब्सिडी

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा है कि हरियाणा में प्राकृतिक खेती (Natural Farming in Haryana) को बढ़ावा देने और अधिक से अधिक किसानों को इस ओर प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार भरसक प्रयास कर रही है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. इन्हीं योजनाओं का परिणाम है कि अब किसान रासायनिक खेती से प्राकृतिक खेती की ओर जा रहे हैं.

मुख्य सचिव संजीव कौशल ने गुरुवार को चंडीगढ़ में प्राकृतिक खेती पर समीक्षा बैठक की. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि समय-समय पर प्राकृतिक खेती के सकारात्मक परिणामों के बारे में जानकारियां मिलती रही हैं, लेकिन अभी तक कहीं भी प्राकृतिक खेती पर वैज्ञानिक रिसर्च पेपर (Research Paper on Natural Farming in Haryana) उपलब्ध नहीं हैं. हरियाणा को इस दिशा में कदम बढ़ाने होंगे और प्राकृतिक खेती पर वैज्ञानिक रिसर्च पेपर तैयार करने होंगे, जिसमें इस पद्धति की पूरी प्रक्रिया, समयावधि और परिणामों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध हो.

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हरियाणा के मुख्य सचिव ने कहा कि इसके लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (Chaudhary Charan Singh Agricultural University) के कुलपति और रिसर्च निदेशक से बातचीत कर जल्द से जल्द इस कार्य को अमलीजामा पहनाया जाए. मुख्य सचिव ने कहा कि प्राकृतिक खेती धीरे-धीरे समय की जरूरत बनती जा रही है. इस पद्धति से कम लागत के साथ किसान जैविक पैदावार बढ़ा सकता है और अपनी आय में भी वृद्धि कर सकता है. प्राकृतिक खेती का उद्देश्य रसायन मुक्त कृषि, प्रकृति के अनुरूप जलवायु, अनुकूल खेती को बढ़ावा देना और पर्यावरण एवं जलवायु प्रदूषण में कमी लाते हुए इस पद्धति को स्थाई आजीविका के रूप में स्थापित करना है. इसके लिए राज्य सरकार द्वारा किसानों को जागरूक और प्रशिक्षित भी किया जा रहा है.

मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान में 2 प्रशिक्षण केंद्रों गुरुकुल, कुरुक्षेत्र और घरौंडा, करनाल में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. इसके अलावा, जल्द ही तीन स्थानों, चौधरी चरण सिंंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हमेटी, जींद तथा मंगियाणा, सिरसा में 3 और प्रशिक्षण केंद्र स्था‌पित किये जाएंगे. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती का मूल उद्देश्य खान-पान को बदलना है, इसके लिए खाद्यान ही औषधि की धारणा को अपनाना होगा. प्राकृतिक खेती ही इसका एकमात्र रास्ता है. किसानों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए हर खंड में एक प्रदर्शनी खेत तैयार किये जायेंगे. अब तक 5 जिलों में इस प्रकार के प्रदर्शनी खेत तैयार किये जा चुके हैं.

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