चंडीगढ़: हरियाणा में सर्दी का सितम इन दिनों अपने प्रचंड रूप में है. ज्यादातर जिलों में कोहरा और शीत लहर जारी है. चंडीगढ़ मौसम विभाग (Chandigarh Meteorological Department) ने 7 जनवरी तक का पूर्वानुमान और चेतावनी जारी की है. मौसम विभाग के मुताबिक फिलाहल आने वाले 4-5 दिन तक कोहरे और शीत लहर से राहत नहीं मिलने वाली है. हलांकि मौसम विभाग ने संभावना जताई है कि उत्तर हरियाणा के जिलों में 7 जनवरी से कोहरा कम हो सकता है. वहीं दक्षिण और पश्चिम दक्षिण हरियाणा में कोहरे का कहर जारी रहेगा.
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चंडीगढ़ मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर हरियाणा यानि चंडीगढ़, पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल और करनाल में 7 जनवरी के बाद कोहरा छट सकता है. सुबह और शाम को कोहरे की धुंध उतनी नहीं रहेगी जितनी फिलहाल है. कोहरा छटने से सड़क पर विजिबिलिटी भी बढ़ेगी जिससे आने जाने वालों को राहत मिलेगी. घने कोहरे के चलते यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है. कोहरे के चलते कई भयानक हादसों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है.
हरियाणा में न्यूनतम तापमान (Minimum Temperature in Haryana) की बात करें तो 3 जनवरी को सबसे ठंडा जिला सिरसा रहा. सिरसा में न्यूनतम तापमान 3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. उसके बाद फतेहाबाद में 3.4, बालसमंद हिसार में 3.5 डिग्री, महेंद्रगढ़ के नारनौल में 4 डिग्री, हिसार में 4.5 डिग्री न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड किया गया. हरियाणा में अधिकतम तापमान की बात की जाये तो महेंद्रगढ़ के नारनौल में पारा 19.5 डिग्री रहा. हरियाणा के मेवात इलाके में सोमवार को तापमान माइनस 1.3 डिग्री दर्ज किया गया था. ठंड को देखते हुए चंडीगढ़ मौसम विभाग ने हरियाणा में येलो अलर्ट (Yellow Alert in Haryana) जारी किया है.
हरियाणा के जिले इतने ठंडे क्यों- हरियाणा के हिसार, नारनौल और मेवात तक के इलाके मैदानी क्षेत्रों में पड़ते हैं. इन जिलों में कई बार तापमान माइनस में चला जाता है. सोमवार को मेवात में माइनस 1.3 डिग्री तापमान था. मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो इन इलाकों की भौगोलिक स्थित यहां पर ठंडी का बड़ा कारण है. पथरीली और रेतीली जमीन होने के कारण इन इलाकों का तापमान औसत से अमूमन कम रहता है. इसलिए सर्दी का मौसम आते ही पारा और गिर जाता है.
ठंड में फसल की देखभाल- कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सीबी सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि ठंड में सबसे अधिक नुकसान फसल की नर्सरी को होता है. पाला से बचाने के लिए किसानों को नर्सरी में पौधों को रात के समय प्लास्टिक की चादर से ढकना चाहिए. इससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पाले से बच जाते हैं. इसके अलावा किसान पराली का पुआल बनाकर भी पौधों को ढक सकते हैं.
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