चंडीगढ़: हरियाणा उर्दू अकादमी ने उर्दू पुस्तकों को पुरस्कार देने और पांडुलिपियों के प्रकाशन के लिए अनुदान देने की घोषणा की है. ये पुरस्कार और अनुदान पिछले 5 वर्षों के लिए दिए जाएंगे. अकादमी निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा ने बताया कि पुरस्कार के लिए चयन की गई प्रत्येक पुस्तक के लेखक को हरियाणा उर्दू अकादमी की तरफ से सम्मान-राशि 21,000 रुपये दी जाएगी. जबकि प्रकाशन के लिए चयनित प्रत्येक पांडुलिपि के रचयिता को प्रकाशन के कुल खर्च का 75 प्रतिशत या अधिकतम 15,000 रुपए दिए जाएंगे.
इन पुस्तकों का हुआ चयन
- स्वर्गीय महेन्द्र प्रताप चांद द्वारा लिखित पुस्तक 'जाते हुए लम्हों'
- डॉ. कुमार पानीपती की पुस्तक 'आंसुओं के मोती'
- स्वर्गीय डॉ. गोपाल कृष्ण शफक की पुस्तक 'शेर-ए-शफक'
- कृष्ण कुमार तूर की कृति 'तलिसम-ए-तूर'
- शम्स तबरेजी की 'कलाम-ए-शम्स'
- डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा नाजिम की 'नकूश-ए-जीमल'
- डॉ. कुमार पानीपती की 'अहद-ए-नौ-की-सिसकियों का साज है मेरी गजल'
गद्य पुस्तकों में इनका हुआ चयन
- बी.डी.कालिया की 'आबशार-ए-अदब'
- डॉ. इन्दु गुप्ता की 'सुनहरा कफस'
- डॉ. देसराज सपरा की 'खज़ाना-ए-अदब'
- डॉ. हकीम कमरूद्दीन जाकिर की 'मुसलह कौम मौलाना हाली'
- एम.एम. जुनेजा की 'भगत सिंह की दिन-ब-दिन बड़ती हुए मुकबूलीयत'
- बी.डी. कालिया की 'बड़ी तहजीब है उर्दू जबान में'
- डॉ. सुल्तान अंजुम की 'जाविया-ए-फिकर-ओ-नजर'
इनके अलावा जिन लेखकों की पांडुलिपियां प्रकाशन के लिए सहायता अनुदान के लिए मंजूर की गई हैं, उनमें एस.एल. धवन की पुस्तक मसौवदा 'जवाहरात-ए-सुखन' (पद्य), स्वर्गीय अखगर पानीपती की 'जख्मों-के-गुलाब' (पद्य), विजेन्द्र गाफिल की 'सहरा-सहरा-चांद' (पद्य) और डॉ. सुल्तान अंजुम की 'ख्वाब जिन्दा हैं' (गद्य) शामिल हैं.
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