चंडीगढ़: ये पूरा मामला हरियाणा बीज विकास निगम (Seed Development Corporation Scam) से जुड़ा है. जहां विभाग के ही कुछ अधिकारियों ने सरकारी योजना का फायदा लेकर बड़े घोटाले को अंजाम दे दिया. इन अधिकारियों ने कागजों में अपने नाम सैकड़ों एकड़ जमीन पर बीज का उत्पादन दिखाकर सरकार को लाखों-करोड़ों रुपये का चूना लगाया है. इस मामले में निगम एक निदेशक और पूर्व निदेशक की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है.
एक शिकायत में दावा किया गया है कि महज कुछ एकड़ जमीन रखने वाले लोगों ने सैकड़ों एकड़ जमीन पर बीज का उत्पादन दिखाकर बीज विकास निगम को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है. इस मामले में निगम एक निदेशक और पूर्व निदेशक की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है.
कैसे हुआ घोटाला?
हरियाणा बीज विकास निगम को मिली शिकायत में पाया गया कि निगम के एक मौजूदा निदेशक ने जींद के गिल्लाखेड़ा गावं में 60 एकड़ जमीन पर बीज उत्पादन कार्यक्रम के तहत बीज का उत्पादन दिखाया. इसके अलावा करीब 13 एकड़ जमीन पर अपनी पत्नी के नाम और 10 एकड़ जमीन पर अपने बेटे के नाम पर आईएफएफडीसी के लिए बीज का उत्पादन दिखाया, जबकि इस गांव में इस निदेशक या उसके परिवार के नाम पर कोई जमीन नहीं है.
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इसी तरह बीज विकास निगम के पूर्व निदेशक ने भी 315 एकड़ जमीन पर बीज उत्पादन कार्यक्रम दिखाया, लेकिन उसके और उसके परिवार के नाम पर सिर्फ 65 एकड़ जमीन ही पाई गई. घोटाले में शामिल यह लोग राजस्थान उत्तर प्रदेश से सस्ते दामों पर बीज खरीद कर निगम और दूसरी एजेंसी को सप्लाई कर रहे थे.
'बीज विकास निगम भी सवालों के घेरे में'
बीज उत्पादन कार्यक्रम के तहत बीज विकास निगम और दूसरी एजेंसी एमएसपी पर 400 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा कीमत देती है, जबकि दालों के बीज और खरीफ फसलों के लिए एमएसपी से 30 गुना ज्यादा कीमत बीज उत्पादकों को दी जाती है. घोटाले में शामिल लोग न केवल बीज विकास निगम को चूना लगा रहे थे बल्कि घटिया बीज की सप्लाई भी निगम को कर रहे थे. वहीं इस घटिया बीज को बीज विकास निगम सर्टिफाई भी कर रहा था.
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सीएम ने एक महीने में मांगी रिपोर्ट
सर्टिफाई बीज को दूसरे किसान हाइब्रिड बीज समझकर खरीद रहे थे, लेकिन उनकी पैदावार बढ़ने की जगह और घटने लगी. इस मामले में निगम के अधिकारियों की भूमिका भी संदिगध मानी जा रही है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की तरफ से इस मामले में विजीलेंस जांच के आदेश दिए है जिसकी रिपोर्ट एक महीने में मांगी गई है. वहीं कई अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आ सकती है.
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