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Samrat Mihir Bhoj Controversy: सम्राट मिहिर भोज की जाति विवाद में गुर्जर समाज आया सामने, अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने किया ये खुलासा

Haryana Samrat Mihir Bhoj Controversy सम्राट मिहिर भोज की जाति विवाद को लेकर जारी राजनीति थमती नजर नहीं आ रही है. इस ममले में अब गुर्जर समाज सामने आया है. गुर्जर समाज का कहना है कि यह विवाद क्षत्रिय बनाम गुर्जर नहीं है बल्कि यह मामला राजपूत बनाम गुर्जर का है. (Samrat mihir bhoj controversy gurjar on mahir bhoj cast)

Haryana Samrat Mihir Bhoj Controversy
सम्राट मिहिर भोज की जाति विवाद
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 30, 2023, 2:12 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में सम्राट मिहिर भोज की जाति विवाद को लेकर आए दिन राजनीति हो रही है. अब इस मामले में गुर्जर समाज सामने आया है. सोमवार को चंडीगढ़ में अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि यह मामला क्षत्रिय बनाम गुर्जर नहीं, राजपूत बनाम गुर्जर का मामला है. इसके साथ ही महासभा ने आचार्य वीरेंद्र विक्रम को कमेटी का सदस्य बनाने की मांग की है.

सम्राट मिहिर भोज की जाति विवाद: अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग गुर्जर ने कहा कि बिना मतलब के सम्राट मिहिर भोज को लेकर विवाद खड़ा किया गया. सरकार की तरफ से कमेटी का जो गठन किया गया है, उसे राजपूत बनाम गुर्जर करना चाहिए नाकि क्षत्रिय बनाम गुर्जर हो. ऐसे में सभी गुर्जर समाज की मांग है कि गुर्जर समाज की तरफ से हमारे प्रतिनिधि आचार्य वीरेंद्र विक्रम को कमेटी में शामिल किया जाए.

तथ्यों पर आधारित इतिहास को पढ़ाना चाहिए. इतिहास में स्थापित सत्य यह है कि 6ठी से 13वीं शताब्दी तक गुर्जर काल था नाकि राजपूत काल है. क्षत्रिय कोई जाति नहीं एक वर्ण है, वर्ण व्यवस्था को जाति पर सौपेंगे तो गलत होगा. राजपूत एक जाति है गुर्जर एक जाति है. गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज के नाम से ही जाना जाता है. यह शिलालेखों में अंकित है. यह नाम इसलिए पढ़ा क्योंकि उनकज ओरिजिन गुर्जर ही था. - आचार्य वीरेंद्र विक्रम, इतिहासकार

'सच्चाई छुपाने को लेकर हो रही राजनीति': आचार्य वीरेंद्र विक्रम ने कहा कि राजपूतों ने भी अपने शिलालेखों में स्पष्ट रूप से गुर्जर ही कहा है जो विदेशी आए उन्होंने भी सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर ही कहा. आजकल कुछ लोग सच्चाई छुपाने को लेकर इतनी ताकत लगा रहे हैं ताकि गुर्जर जाती को समाप्त किया जा सके. अब इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि गुर्जर तो एक देश था तो कोई बताए उसकी सीमा और राज्य क्या है.

ये भी पढ़ें: सम्राट मिहिर भोज गुर्जर हैं या राजपूत, विवाद राजनीतिक है या सामाजिक ?

'आचार्य वीरेंद्र विक्रम का दावा कोर्ट में भी होगी गुर्जरों की जीत': आचार्य वीरेंद्र विक्रम के अनुसार, राजस्थान का नाम 18वीं शताब्दी में राजपुताना नाम पड़ा, उससे पहले उसे गुजरात के नाम से ही जाना जाता था. न्यायलयों में भी इस मामले को लेकर यदि जाएंगे वहां भी गुर्जरों की ही जीत होगी. हमारा कोर्ट पर पूरा विश्वास है पूरा भरोसा है. किसी भी आदमी को किसी भी समुदाय के खिलाफ गलत बयान नहीं देना चाहिए. राजपूतों ने बीजेपी के नेताओं का बहिष्कार कर रखा है, क्या गुर्जर समाज भी ऐसा कुछ कर सकता है. हम इस मामले में राजनीति नहीं चाहते, लेकिन इतिहास को विकृत नहीं करना चाहिए. इसको बिना किसी मकसद के विवाद में घसीटा जा रहा है.

ये भी पढ़ें: Haryana Samrat Mihir Bhoj Controversy: सम्राट मिहिर भोज पर बनी जांच कमेटी को लेकर सियासत गर्म, कांग्रेस ने की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग

चंडीगढ़: हरियाणा में सम्राट मिहिर भोज की जाति विवाद को लेकर आए दिन राजनीति हो रही है. अब इस मामले में गुर्जर समाज सामने आया है. सोमवार को चंडीगढ़ में अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि यह मामला क्षत्रिय बनाम गुर्जर नहीं, राजपूत बनाम गुर्जर का मामला है. इसके साथ ही महासभा ने आचार्य वीरेंद्र विक्रम को कमेटी का सदस्य बनाने की मांग की है.

सम्राट मिहिर भोज की जाति विवाद: अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग गुर्जर ने कहा कि बिना मतलब के सम्राट मिहिर भोज को लेकर विवाद खड़ा किया गया. सरकार की तरफ से कमेटी का जो गठन किया गया है, उसे राजपूत बनाम गुर्जर करना चाहिए नाकि क्षत्रिय बनाम गुर्जर हो. ऐसे में सभी गुर्जर समाज की मांग है कि गुर्जर समाज की तरफ से हमारे प्रतिनिधि आचार्य वीरेंद्र विक्रम को कमेटी में शामिल किया जाए.

तथ्यों पर आधारित इतिहास को पढ़ाना चाहिए. इतिहास में स्थापित सत्य यह है कि 6ठी से 13वीं शताब्दी तक गुर्जर काल था नाकि राजपूत काल है. क्षत्रिय कोई जाति नहीं एक वर्ण है, वर्ण व्यवस्था को जाति पर सौपेंगे तो गलत होगा. राजपूत एक जाति है गुर्जर एक जाति है. गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज के नाम से ही जाना जाता है. यह शिलालेखों में अंकित है. यह नाम इसलिए पढ़ा क्योंकि उनकज ओरिजिन गुर्जर ही था. - आचार्य वीरेंद्र विक्रम, इतिहासकार

'सच्चाई छुपाने को लेकर हो रही राजनीति': आचार्य वीरेंद्र विक्रम ने कहा कि राजपूतों ने भी अपने शिलालेखों में स्पष्ट रूप से गुर्जर ही कहा है जो विदेशी आए उन्होंने भी सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर ही कहा. आजकल कुछ लोग सच्चाई छुपाने को लेकर इतनी ताकत लगा रहे हैं ताकि गुर्जर जाती को समाप्त किया जा सके. अब इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि गुर्जर तो एक देश था तो कोई बताए उसकी सीमा और राज्य क्या है.

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'आचार्य वीरेंद्र विक्रम का दावा कोर्ट में भी होगी गुर्जरों की जीत': आचार्य वीरेंद्र विक्रम के अनुसार, राजस्थान का नाम 18वीं शताब्दी में राजपुताना नाम पड़ा, उससे पहले उसे गुजरात के नाम से ही जाना जाता था. न्यायलयों में भी इस मामले को लेकर यदि जाएंगे वहां भी गुर्जरों की ही जीत होगी. हमारा कोर्ट पर पूरा विश्वास है पूरा भरोसा है. किसी भी आदमी को किसी भी समुदाय के खिलाफ गलत बयान नहीं देना चाहिए. राजपूतों ने बीजेपी के नेताओं का बहिष्कार कर रखा है, क्या गुर्जर समाज भी ऐसा कुछ कर सकता है. हम इस मामले में राजनीति नहीं चाहते, लेकिन इतिहास को विकृत नहीं करना चाहिए. इसको बिना किसी मकसद के विवाद में घसीटा जा रहा है.

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