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ऐसे हुआ किमी स्कीम टेंडर में घोटाला, बाबू से लेकर सीएम तक ने एक दिन में पास कर दी फाइल! - पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट

हरियाणा रोडवेज में बसों की कमी को पूरा करने के लिए चलाई गए किलोमीटर स्कीम सरकार के गले की फांस बन गई है. इस स्कीम में हुए घोटाले को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार को घेर लिया है. मुख्यमंत्री को जेल भेजने और इस्तीफा देने जैसे मांग उठने लगी है. परिवहन मंत्री पर भी इस घोटाले में शामिल होने के आरोप लग रहे हैं.

haryana roadways scam
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Published : Jul 26, 2019, 4:55 PM IST

Updated : Jul 26, 2019, 8:05 PM IST

चंडीगढ़: खुद सीएम मनोहर लाल ने निजी बसों को हायर करने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई इस किलोमीटर स्कीम के अंतर्गत बसों के टेंडर प्रक्रिया के दौरान हुए इस घोटाले को स्वीकार किया है.

विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा

वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सीधे सीएम को घेरते हुए ट्वीट किया था कि आदरणीय खट्टर जी, ये बताइये- जब सबने कहा कि 42 रु प्रति किलोमीटर से 510 बसों का टेंडर निजी कंपनियों को देना घोटाला है तो सरकार ने नहीं माना. अब जब हाई कोर्ट ने जांच कराई तो माना. फिर भी दोषियों पर FIR नहीं? जनता अब हिसाब लेगी'.

surjewala tweet
सुरजेवाला का ट्वीट.

जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने सीएम और परिवहन मंत्री के इस घोटाले में शामिल होने की बात कहते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी. सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में परिवहन मंत्री और मुख्यमंत्री ने करोड़ों का घोटाला किया है इसलिए इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए. अगर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो जेजेपी का कर्मचारी मंत्रियों के घर का घेराव करेंगे और इस लड़ाई को अंत तक लड़ेंगे.

वहीं आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद ने भी सीधे तौर पर सीएम और परिवहन मंत्री को इस घोटाले में शामिल बताया है. उन्होंने कहा था कि बिना परिवहन मंत्री के शामिल हुए ये घोटाला नहीं हो सकता. ये सरकार भ्रष्ट है और खुद सीएम घोटालों का घूंघट लेकर घूम रहे हैं. कांग्रेस विधायक करण दलाल तो सीएम को जेल भेजने तक की बात कहने लगे. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में अधिकारियों से लेकर खुद सीएम तक जिम्मेदार हैं. ये पूरा घोटाला मुख्यमंत्री की शह पर हुआ है क्योंकि मुख्यमंत्री ने ही किलोमीटर स्कीम को मंजूरी दी थी. हम सीएम को जेल भेजकर ही रहेंगे.

क्लिक कर देखें वीडियो

किलोमीटर स्कीम क्या है?
सरकार ने राज्य में बसों की कमी को देखते हुए ये योजना शुरू की थी. सरकार ने किलोमीटर स्कीम पर निजी बसों की सुविधा यात्रियों को देने का प्लान तैयार किया था. इस सिलसिले में हरियाणा रोडवेज मुख्यालय ने टेंडर भी आमंत्रित किया. सरकार के मुताबिक यह योजना ग्रामीण इलाकों में लोगों को बस सुविधा पहुंचाने के लिए बनाई गई थी. सरकार के निर्देशानुसार रोडवेज विभाग ने प्रति किलोमीटर के हिसाब से निजी बसें हायर करने का निर्णय लिया था जिसमें ड्राइवर निजी बस मालिकों के होंगे और कंडक्टर रोडवेज नियुक्त करेगा. वहीं रोडवेज यूनियनों ने सरकार की इस किलोमीटर स्कीम का पुरजोर विरोध किया था और 18 दिन के लिए पूरे प्रदेश में बसों का चक्का जाम किया था. हाई कोर्ट में मामला पहुंचा तो हाई कोर्ट के आश्नासन के बाद रोडवेज कर्माचारियों ने हड़ताल खत्म की थी.

ये घोटाला कैसे हुआ?
आरोप लगाया गया कि इस स्कीम को लेकर जो टेंडर जारी किए गए थे वो अधिकारियों ने मिलीभगत कर के अपने ही लोगों को दिलाए. टेंडर ऑनलाइन जारी किए गए थे जैसे ही अधिकारियों के खास लोगों ने ऑनलाइन बोली लगाई तुरंत टेंडर उन्हें जारी करके. वेबसाइट को स्लो करने के बाद बंद कर दिया गया. इसमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये थी कि जिस विभाग में एक फाइल पर साइन करने में महीनों लगते थे वहां एक दिन में ही टेंडर की फाइल अधिकारी से लेकर सीएम तक द्वारा पास कर दी गई.

मामला पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में पहुंचा. घोटाले को लेकर विजिलेंस ने अपनी रिपोर्ट पेश की तो सरकार ने 510 बसों के टेंडर को रद्द करने का फैसला लिया. इस मामले में अभी तक कई छोटे अधिकारियों पर गाज गिर चुकी है लेकिन इंतजार इस बात का है कि ऊंचे औदे पर बैठे लोगों पर कब और किस तरह की कार्रवाई होती है.

चंडीगढ़: खुद सीएम मनोहर लाल ने निजी बसों को हायर करने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई इस किलोमीटर स्कीम के अंतर्गत बसों के टेंडर प्रक्रिया के दौरान हुए इस घोटाले को स्वीकार किया है.

विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा

वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सीधे सीएम को घेरते हुए ट्वीट किया था कि आदरणीय खट्टर जी, ये बताइये- जब सबने कहा कि 42 रु प्रति किलोमीटर से 510 बसों का टेंडर निजी कंपनियों को देना घोटाला है तो सरकार ने नहीं माना. अब जब हाई कोर्ट ने जांच कराई तो माना. फिर भी दोषियों पर FIR नहीं? जनता अब हिसाब लेगी'.

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सुरजेवाला का ट्वीट.

जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने सीएम और परिवहन मंत्री के इस घोटाले में शामिल होने की बात कहते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी. सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में परिवहन मंत्री और मुख्यमंत्री ने करोड़ों का घोटाला किया है इसलिए इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए. अगर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो जेजेपी का कर्मचारी मंत्रियों के घर का घेराव करेंगे और इस लड़ाई को अंत तक लड़ेंगे.

वहीं आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद ने भी सीधे तौर पर सीएम और परिवहन मंत्री को इस घोटाले में शामिल बताया है. उन्होंने कहा था कि बिना परिवहन मंत्री के शामिल हुए ये घोटाला नहीं हो सकता. ये सरकार भ्रष्ट है और खुद सीएम घोटालों का घूंघट लेकर घूम रहे हैं. कांग्रेस विधायक करण दलाल तो सीएम को जेल भेजने तक की बात कहने लगे. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में अधिकारियों से लेकर खुद सीएम तक जिम्मेदार हैं. ये पूरा घोटाला मुख्यमंत्री की शह पर हुआ है क्योंकि मुख्यमंत्री ने ही किलोमीटर स्कीम को मंजूरी दी थी. हम सीएम को जेल भेजकर ही रहेंगे.

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किलोमीटर स्कीम क्या है?
सरकार ने राज्य में बसों की कमी को देखते हुए ये योजना शुरू की थी. सरकार ने किलोमीटर स्कीम पर निजी बसों की सुविधा यात्रियों को देने का प्लान तैयार किया था. इस सिलसिले में हरियाणा रोडवेज मुख्यालय ने टेंडर भी आमंत्रित किया. सरकार के मुताबिक यह योजना ग्रामीण इलाकों में लोगों को बस सुविधा पहुंचाने के लिए बनाई गई थी. सरकार के निर्देशानुसार रोडवेज विभाग ने प्रति किलोमीटर के हिसाब से निजी बसें हायर करने का निर्णय लिया था जिसमें ड्राइवर निजी बस मालिकों के होंगे और कंडक्टर रोडवेज नियुक्त करेगा. वहीं रोडवेज यूनियनों ने सरकार की इस किलोमीटर स्कीम का पुरजोर विरोध किया था और 18 दिन के लिए पूरे प्रदेश में बसों का चक्का जाम किया था. हाई कोर्ट में मामला पहुंचा तो हाई कोर्ट के आश्नासन के बाद रोडवेज कर्माचारियों ने हड़ताल खत्म की थी.

ये घोटाला कैसे हुआ?
आरोप लगाया गया कि इस स्कीम को लेकर जो टेंडर जारी किए गए थे वो अधिकारियों ने मिलीभगत कर के अपने ही लोगों को दिलाए. टेंडर ऑनलाइन जारी किए गए थे जैसे ही अधिकारियों के खास लोगों ने ऑनलाइन बोली लगाई तुरंत टेंडर उन्हें जारी करके. वेबसाइट को स्लो करने के बाद बंद कर दिया गया. इसमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये थी कि जिस विभाग में एक फाइल पर साइन करने में महीनों लगते थे वहां एक दिन में ही टेंडर की फाइल अधिकारी से लेकर सीएम तक द्वारा पास कर दी गई.

मामला पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में पहुंचा. घोटाले को लेकर विजिलेंस ने अपनी रिपोर्ट पेश की तो सरकार ने 510 बसों के टेंडर को रद्द करने का फैसला लिया. इस मामले में अभी तक कई छोटे अधिकारियों पर गाज गिर चुकी है लेकिन इंतजार इस बात का है कि ऊंचे औदे पर बैठे लोगों पर कब और किस तरह की कार्रवाई होती है.

Intro:चंडीगढ़ प्रदेश के इतिहास में रोडवेज की 18 दिन की हड़ताल सबसे ज्यादा दिन चली हड़ताल मानी गई है यह हड़ताल मनोहर सरकार द्वारा लागू की गई किलोमीटर स्कीम के विरोध में रोडवेज की यूनियनों द्वारा की गई थी यूनियनों का आरोप था कि इसमें मोटा गोलमाल कर विभाग को नुकसान पहुंचाया जा रहा है इस सब के बावजूद 510 बसों के टेंडर अलॉट कर दिए गए इतना सब कुछ होने के बाद अब सरकार ने मान लिया है कि इसमें घोटाला हुआ है लेकिन कार्रवाई कुछ ही छोटे अधिकारियों के खिलाफ की जा रही है ।

स्कीम से जुड़ी फाइल के एक महत्वपूर्ण कागज पर गौर फरमाया जाए तो इससे यह साफ होता है कि इस स्कीम को लागू करने की कितनी जल्दबाजी थी इस दस्तावेज से पता चलता है कि सिर्फ एक-दो दिन में ही यह फाइल शुरुआती दौर से मुख्यमंत्री तक पहुंच कर वापस विभाग के पास भी पहुंच जाती है जबकि विभाग के मंत्री को इन दिनों टूर पर दिखाया गया था ।




Body:इस विषय में जे जे पी नेता रणधीर सिंह ने कहा कि जिस दिन इस का एग्रीमेंट हुआ उस दिन डीजी ऑफिस सही है फाइल गोली की तरह सीएम ऑफिस व मंत्री ऑफिस गई और वहीं मुख्यमंत्री व मंत्री इस काम की सराहना भी की । अब जब इसकी विजिलेंस को जांच दी तब जाकर सरकार ने माना कि इस में घोटाला हुआ है रणधीर ने कहा कि यह करोड़ों रुपए का घोटाला सरकार की मिलीभगत से हुआ है इसमें अधिकारी व पार्टिकल लेवल के नेताओं की जिम्मेदारी फिक्स होनी चाहिए और जो इतनी लंबी हड़ताल चली उससे सरकार व विभाग को एक बहुत भारी नुकसान का सामना करना पड़ा उसके लिए भी किसी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए ।

बाइट रणधीर सिंह जेजेपी नेता

इस विषय में कांग्रेस विधायक करण दलाल ने कहा कि इस घोटाले में प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर उनके मंत्री व सीनियर आईएएस लेवल के अधिकारी सम्मिलित हैं यह सारा मामला मुख्यमंत्री व मंत्री की शहर है उनके दम पर हुआ है इन दस्तावेजों के हिसाब से साफ दिखता है कि मुख्यमंत्री ने इसे सिर्फ ना अप्रूव किया बल्कि इसकी सराहना भी की है और मंत्री के यहां ना होने के बावजूद उनके पीएस नया फाइल निकाल भी दी ।

बाइट करण दलाल कांग्रेस नेता व विधायक पलवल

इधर ऑल हरियाणा वर्कर्स यूनियन रोडवेज के महासचिव बलवान सिंह दोदवा ने कहा कि हमने इन्हीं आशंकाओं को लेकर इतना लंबा विरोध किया था और अब घोटाला आज सामने आ चुका है जिसे मुख्यमंत्री ने खुद माना है । उन्होंने कहा कि हम इस विजिलेंस जांच से संतुष्ट नहीं हैं हम पहले भी मांग कर चुके हैं कि इसकी जांच सीबीआई या किसी सिटिंग जज से करवाई जाए ताकि पूरा घोटाला सामने आ सके और इसमें कौन-कौन इंवॉल्व है उसका भी पता चल सके बलवान सिंह ने कहा कि यह सब एक प्लान के तहत हुआ है इसमें अपने चहेते ट्रांसपोर्टरों से बस हायर कर गुपचुप तरीके से भारी रेटों में एग्रीमेंट किया गया है

उन्होंने कहा कि सभी डिपो के महाप्रबंधक ओं को मुख्यालय पर बुलाकर दबाव में लेकर फाइल पर दस्तखत करवाए गए थे इस घोटाला में मुख्य भूमिका हमारे विभाग के पूर्व के सीनियर आईएएस लेवल के अधिकारियों की रही थी उन्होंने कहा कि रोडवेज हड़ताल से हुए नुकसान को इन्हीं अधिकारियों से वसूला जाना चाहिए इस स्कीम को लागू करने में बहुत ज्यादा जल्दबाजी की गई उनके बड़े-बड़े ट्रांसपोर्टरों से तालमेल था उनसे मोटी रकम ली गई है इसी वजह से इस को जल्द से जल्द लागू करने का प्रयास किया गया ।

बाइट बलवान सिंह महासचिव ऑल हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन

इधर इस सब पर प्रदेश के शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों का काम ही है आरोप लगाना और यह सारे आरोप निराधार हैं

बाइट रामविलास शर्मा शिक्षा मंत्री


Conclusion:
Last Updated : Jul 26, 2019, 8:05 PM IST
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