चंडीगढ़: हरियाणा सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा के मामले में उठाए गए कदमों से सड़क दुर्घटनाओं में भारी कमी आई है. सर्वोच्च न्यायालय की सड़क सुरक्षा पर गठित कमेटी ने अपनी बैठक में भी हरियाणा के प्रयासों की सराहना की है. बैठक में हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने सड़क सुरक्षा के प्रयासों के बारे में अवगत करवाया, जिस पर न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अभय मनोहर सप्रे ने हरियाणा सरकार द्वारा किए जा रहे कार्य की प्रशंसा की.
मुख्य सचिव ने बताया कि सड़क हादसों में कमी लाने के लिए किए गए प्रयासों से राज्य में सड़क हादसों में पिछले वर्ष जून के मुकाबले इस साल 17.64 फीसदी की कमी आई है. उन्होंने बताया कि बीते 6 महीने में जनवरी से जून 2020 के बीच सड़क दुर्घटनाओं, मृत्यु दर और हादसों में घायलों की संख्या में भी 26.71 प्रतिशत, 26.77 प्रतिशत और 26.88 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में ई-चालान सिस्टम कार्य कर रहा है. सीसीटीवी के माध्यम से यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, अंबाला, पानीपत, रोहतक, पंचकुला, गुरुग्राम और सोनीपत में ई-चालानिंग की जा रही है. राष्ट्रीय मार्गों पर प्रत्येक 10 किलोमीटर पर सड़क दुर्घटना पीड़ितों की सहायता के लिए 45 ट्रैफिक सहायता बूथ बनाए गए हैं. परिवहन विभाग द्वारा ओवरलोडिंग की वजह से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए 45 वेट ब्रिज खरीदे जा रहे हैं. सड़क दुर्घटना और आपातकालीन सुविधाओं के लिए पुलिस विभाग की 84 एंबुलेंस टोल फ्री नंबर -1073 और स्वास्थ्य विभाग की 422 एंबुलेंस टोल फ्री नंबर 108 सहित उपलब्ध है.
'प्रदेश सरकार ने बनाया सड़क सुरक्षा फंड'
हरियाणा सरकार ने 'हरियाणा राज्य सड़क सुरक्षा' योजना तैयार की है. जिसका उद्देश्य वर्ष 2025 तक सड़क दुर्घटना में होने वाली मृत्यु दर एवं घायलों की संख्या को 50 प्रतिशत तक कम करना है. राज्य सरकार ने सड़क सुरक्षा से संबंधित सभी गतिविधियों को समन्वित करने के लिए परिवहन मंत्री की अध्यक्षता में 'राज्य सड़क सुरक्षा परिषद' का गठन किया है. प्रदेश सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा फंड बनाया गया है. साल 2020-21 के लिए 31 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया गया है.
'2019 में 2,33,980 वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट दिया गया'
मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से 'हरियाणा विजन जीरो' कार्यक्रम पुलिस विभाग द्वारा शुरू किया गया है. जिसके तहत जिलों में सड़क सुरक्षा सहयोगी लगाए गए हैं, जो कि जिला सड़क सुरक्षा कमेटियों के साथ समन्वय स्थापित कर दुर्घटना की जांच, ब्लैक स्पॉट सुधार, सड़क निरीक्षण, जागरूकता अभियान और पैदल चलने की सुविधा के लिए कार्य कर रहे हैं. प्रदेश में सड़क सुरक्षा के लिए कमर्शियल वाहनों की जांच प्रतिवर्ष की जाती है. वर्ष 2019 में 2,33,980 वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट दिया गया है. सभी वाहनों पर रिफ्लेक्टर और रिफ्लेक्टिव टेप लगाया जाना अनिवार्य है.
'सुरक्षित स्कूल वाहन योजना'
केशनी आनंद अरोड़ा ने बताया कि राज्य सरकार ने स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिए 'सुरक्षित स्कूल वाहन योजना' तैयार की है, ताकि शिक्षण संस्थानों के प्राधिकरणों, चालक और परिचालकों की लापरवाही को रोका जा सके. सभी स्कूली बसों पर सड़क दुर्घटना हेल्पलाइन नंबर 1073, चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर-1098 और बसों में अंदर और बाहर बैठने की क्षमता दर्शाया जाना अनिवार्य किया गया है.
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