चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा के बीच कई मुद्दों को लेकर हमेशा से असद होती रही है. कभी सतलुज यमुना लिंक नहर तो कभी राजधानी चंडीगढ़ को लेकर और कभी बीबीएमबी को लेकर. इन सभी मुद्दों पर बीते कई सालों से दोनों राज्यों के बीच सियासत चलती आ रही है. लेकिन अब हरियाणा विधानसभा के नए भवन निर्माण (Haryana Vidhansabha New Building Construction) को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है.
एक तरफ जहां हरियाणा ने चंडीगढ़ प्रशासन से जमीन के बदले जमीन देने की तैयारी पूरी कर ली है. वहीं पंजाब के सभी सियासी दलों ने इसका एक सुर में विरोध करना शुरू कर दिया है. पंजाब के सभी सियासी दल हरियाणा को चंडीगढ़ में नए विधानसभा भवन को बनाने के लिए दी जाने वाली जमीन को लेकर विरोध करने की बात कह रहे हैं.
पंजाब के सभी सियासी दल दो टूक शब्दों में कह रहे हैं कि हरियाणा को किसी भी तरह चंडीगढ़ में जमीन नहीं दी जानी चाहिए. हरियाणा पंचकूला या राज्य के किसी अन्य हिस्से में नई विधानसभा बना ले. बात चाहे फिर पंजाब में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी की हो या फिर कांग्रेस अकाली दल और बीजेपी की, सभी दलों के नेता एक ही बात कह रहे हैं कि हरियाणा को चंडीगढ़ में नए विधानसभा भवन के निर्माण के लिए जमीन नहीं दी जानी चाहिए. लेकिन अब हरियाणा की सियासी दल भी इसका जवाब देने के लिए तैयार हो गए हैं.
पंजाब के राजनीतिक दलों द्वारा हरियाणा विधानसभा (Haryana Vidhansabha) के नए भवन के लिए चंडीगढ़ में दी जाने वाली जमीन का विरोध किए जाने पर, हरियाणा कांग्रेस की नेता किरण चौधरी का कहना है कि पंजाब के राजनीतिक दल तो अपनी बात कहेंगे ही, लेकिन हम भी अपनी बात रखेंगे. उनका कहना है कि यह बहुत अच्छी बात है कि चंडीगढ़ में हरियाणा को नए विधानसभा भवन के निर्माण के लिए जमीन मिल रही है. उनका कहना है कि इससे अच्छी बात हो ही नहीं सकती. जहां तक पंजाब के राजनीतिक दल विरोध करने की बात कह रहे हैं तो उन्हें करने दीजिए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
इसी मसले पर पंजाब बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण अत्रे कहते हैं कि चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी है. चंडीगढ़ पर पंजाब और हरियाणा दोनों का हक है. वे कहते हैं कि जो नया परिसीमन होगा उसके हिसाब से हरियाणा का वर्तमान विधानसभा भवन कम पड़ेगा. इस बात को सभी जानते हैं. हरियाणा विधानसभा के वर्तमान भवन में एक ही कमरे में कई-कई कार्यालय चल रहे हैं. इतना ही नहीं वे कहते हैं कि वर्तमान विधानसभा भवन में जो हरियाणा का हक है वह भी अभी तक पंजाब में दबा रखा है.
पंजाब बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण अत्रे कहते हैं कि यह मसला केंद्र सरकार, चंडीगढ़ प्रशासन और हरियाणा के बीच का है हरियाणा को नए विधानसभा भवन की जरूरत है और सैद्धांतिक रूप में यह बात मान भी ली गई है. ऐसे में पंजाब के राजनीतिक दलों का इसका विरोध करना किसी भी स्तर पर उचित नहीं है. वे कहते हैं कि नए विधानसभा भवन की हरियाणा को जरूरत हुई है और यह हरियाणा का हक भी है. पंजाब के राजनीतिक दल इस पर राजनीति कर रहे हैं यह निंदनीय है.
हरियाणा सरकार में सहयोगी दल की भूमिका निभा रही जननायक जनता पार्टी के प्रवक्ता दीपकमल सारण इसी मामले को लेकर कहते हैं कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, जो पंजाब अपने आपको हरियाणा का बड़ा भाई कहता है वहां के नेता ऐसी बातें कर रहे हैं. वे कहते हैं कि इतिहास में भी ऐसी छोटी बातें नहीं हुई होंगी. उनका मानना है कि पंजाब के राजनीतिक दल सिर्फ अपने राज्य में खुद को बड़ा साबित करने के लिए इस तरीके की बयानबाजी कर रहे हैं.
दीपकमल सारण कहते हैं कि हरियाणा विधानसभा के लिए नए भवन (New building for Haryana Vidhansabha) की आज के दौर में जरूरत है. क्योंकि वर्तमान विधानसभा में दोनों राज्यों के जब सदन होता है तो बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जब हरियाणा चंडीगढ़ प्रशासन से पैसे देकर या जमीन के बदले जमीन देकर नए विधानसभा भवन का निर्माण करना चाहता है तो इसमें पंजाब के राजनीतिक दलों को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.
उनका कहना है कि हरियाणा को क्या कोई भी फैसला लेने के लिए किसी राज्य से पहले आदेश लेना पड़ेगा. वे कहते हैं कि हरियाणा ने तो खुले दिल से पहले भी कहा है कि अगर पंजाब नया विधानसभा बनाना चाहता है तो वह भी चंडीगढ़ से जमीन ले ले. उनका कहना है कि पंजाब के राजनीतिक दल राज्य के अंदर के जो मसले हैं उन से ध्यान भटकाने के लिए इस तरीके की बयानबाजी कर रहे हैं. वे कहते हैं कि पंजाब के राजनीतिक दलों को पंजाब के अंदर के जो ज्वलंत मुद्दे हैं उस पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए ना कि इस विषय पर.
बता दें कि बीते शनिवार को हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने चंडीगढ़ प्रशासक व पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मुलाकात की थी. उन्होंने कहा था कि हरियाणा ने जमीन के बदले चंडीगढ़ को जमीन देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है. इसी को लेकर उन्होंने राज्यपाल से विधानसभा के लिए जल्द जमीन देने का आग्रह किया है. इसी मुलाकात के बाद पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने एक सुर में इस को लेकर विरोध जताया था, जो अब भी जारी है.