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विकलांग के मुआवजे को लेकर HC ने लगाई चंडीगढ़ प्रशासन को फटकार, पढ़ें पूरी खबर - highcourt

बुधवार को चंडीगढ़ प्रशासन की एक याचिका पर हाई कोर्ट ने कड़ी आपत्ती दर्ज की है. प्रशासन ने एक 20 वर्षीय विकलांग लड़की का मुआवजा कम करने के लिए कोर्ट में एक याचिका डाली थी. जिसके बाद कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को जमकर फटकार लगाई है.

हरियाणा-पंजाब हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
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Published : May 10, 2019, 6:27 PM IST

चंडीगढ़: सूखे पेड़ की टहनी के गिरने से 70 प्रतिशत विकलांग हुई काजल को 15-60 लाख के बीच मुआवजा देने के सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देना प्रशासन को भारी पड़ गया. हाईकोर्ट ने प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि 20 साल की लड़की की जिंदगी बर्बाद हो गई और आप मुआवजा देने की जिम्मदारी से भाग रहे हो. हाई कोर्ट ने कहा कि इस फालतू याचिका के लिए प्रशासन पर 2 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा. हालांकि सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल पंकज जैन के निवेदन पर हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाने का आदेश फिलहाल नहीं लिखा है.

'प्रशासन की लापरवाही के चलते हुई थी घटना'
बता दें कि चंडीगढ़ प्रशासन की लापरवाही के चलते सैक्टर 17 में एक सूखा हुआ पेड़ समय पर नहीं काटा गया. जिसकी वजह से 15 सितम्बर 2013 को काजल नाम की एक 20 वर्षीय लड़की पर इसकी टहनी गिरी और लड़की गंभीर तौर पर घायल हो गई थी. बाद में उस के एक पैर पर हुए गहरे जख्म के चलते उसे अपना एक पैर गवाना पड़ा था.

'हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को लगाई फटकार'
हाईकोर्ट ने प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि हर रोज ऐसी आधारहीन याचिकाओं की लाईन लगी रहती हैं और इससे कोर्ट का किमती समय बर्बाद होता है. कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के मामलों में तो प्रशासन को उदार होना चाहिए और खुद आगे आकर कहना चाहिए था कि हम मुआवजा देंगे.

इसकी बजाय मुआवजा देने की जिम्मेदारी से भागते हुए यह आधारहीन याचिका दाखिल कर दी गई. कोर्ट ने कहा कि अब प्रशासन यह समझ ले कि यदि इस प्रकार की याचिकाएं दाखिल की गई तो उन्हें जुर्माने के लिए तैयार रहना होगा.

चंडीगढ़: सूखे पेड़ की टहनी के गिरने से 70 प्रतिशत विकलांग हुई काजल को 15-60 लाख के बीच मुआवजा देने के सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देना प्रशासन को भारी पड़ गया. हाईकोर्ट ने प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि 20 साल की लड़की की जिंदगी बर्बाद हो गई और आप मुआवजा देने की जिम्मदारी से भाग रहे हो. हाई कोर्ट ने कहा कि इस फालतू याचिका के लिए प्रशासन पर 2 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा. हालांकि सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल पंकज जैन के निवेदन पर हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाने का आदेश फिलहाल नहीं लिखा है.

'प्रशासन की लापरवाही के चलते हुई थी घटना'
बता दें कि चंडीगढ़ प्रशासन की लापरवाही के चलते सैक्टर 17 में एक सूखा हुआ पेड़ समय पर नहीं काटा गया. जिसकी वजह से 15 सितम्बर 2013 को काजल नाम की एक 20 वर्षीय लड़की पर इसकी टहनी गिरी और लड़की गंभीर तौर पर घायल हो गई थी. बाद में उस के एक पैर पर हुए गहरे जख्म के चलते उसे अपना एक पैर गवाना पड़ा था.

'हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को लगाई फटकार'
हाईकोर्ट ने प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि हर रोज ऐसी आधारहीन याचिकाओं की लाईन लगी रहती हैं और इससे कोर्ट का किमती समय बर्बाद होता है. कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के मामलों में तो प्रशासन को उदार होना चाहिए और खुद आगे आकर कहना चाहिए था कि हम मुआवजा देंगे.

इसकी बजाय मुआवजा देने की जिम्मेदारी से भागते हुए यह आधारहीन याचिका दाखिल कर दी गई. कोर्ट ने कहा कि अब प्रशासन यह समझ ले कि यदि इस प्रकार की याचिकाएं दाखिल की गई तो उन्हें जुर्माने के लिए तैयार रहना होगा.

Intro:20 साल की लड़की की जिंदगी प्रशासन की गलती के कारण बर्बाद हुई, मुआवजे की जिम्मेदारी से नहीं भाग सकता प्रशासन: हाईकोर्ट
-प्रशासन की गलती के कारण ही मृत वृक्ष को इतने लंबे समय तक नहीं काटा गया जिसकी काजल शिकार हुई
-अपील करने की बजाय खुद आगे आकर देना चाहिए था मुआवजा
-हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 15-60 लाख के बीच मुआवजा तय करने के दिए थे आदेश Body:
सूखे पेड़ की टहनी के गिरने से 70 प्रतिशत विकलांग हुई काजल को 15-60 लाख के बीच मुआवजा देने के सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देना प्रशासन को भारी पड़ गया। हाईकोर्ट ने प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि 20 साल की लड़की की जिंदगी बर्बाद हो गई और आप मुआवजा देने की जिम्मदारी से भाग रहे हो। हाईकोर्ट ने कहा कि इस फालतू याचिका के लिए प्रशसन पर 2 लाख जुर्माना लगाया जाएगा। हालंाकि सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल पंकज जैन के निवेदन पर हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाने के आदेश नहींं लिखवाए।
इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा चंडीगढ़ प्रशासन व नगर निगम अपने नागरिकों के प्रति अपने कर्तव्य को लेकर गंभीर नही हैं। अधिकारियों की अपनी डयूटी के प्रति लापरवाही का खामियाजा लोगो को भुगतना पड़ता हैं। 20 साल की काजल भी ऐसे ही नागरिकों में से एक है जिसे अधिकारियों की गलती के कारण अपनी टांग गवानी पड़ी। चंडीगढ़ प्रशासन की लापरवाही के चलते सैक्टर 17 में एक सूखा हुआ पेड़ समय पर नहीं काटा गया जिसके कारण वह 15 सितम्बर 2013 को काजल नामक की एक 20 वर्षीय युवती पर इसकी टहनी गिरी और युवती गंभीर तौर पर घायल हो गई थी। बाद में उस के एक पैर पर हुए गहरे जख्म के चलते उसे अपना एक पैर गवाना पड़ा था। सिंगल बेंच ने याचिका का निपटारा करते हुए प्रशासन को आदेश दिए थे कि युवती की भविष्य की आय, उसकी पीड़ा, जीवन का जो सुख वह सही रहते ले सकती थी उसे खोने का नुक्सान और जीवन व आय के हर पहलू के लिए मुआवजे का आंकलन किया जाए। आंकलन करने के बाद उसे इस मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए। इसी फैसले के खिलाफ प्रशासन और एमसी ने अपील की थी। हाईकोर्ट ने प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि हर रोज ऐसी आधारहीन याचिकाओं की लाईन लगी रहती है और इससे कोर्ट का कीमती समय बर्बाद होता है। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के मामलों में तो प्रशासन को उदार होना चाहिए और खुद आगे आकर कहना चाहिए था कि हम मुआवजा देंगे। इसकी बजाय मुआवजा देने की जिम्मेदारी से भागते हुए यह आधारहीन याचिका दाखिल कर दी गई। कोर्ट ने कहा कि अब प्रशासन यह समझ ले कि यदि इस प्रकार की याचिकाएं दाखिल की गई तो उन्हें जुर्माने केलिए तैयार रहना होगा।

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