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BJP Vs. JJP: क्या हरियाणा में भी दोहराया जा सकता है महाराष्ट्र जैसे प्रयोग? समझिए सियासी हालात

महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच हरियाणा के राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं होने लगी हैं. इन दिनों सूबे में एक चर्चा जोरों पर है कि क्या हरियाणा में भी महाराष्ट्र जैसा खेल हो सकता है. BJP-JJP में तकरार की खबरों के बीच प्रदेश में गठबंधन सरकार किस परिस्थिति में काम कर रही है. इसे जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर... (politics on bjp jjp alliance in haryana)

Haryana politics similar as Maharashtra politics
हरियाणा में है महाराष्ट्र जैसे राजनीतिक हालात
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Published : Jul 5, 2023, 11:28 AM IST

Updated : Jul 5, 2023, 4:55 PM IST

चंडीगढ़: महाराष्ट्र में पहले शिवसेना और अब NCP में टूट के बाद देश के कई राज्यों में इसको लेकर चर्चाएं हो रही हैं. खासतौर पर उन राज्यों में चर्चा जोरों पर हैं, जहां बीजेपी ने अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई है. हरियाणा भी उन्हीं राज्यों में से एक है, जहां पर बीजेपी की गठबंधन की सरकार चल रही है. हरियाणा में भले ही बीजेपी के नेताओं ने गठबंधन को तोड़ने की बात कई बार की हो, लेकिन अभी तक यह बात सार्वजनिक नहीं है कि बीजेपी ने कभी भी जेजेपी के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की.

ये भी पढ़ें: आखिर क्यों चौधरी वीरेंद्र सिंह BJP बीजेपी को JJP से गठबंधन तोड़ने की सलाह दे रहे हैं, क्या हैं इसके मायने?

हरियाणा में 2019 से बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार: 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. इस चुनाव में 40 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. जबकि, जननायक जनता पार्टी के 10 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे. ऐसे में बीजेपी और जेजेपी के बीच सरकार चलाने के लिए गठबंधन हुआ. हालांकि इन 4 सालों में कई बार गठबंधन टूटने की बातें सामने आईं, लेकिन गठबंधन अभी भी चल रहा है. हांलाकि पिछले महीने गठबंधन में तकरार की खबरों के बीच भाजपा के हरियाणा प्रभारी बिप्लब देब ने निर्दलीय विधायकों से मुलाकातें जरूर की.

JJP के कई विधायक हुए पार्टी के खिलाफ, क्या BJP ने उठाया फायदा?: हरियाणा में बीते 4 सालों से बीजेपी और जेजेपी गठबंधन वाली सरकार चल रही है. इस बीच जेजेपी के कई विधायक पार्टी से भी नाराज रहे और उन्होंने अपनी नाराजगी सार्वजनिक मंच पर भी जाहिर की. नाराज होने वाले विधायकों में राम कुमार गौतम, रामनिवास सुरजा खेड़ा और मौजूदा कैबिनेट मंत्री देवेंद्र बबली भी शामिल थे. इन नेताओं ने जब सीएम मनोहर लाल से कोई भी सहयोग मांगा तो उन्होंने जेजेपी विधायकों का साथ दिया. इस वजह से कई बार राजनीतिक गलियारों में इन विधायकों के बीजेपी के पाले में जाने की चर्चाएं भी हुईं. जब जेजेपी विधायक अपनी नाराजगी पब्लिक प्लेटफॉर्म में जाहिर कर रहे थे, तो कयास लगाए जाते रहे कि जेजेपी विधायक टूट कर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. लेकिन, इन चार सालों में कभी ऐसा कुछ नहीं हुआ. भले ही जेजेपी के नाराज विधायकों की बीजेपी से नजदीकियां रहीं, बावजूद इसके बीजेपी ने उन्हें अपने पाले में शामिल नहीं किया.

ये भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी और जेजेपी की अलग-अलग तैयारी, क्या नहीं होगा गठबंधन?

गठबंधन मजबूत तो क्या जरूरत: अब सवाल यह है कि महाराष्ट्र की तरह क्या हरियाणा में हालात बन सकते हैं? अगर हरियाणा में बीजेपी इस तरह का कदम उठाए तो इसके क्या सियासी परिणाम होंगे? इस मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि, हरियाणा में राजनीतिक परिस्थितियां महाराष्ट्र से भिन्न हैं. हरियाणा में पहले से ही बीजेपी को जेजेपी का साथ मिल रहा है और गठबंधन की सरकार पूरी मेजोरिटी के साथ है. इतना ही नहीं हरियाणा में निर्दलीय विधायकों का भी बाहर से सरकार को समर्थन है. वे कहते हैं कि महाराष्ट्र जैसे हालात तब बन सकते थे, अगर सरकार से जेजेपी साथ छोड़ देती या कोई अन्य राजनीतिक हालात बनते. लेकिन, यहां दोनों दल गठबंधन के सहयोगी की तरह काम कर रहे हैं और इसलिए वह परिस्थितियां यहां ना तो पहले थीं और ना ही वर्तमान में दिखाई देती है. वे कहते हैं कि हरियाणा में इस तरह के हालात नहीं हैं, इसलिए उसके सियासी मायने निकालना भी सही नहीं है.

हरियाणा में दोनों के बीच गठबंधन में कभी उस तरह की ना खटास रही और ना ही राजनीतिक जरूरत. भले ही आज के दौर में गठबंधन तोड़ने की बातें हो रही हों, लेकिन फिर भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस संबंध में कभी कोई बयान नहीं दिया है. जिससे यह जाहिर होता है कि गठबंधन सही से चल रहा है. - प्रोफेसर गुरमीत सिंह, राजनीतिक मामलों के जानकार

जेजेपी ने बीजेपी को दी क्लीन चिट: क्या कभी बीजेपी ने जेजेपी के विधायकों को तोड़ने का प्रयास किया? इस सवाल के जवाब में जेजेपी के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला कहते हैं कि, उन्हें कभी भी ऐसा नहीं लगा कि बीजेपी ने उनके विधायकों को तोड़ने का किसी तरह का प्रयास किया हो. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, बीजेपी की ओर से कभी इस तरह की कोशिश नहीं हुई.

ये भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी और कांग्रेस की तैयारी, जानिए कौन कहां पड़ रही भारी?

बीजेपी बोली-यहां परिस्थितियां अलग: बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण अत्रे कहते हैं कि, महाराष्ट्र और हरियाणा की सियासत में और राजनीतिक हालातों में कोई मेल नहीं है. उन्होंने कहा कि, वहां की राजनीतिक परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं. प्रवीण अत्रे ने कहा कि, हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन कभी भी उन परिस्थितियों में नहीं रहा है, जिस परिस्थिति में महाराष्ट्र की राजनीति चल रही है. हरियाणा में दोनों ही दल सहयोगी के तौर पर काम कर रहे हैं. वे कहते हैं कि, भले ही जेजेपी के कुछ विधायकों की अपनी पार्टी से नाराजगी भी रही हो, बावजूद इसके कभी भी बीजेपी ने जेजेपी के विधायकों को तोड़ने की कोशिश नहीं की. हालांकि, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने उनको विधायक के तौर पर हमेशा विकास कार्यों में अपना पूरा सहयोग दिया है.

चंडीगढ़: महाराष्ट्र में पहले शिवसेना और अब NCP में टूट के बाद देश के कई राज्यों में इसको लेकर चर्चाएं हो रही हैं. खासतौर पर उन राज्यों में चर्चा जोरों पर हैं, जहां बीजेपी ने अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई है. हरियाणा भी उन्हीं राज्यों में से एक है, जहां पर बीजेपी की गठबंधन की सरकार चल रही है. हरियाणा में भले ही बीजेपी के नेताओं ने गठबंधन को तोड़ने की बात कई बार की हो, लेकिन अभी तक यह बात सार्वजनिक नहीं है कि बीजेपी ने कभी भी जेजेपी के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की.

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हरियाणा में 2019 से बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार: 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. इस चुनाव में 40 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. जबकि, जननायक जनता पार्टी के 10 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे. ऐसे में बीजेपी और जेजेपी के बीच सरकार चलाने के लिए गठबंधन हुआ. हालांकि इन 4 सालों में कई बार गठबंधन टूटने की बातें सामने आईं, लेकिन गठबंधन अभी भी चल रहा है. हांलाकि पिछले महीने गठबंधन में तकरार की खबरों के बीच भाजपा के हरियाणा प्रभारी बिप्लब देब ने निर्दलीय विधायकों से मुलाकातें जरूर की.

JJP के कई विधायक हुए पार्टी के खिलाफ, क्या BJP ने उठाया फायदा?: हरियाणा में बीते 4 सालों से बीजेपी और जेजेपी गठबंधन वाली सरकार चल रही है. इस बीच जेजेपी के कई विधायक पार्टी से भी नाराज रहे और उन्होंने अपनी नाराजगी सार्वजनिक मंच पर भी जाहिर की. नाराज होने वाले विधायकों में राम कुमार गौतम, रामनिवास सुरजा खेड़ा और मौजूदा कैबिनेट मंत्री देवेंद्र बबली भी शामिल थे. इन नेताओं ने जब सीएम मनोहर लाल से कोई भी सहयोग मांगा तो उन्होंने जेजेपी विधायकों का साथ दिया. इस वजह से कई बार राजनीतिक गलियारों में इन विधायकों के बीजेपी के पाले में जाने की चर्चाएं भी हुईं. जब जेजेपी विधायक अपनी नाराजगी पब्लिक प्लेटफॉर्म में जाहिर कर रहे थे, तो कयास लगाए जाते रहे कि जेजेपी विधायक टूट कर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. लेकिन, इन चार सालों में कभी ऐसा कुछ नहीं हुआ. भले ही जेजेपी के नाराज विधायकों की बीजेपी से नजदीकियां रहीं, बावजूद इसके बीजेपी ने उन्हें अपने पाले में शामिल नहीं किया.

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गठबंधन मजबूत तो क्या जरूरत: अब सवाल यह है कि महाराष्ट्र की तरह क्या हरियाणा में हालात बन सकते हैं? अगर हरियाणा में बीजेपी इस तरह का कदम उठाए तो इसके क्या सियासी परिणाम होंगे? इस मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि, हरियाणा में राजनीतिक परिस्थितियां महाराष्ट्र से भिन्न हैं. हरियाणा में पहले से ही बीजेपी को जेजेपी का साथ मिल रहा है और गठबंधन की सरकार पूरी मेजोरिटी के साथ है. इतना ही नहीं हरियाणा में निर्दलीय विधायकों का भी बाहर से सरकार को समर्थन है. वे कहते हैं कि महाराष्ट्र जैसे हालात तब बन सकते थे, अगर सरकार से जेजेपी साथ छोड़ देती या कोई अन्य राजनीतिक हालात बनते. लेकिन, यहां दोनों दल गठबंधन के सहयोगी की तरह काम कर रहे हैं और इसलिए वह परिस्थितियां यहां ना तो पहले थीं और ना ही वर्तमान में दिखाई देती है. वे कहते हैं कि हरियाणा में इस तरह के हालात नहीं हैं, इसलिए उसके सियासी मायने निकालना भी सही नहीं है.

हरियाणा में दोनों के बीच गठबंधन में कभी उस तरह की ना खटास रही और ना ही राजनीतिक जरूरत. भले ही आज के दौर में गठबंधन तोड़ने की बातें हो रही हों, लेकिन फिर भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस संबंध में कभी कोई बयान नहीं दिया है. जिससे यह जाहिर होता है कि गठबंधन सही से चल रहा है. - प्रोफेसर गुरमीत सिंह, राजनीतिक मामलों के जानकार

जेजेपी ने बीजेपी को दी क्लीन चिट: क्या कभी बीजेपी ने जेजेपी के विधायकों को तोड़ने का प्रयास किया? इस सवाल के जवाब में जेजेपी के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला कहते हैं कि, उन्हें कभी भी ऐसा नहीं लगा कि बीजेपी ने उनके विधायकों को तोड़ने का किसी तरह का प्रयास किया हो. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, बीजेपी की ओर से कभी इस तरह की कोशिश नहीं हुई.

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बीजेपी बोली-यहां परिस्थितियां अलग: बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण अत्रे कहते हैं कि, महाराष्ट्र और हरियाणा की सियासत में और राजनीतिक हालातों में कोई मेल नहीं है. उन्होंने कहा कि, वहां की राजनीतिक परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं. प्रवीण अत्रे ने कहा कि, हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन कभी भी उन परिस्थितियों में नहीं रहा है, जिस परिस्थिति में महाराष्ट्र की राजनीति चल रही है. हरियाणा में दोनों ही दल सहयोगी के तौर पर काम कर रहे हैं. वे कहते हैं कि, भले ही जेजेपी के कुछ विधायकों की अपनी पार्टी से नाराजगी भी रही हो, बावजूद इसके कभी भी बीजेपी ने जेजेपी के विधायकों को तोड़ने की कोशिश नहीं की. हालांकि, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने उनको विधायक के तौर पर हमेशा विकास कार्यों में अपना पूरा सहयोग दिया है.

Last Updated : Jul 5, 2023, 4:55 PM IST
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