चंडीगढ़: केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को और मजबूत करने के लिए सोमवार, 27 सितंबर को किसान संगठनों ने भारत बंद (Farmer Bharat Bandh) का आह्वान किया है. संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) के नेतृत्व के तहत 40 किसान संगठनों ने 27 सितंबर को भारत बंद करने की लोगों से अपील की है. वहीं हरियाणा पुलिस ने विभिन्न किसान संगठनों द्वारा 27 सितंबर को दिए गए भारत बंद के राष्ट्रव्यापी आह्वान के मद्देनजर एक एडवाइजरी जारी कर कहा है कि इस दिन नागरिकों को राज्य की विभिन्न सड़कों और राजमार्गों पर यातायात अवरोध का सामना करना पड़ सकता है.
हरियाणा पुलिस के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार हरियाणा में नागरिक और पुलिस प्रशासन द्वारा व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं. इन व्यवस्थाओं का प्राथमिक उद्देश्य सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखना, किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकना और राज्य भर में यातायात और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम के कामकाज को सुविधाजनक बनाना है.
किसान संगठनों द्वारा 27 सितंबर को सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक राज्य व राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने का आह्वान किया गया है.
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रिपोर्टों के अनुसार उम्मीद है कि आंदोलनकारी समूह विभिन्न सड़कों और राजमार्गों पर धरने पर बैठ सकते हैं और उन्हें कुछ समय के लिए रोक सकते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर कई घंटों तक यातायात बाधित हो सकता है. सभी नागरिकों को इन व्यवस्थाओं के बारे में अग्रिम रूप से सूचित किया जा रहा है ताकि वे किसी भी असुविधा से बचने के लिए अपनी यात्रा की योजना बनाते हुए तदानुसार संशोधित कर सकें.
सभी जिलों को इस संबंध में आवश्यक प्रबंध करने के लिए भी कहा गया है. हरियाणा पुलिस ने किसानों से कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़े बिना शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने की अपील की. हरियाणा पुलिस की ओर से कहा गया कि बंद के आह्वान की आड़ में सार्वजनिक व्यवस्था में खलल डालने की कोशिश करने वाले तत्वों के खिलाफ कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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गौरतलब है कि बीते साल 26 नवंबर से तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन चल रहा है. सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने अपने मोर्चे लगाए हुए हैं. किसानों का साफ कहना है कि कानूनों के रद्द होने तक वो वापस नहीं लौटेंगे. वहीं सरकार अभी भी अपने फैसले पर बनी हुई है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ये कह चुके हैं कि कानून रद्द नहीं होंगे, अगर किसान चाहें तो सरकार बातचीत दोबारा शुरू कर सकती है.