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हरियाणा ने भी चंडीगढ़ पर जताया हक, विधानसभा में सर्वसम्मति से संकल्प पारित - Haryana news in hindi

मंगलवार को हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने संकल्प प्रस्ताव पेश (Haryana Sankalp Resolution on Chandigarh) किया. जिसमें चंडीगढ़ मुद्दे, SYL और हिंदी भाषी क्षेत्रों पर चर्चा हुई. साथ ही सीएम द्वारा पेश किया गया प्रस्ताव सदन में सर्वसम्मति से पास हो गया.

Haryana Resolution on Chandigarh
Haryana Resolution on Chandigarh
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Published : Apr 5, 2022, 7:06 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा चंडीगढ़ पर हरियाणा के हक के लिए लाया गया संकल्प प्रस्ताव हरियाणा विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हो (Haryana Resolution on Chandigarh) गया. विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में पूरे सदन ने मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव का खुलकर समर्थन किया. इस दौरान सभी विधायकों ने पंजाब में चंडीगढ़ को लेकर पारित किए गए प्रस्ताव की निंदा की. सीएम मनोहर लाल ने मंगलवार को चंडीगढ़ पर हरियाणा के हक के लिए लाया गया संकल्प प्रस्ताव हरियाणा विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हो गया.

विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में (Haryana Assembly Special Session) पूरे सदन ने मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव का खुलकर समर्थन किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि चंडीगढ़ पर हरियाणा का अधिकार है. इसके साथ ही एसवाईएल का पानी निश्चित तौर पर हरियाणा को मिलेगा. इसके साथ-साथ सीएम मनोहर लाल ने विधानसभा में पंजाब में शामिल हिंदी भाषी गांवों का मुद्दा भी उठाया. मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा विधानसभा का यह विशेष सत्र चंडीगढ़ पर अपने हक के लिए लाए गए संकल्प प्रस्ताव को पास करने के लिए बुलाया गया है. 3 घंटे तक विधानसभा में चली चर्चा के दौरान सत्ता और विपक्ष के करीब 25 विधायकों ने इस प्रस्ताव के समर्थन में विचार रखे. सदन में संकल्प प्रस्ताव के दौरान निम्मलिखित बातों पर चर्चा हुई-

कंदुखेड़ा को प्रयत्नपूर्वक पंजाब में शामिल किया- संकल्प प्रस्ताव पर बोलते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि बंटवारे के लिए 23 अप्रैल 1966 को बनाए गए शाह कमीशन ने तो खरड़ क्षेत्र के हिंदी भाषी गांव और चंडीगढ़ को हरियाणा को देने के लिए कहा था, लेकिन 9 जून 1966 को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दोनों राज्यों की राजधानी बनाया गया. इसके बाद अलग-अलग समझौते हुए, लेकिन इसका समाधान नहीं हुआ. मुख्यमंत्री ने कहा कि बंटवारे के वक्त पंजाब ने हिंदी भाषी गांव कंदुखेड़ा को प्रयत्नपूर्वक पंजाबी भाषी बनाकर अपने में शामिल कर लिया था. उस गांव के लोगों को न जाने क्या-क्या वायदे किए गए थे. आज अखबारों में अलग-अलग रिपोर्ट प्रकाशित हो रही हैं कि उस गांव के लोगों को कुछ नहीं मिला.

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ किसका है? जानिए शाह कमीशन से लेकर लोंगोवाल समझौते तक की पूरी कहानी

'SYL पर एग्जीक्यूशन ऑर्डर का इंतजार'- मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा को एसवाईएल का पानी निश्चित तौर पर मिलेगा. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ी जा रही है. जल्द सुप्रीम कोर्ट से एसवाईएल के फैसले पर एग्जीक्यूशन ऑर्डर लिया जाएगा, ताकि नहर को बनाने की जिम्मेदारी केंद्र, पंजाब या किसी अन्य संस्था को मिले. सीएम ने कहा कि सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण द्वारा रावी और ब्यास नदियों के पानी में हिस्सा पाने का हरियाणा का अधिकार ऐतिहासिक, कानूनी, न्यायिक और संवैधानिक रूप से बहुत समय से स्थापित है. सदन ने एसवाईएल जल्द से जल्द पूरा करने के लिए सात बार प्रस्ताव पास किए हैं. कई अनुबंधों, समझौतों, ट्रिब्यूनल के निष्कर्षों और देश के सर्वोच्च न्यायलय के फैसलों में भी पानी पर हरियाणा के दावे को बरकरार रखा है. 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा को एसवाईएल का पानी मिलने को लेकर फैसला दिया था. अब एसवाईएल पर एग्जीक्यूशन ऑर्डर का इंतजार है.

BBMB में हरियाणा की सदस्यता पूर्व की तरह रहे- भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में हरियाणा-पंजाब की सदस्यता पूर्व की तरह रहनी चाहिए. इस संबंध में उन्होंने केंद्र को तीन बार पत्र लिखे हैं. पहला पत्र 19 अप्रैल 2021 को, दूसरा पत्र 22 सितंबर 2021 को और तीसरा पत्र 1 मार्च 2022 को लिखा है. केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में बीबीएमबी में पूर्वकालिक सदस्यों की नियुक्ति पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की भावना के खिलाफ है. केंद्र सरकार द्वारा बीबीएमबी को बिजली विभाग की बजाए सिंचाई विभाग में लेना चाहिए.

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे के खिलाफ हरियाणा विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास

चंडीगढ़ प्रशासन में हरियाणा के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर चिंता- सीएम ने चंडीगढ़ में हरियाणा सरकार के अधिकारियों की घटती प्रतिनियुक्ति पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन में हरियाणा सरकार से प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले अधिकारियों की हिस्सेदारी भी कम हो रही है. इसे पूरा किया जाना चाहिए.

केंद्र सरकार से आग्रह- मुख्यमंत्री ने संकल्प प्रस्ताव में केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि ऐसा कोई कदम न उठाए, जिससे मौजूदा संतुलन बिगड़ जाए और जब तक पंजाब पुनर्गठन से उत्पन्न मुद्दों का समाधान न हो जाए, तब तक सद्भाव बना रहे. प्रस्ताव के माध्यम से समूचे सदन ने केंद्र से यह भी आग्रह किया है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की अनुपालना में एसवाईएल लिंक नहर के लिए निर्माण के लिए उचित उपाय करें. साथ ही केंद्र सरकार से पंजाब सरकार पर अपना मामला वापस लेने का दबाव बनाने और हरियाणा में पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पानी ले जाने और समान वितरण के लिए हांसी-बुटाणा नहर की अनुमति देने का आग्रह किया.

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चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा चंडीगढ़ पर हरियाणा के हक के लिए लाया गया संकल्प प्रस्ताव हरियाणा विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हो (Haryana Resolution on Chandigarh) गया. विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में पूरे सदन ने मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव का खुलकर समर्थन किया. इस दौरान सभी विधायकों ने पंजाब में चंडीगढ़ को लेकर पारित किए गए प्रस्ताव की निंदा की. सीएम मनोहर लाल ने मंगलवार को चंडीगढ़ पर हरियाणा के हक के लिए लाया गया संकल्प प्रस्ताव हरियाणा विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हो गया.

विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में (Haryana Assembly Special Session) पूरे सदन ने मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव का खुलकर समर्थन किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि चंडीगढ़ पर हरियाणा का अधिकार है. इसके साथ ही एसवाईएल का पानी निश्चित तौर पर हरियाणा को मिलेगा. इसके साथ-साथ सीएम मनोहर लाल ने विधानसभा में पंजाब में शामिल हिंदी भाषी गांवों का मुद्दा भी उठाया. मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा विधानसभा का यह विशेष सत्र चंडीगढ़ पर अपने हक के लिए लाए गए संकल्प प्रस्ताव को पास करने के लिए बुलाया गया है. 3 घंटे तक विधानसभा में चली चर्चा के दौरान सत्ता और विपक्ष के करीब 25 विधायकों ने इस प्रस्ताव के समर्थन में विचार रखे. सदन में संकल्प प्रस्ताव के दौरान निम्मलिखित बातों पर चर्चा हुई-

कंदुखेड़ा को प्रयत्नपूर्वक पंजाब में शामिल किया- संकल्प प्रस्ताव पर बोलते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि बंटवारे के लिए 23 अप्रैल 1966 को बनाए गए शाह कमीशन ने तो खरड़ क्षेत्र के हिंदी भाषी गांव और चंडीगढ़ को हरियाणा को देने के लिए कहा था, लेकिन 9 जून 1966 को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दोनों राज्यों की राजधानी बनाया गया. इसके बाद अलग-अलग समझौते हुए, लेकिन इसका समाधान नहीं हुआ. मुख्यमंत्री ने कहा कि बंटवारे के वक्त पंजाब ने हिंदी भाषी गांव कंदुखेड़ा को प्रयत्नपूर्वक पंजाबी भाषी बनाकर अपने में शामिल कर लिया था. उस गांव के लोगों को न जाने क्या-क्या वायदे किए गए थे. आज अखबारों में अलग-अलग रिपोर्ट प्रकाशित हो रही हैं कि उस गांव के लोगों को कुछ नहीं मिला.

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'SYL पर एग्जीक्यूशन ऑर्डर का इंतजार'- मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा को एसवाईएल का पानी निश्चित तौर पर मिलेगा. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ी जा रही है. जल्द सुप्रीम कोर्ट से एसवाईएल के फैसले पर एग्जीक्यूशन ऑर्डर लिया जाएगा, ताकि नहर को बनाने की जिम्मेदारी केंद्र, पंजाब या किसी अन्य संस्था को मिले. सीएम ने कहा कि सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण द्वारा रावी और ब्यास नदियों के पानी में हिस्सा पाने का हरियाणा का अधिकार ऐतिहासिक, कानूनी, न्यायिक और संवैधानिक रूप से बहुत समय से स्थापित है. सदन ने एसवाईएल जल्द से जल्द पूरा करने के लिए सात बार प्रस्ताव पास किए हैं. कई अनुबंधों, समझौतों, ट्रिब्यूनल के निष्कर्षों और देश के सर्वोच्च न्यायलय के फैसलों में भी पानी पर हरियाणा के दावे को बरकरार रखा है. 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा को एसवाईएल का पानी मिलने को लेकर फैसला दिया था. अब एसवाईएल पर एग्जीक्यूशन ऑर्डर का इंतजार है.

BBMB में हरियाणा की सदस्यता पूर्व की तरह रहे- भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में हरियाणा-पंजाब की सदस्यता पूर्व की तरह रहनी चाहिए. इस संबंध में उन्होंने केंद्र को तीन बार पत्र लिखे हैं. पहला पत्र 19 अप्रैल 2021 को, दूसरा पत्र 22 सितंबर 2021 को और तीसरा पत्र 1 मार्च 2022 को लिखा है. केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में बीबीएमबी में पूर्वकालिक सदस्यों की नियुक्ति पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की भावना के खिलाफ है. केंद्र सरकार द्वारा बीबीएमबी को बिजली विभाग की बजाए सिंचाई विभाग में लेना चाहिए.

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चंडीगढ़ प्रशासन में हरियाणा के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर चिंता- सीएम ने चंडीगढ़ में हरियाणा सरकार के अधिकारियों की घटती प्रतिनियुक्ति पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन में हरियाणा सरकार से प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले अधिकारियों की हिस्सेदारी भी कम हो रही है. इसे पूरा किया जाना चाहिए.

केंद्र सरकार से आग्रह- मुख्यमंत्री ने संकल्प प्रस्ताव में केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि ऐसा कोई कदम न उठाए, जिससे मौजूदा संतुलन बिगड़ जाए और जब तक पंजाब पुनर्गठन से उत्पन्न मुद्दों का समाधान न हो जाए, तब तक सद्भाव बना रहे. प्रस्ताव के माध्यम से समूचे सदन ने केंद्र से यह भी आग्रह किया है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की अनुपालना में एसवाईएल लिंक नहर के लिए निर्माण के लिए उचित उपाय करें. साथ ही केंद्र सरकार से पंजाब सरकार पर अपना मामला वापस लेने का दबाव बनाने और हरियाणा में पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पानी ले जाने और समान वितरण के लिए हांसी-बुटाणा नहर की अनुमति देने का आग्रह किया.

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