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ये आंदोलन नहीं गदर है, आंदोलन में लोग लाठी और तलवारें लेकर नहीं आते- विज

किसान आंदोलन (farmer protest) को लेकर हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज (anil vij) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने किसान आंदोलन को गदर करार दिया है.

anil vij on farmer protest
haryana minister anil vij
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Published : Sep 14, 2021, 10:20 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज (anil vij) ने मंगलवार को एक बार फिर किसान आंदोलन (farmer protest) पर निशाना साधा है. अनिल विज ने किसान आंदोलन को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस आंदोलन को अब आंदोलन नहीं कहा जा सकता, इसे गदर कहा जा सकता है या इसे कोई और नाम दिया जा सकता है, लेकिन ये आंदोलन तो बिल्कुल भी नहीं है. क्योंकि आंदोलन में लोग प्रदर्शन करते हैं, भूख हड़ताल करते हैं सरकार के खिलाफ विरोध जताते हैं, लेकिन आंदोलन में आंदोलनकारी लाठी और तलवारें लेकर नहीं आते.

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे कई आंदोलन हुए हैं जिसमें लोगों ने भूख हड़ताल की. कई लोगों ने भूख हड़ताल की वजह से अपनी जान तक दे दी इसलिए इस आंदोलन को तो आंदोलन नहीं कहा जा सकता. इस आंदोलन को अब गदर कहा जा सकता है. अनिल विज यहीं नहीं रूके उन्होंने पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी नसीहत दे डाली. कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा दिए गए बयान को लेकर अनिल विज ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर ये बोल रहे हैं कि किसान जो भी करना चाहते हैं, हरियाणा और दिल्ली में जाकर करें. एक मुख्यमंत्री के तौर पर उनका यह बयान बेहद गैर जिम्मेदाराना है.

सुनिए गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का बयान

ये भी पढ़ें- राजनीतिक हो गया किसान आंदोलन, सरकार आज भी बातचीत के लिए तैयार-ओपी धनखड़

विज ने कहा कि उनके इस बयान से यह साफ हो जाता है कि है आंदोलन उनके द्वारा ही खड़ा किया गया है और वह इस आंदोलन के जरिए अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं पूरी करना चाहते हैं. बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को पंजाब के होशियारपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए किसानों से कहा कि पंजाब में 113 स्थानों पर चल रहे उनके आंदोलन से राज्य का आर्थिक विकास बाधित हो रहा है और इसलिए वे दिल्ली की सीमाओं पर जाकर केंद्र पर दबाव बनाएं. मैं किसान भाइयों से कहना चाहता हूं कि ये आपका पंजाब है, आपके गांव हैं, आपके लोग हैं. आप दिल्ली (सीमा) पर जो करना चाहते हैं, वह करें, उनपर (केंद्र) दबाव बनाएं और उन्हें सहमत करें.

गौरतलब है कि बीते साल 26 नवंबर से तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन चल रहा है. सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने अपने मोर्चे लगाए हुए हैं. किसानों का साफ कहना है कि कानूनों के रद्द होने तक वो वापस नहीं लौटेंगे. वहीं सरकार अभी भी अपने फैसले पर बनी हुई है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ये कह चुके हैं कि कानून रद्द नहीं होंगे, अगर किसान चाहें तो सरकार बातचीत दोबारा शुरू कर सकती है.

ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा और पंजाब में सियासत गरमाई, अमरिंदर सिंह पर किसानों को भड़काने का आरोप

चंडीगढ़: हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज (anil vij) ने मंगलवार को एक बार फिर किसान आंदोलन (farmer protest) पर निशाना साधा है. अनिल विज ने किसान आंदोलन को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस आंदोलन को अब आंदोलन नहीं कहा जा सकता, इसे गदर कहा जा सकता है या इसे कोई और नाम दिया जा सकता है, लेकिन ये आंदोलन तो बिल्कुल भी नहीं है. क्योंकि आंदोलन में लोग प्रदर्शन करते हैं, भूख हड़ताल करते हैं सरकार के खिलाफ विरोध जताते हैं, लेकिन आंदोलन में आंदोलनकारी लाठी और तलवारें लेकर नहीं आते.

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे कई आंदोलन हुए हैं जिसमें लोगों ने भूख हड़ताल की. कई लोगों ने भूख हड़ताल की वजह से अपनी जान तक दे दी इसलिए इस आंदोलन को तो आंदोलन नहीं कहा जा सकता. इस आंदोलन को अब गदर कहा जा सकता है. अनिल विज यहीं नहीं रूके उन्होंने पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी नसीहत दे डाली. कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा दिए गए बयान को लेकर अनिल विज ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर ये बोल रहे हैं कि किसान जो भी करना चाहते हैं, हरियाणा और दिल्ली में जाकर करें. एक मुख्यमंत्री के तौर पर उनका यह बयान बेहद गैर जिम्मेदाराना है.

सुनिए गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का बयान

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विज ने कहा कि उनके इस बयान से यह साफ हो जाता है कि है आंदोलन उनके द्वारा ही खड़ा किया गया है और वह इस आंदोलन के जरिए अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं पूरी करना चाहते हैं. बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को पंजाब के होशियारपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए किसानों से कहा कि पंजाब में 113 स्थानों पर चल रहे उनके आंदोलन से राज्य का आर्थिक विकास बाधित हो रहा है और इसलिए वे दिल्ली की सीमाओं पर जाकर केंद्र पर दबाव बनाएं. मैं किसान भाइयों से कहना चाहता हूं कि ये आपका पंजाब है, आपके गांव हैं, आपके लोग हैं. आप दिल्ली (सीमा) पर जो करना चाहते हैं, वह करें, उनपर (केंद्र) दबाव बनाएं और उन्हें सहमत करें.

गौरतलब है कि बीते साल 26 नवंबर से तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन चल रहा है. सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने अपने मोर्चे लगाए हुए हैं. किसानों का साफ कहना है कि कानूनों के रद्द होने तक वो वापस नहीं लौटेंगे. वहीं सरकार अभी भी अपने फैसले पर बनी हुई है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ये कह चुके हैं कि कानून रद्द नहीं होंगे, अगर किसान चाहें तो सरकार बातचीत दोबारा शुरू कर सकती है.

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