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खेमका जैसे ईमानदार अधिकारियों को सरंक्षण दिया जाना बेहद जरुरी है: हाई कोर्ट

सोमवार के दिन हरियाणा हाईकोर्ट में एक अहम याचिका पर सुनवाई हुई. आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने अपनी एसीआर रिपोर्ट को लेकर कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. याचिका पर कोर्ट ने अपने 10 पेज के आदेश में प्रदेश सरकार को फटकार लगाई और फैसले पर अपनी मुहर लगाई.

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Published : Mar 18, 2019, 8:39 PM IST

अशोक खेमका, आईएएस

चंडीगढ़: जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस कुलदीप सिंह की खंडपीठ ने अशोक खेमका की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि खेमका जैसे अधिकारियों को संरक्षण दिया जाना बेहद जरुरी है. दरअसल मामला था कि वर्ष 2016-17 के लिए 2017 में खेमका ने अपना अप्रेजल भरा था.

आपको बता दें कि उनके इस अप्रेजल पर मुख्य सचिव डी.एस. ढेसी ने उन्हें 10 में से 8.22 अंक दिए थे. इसके बाद मंत्री अनिल विज ने उन्हें 10 में से 9.92 अंक देते हुए टिप्पणी की है कि कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने पिछले तीन वर्षों में 20 से अधिक आई.ए.एस. अफसरों के साथ काम किया और उनका काम बेहतर रहा है. इसके बाद ये अप्रेजल रिपोर्ट 31 दिसंबर 2017 को मुख्यमंत्री के पास पहुंची. आपको बता दें मुख्यमंत्री ने खेमका के अंक कम करते हुए उन्हें 10 में से 9 अंक दिए. साथ ही उन्होंने अपनी टिप्पणी करते हुए कहा कि विज की रिपोर्ट में खेमका के बारे में कुछ ज्यादा ही वर्णन किया गया है.

ashok khemka, IAS
अशोक खेमका, आईएएस

इसके बाद अशोक खेमका अंक कम करने और इस टिप्पणी को रद्द किये जाने की मांग को लेकर कैट में याचिका दायर की थी, लेकिन कैट ने उनकी यह याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद खेमका ने कैट के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि कैट के फैसले को रद्द किया जाए और उनकी एसीआर में की गई मुख्यमंत्री की टिप्पणी को भी रद्द किया जाए. साथ ही उनके अंक वापस से 9.92 किए जाएं.

हाई कोर्ट ने आज खेमका के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने उनके अंक कम किए जाने पर कोई तथ्य नहीं दिया. साथ ही कोर्ट ने कहा कि खेमका जैसे अफसरों की देश को जरुरत है. कोर्ट ने ये भी कहा कि जिस समय हमारी राजनैतिक, सामाजिक और प्रशासकीय व्यवस्था में बड़ी तेजी से ईमानदारी और सत्यनिष्ठा का पतन होता जा रहा है, ऐसे माहौल में ईमानदार अधिकारीयों को संरक्षण दिया जाना बेहद जरुरी है.

चंडीगढ़: जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस कुलदीप सिंह की खंडपीठ ने अशोक खेमका की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि खेमका जैसे अधिकारियों को संरक्षण दिया जाना बेहद जरुरी है. दरअसल मामला था कि वर्ष 2016-17 के लिए 2017 में खेमका ने अपना अप्रेजल भरा था.

आपको बता दें कि उनके इस अप्रेजल पर मुख्य सचिव डी.एस. ढेसी ने उन्हें 10 में से 8.22 अंक दिए थे. इसके बाद मंत्री अनिल विज ने उन्हें 10 में से 9.92 अंक देते हुए टिप्पणी की है कि कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने पिछले तीन वर्षों में 20 से अधिक आई.ए.एस. अफसरों के साथ काम किया और उनका काम बेहतर रहा है. इसके बाद ये अप्रेजल रिपोर्ट 31 दिसंबर 2017 को मुख्यमंत्री के पास पहुंची. आपको बता दें मुख्यमंत्री ने खेमका के अंक कम करते हुए उन्हें 10 में से 9 अंक दिए. साथ ही उन्होंने अपनी टिप्पणी करते हुए कहा कि विज की रिपोर्ट में खेमका के बारे में कुछ ज्यादा ही वर्णन किया गया है.

ashok khemka, IAS
अशोक खेमका, आईएएस

इसके बाद अशोक खेमका अंक कम करने और इस टिप्पणी को रद्द किये जाने की मांग को लेकर कैट में याचिका दायर की थी, लेकिन कैट ने उनकी यह याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद खेमका ने कैट के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि कैट के फैसले को रद्द किया जाए और उनकी एसीआर में की गई मुख्यमंत्री की टिप्पणी को भी रद्द किया जाए. साथ ही उनके अंक वापस से 9.92 किए जाएं.

हाई कोर्ट ने आज खेमका के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने उनके अंक कम किए जाने पर कोई तथ्य नहीं दिया. साथ ही कोर्ट ने कहा कि खेमका जैसे अफसरों की देश को जरुरत है. कोर्ट ने ये भी कहा कि जिस समय हमारी राजनैतिक, सामाजिक और प्रशासकीय व्यवस्था में बड़ी तेजी से ईमानदारी और सत्यनिष्ठा का पतन होता जा रहा है, ऐसे माहौल में ईमानदार अधिकारीयों को संरक्षण दिया जाना बेहद जरुरी है.

Intro:खेमका की इमानदारी पर हाईकोर्ट ने भी लगाई मुहर
खेमका जैसे ईमानदार अधिकारीयों को सरंरक्षण दिया जाना बेहद ही जरुरी है : हाई कोर्ट


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चंड़ीगढ़
हाई कोर्ट ने अपने 10 पेज के आदेश में सरकार को लगाई फटकार खेमका की इमानदारी पर हाईकोर्ट ने भी लगाई मुहर ।कोर्ट ने कहा कि ऐसे ईमानदार अधिकारी को तंग करना ओर उसकी एसीआर में नकारात्मक टिप्पणी करना उचित नहीं है।
जस्टिस राजीव शर्मा एवं जस्टिस कुलदीप सिंह की खंडपीठ ने खेमका की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि खेमका जैसे ईमानदार अधिकारीयों को सरंरक्षण दिया जाना बेहद ही जरुरी है  । मुख्य मंत्री ने भी उनकी ए.सी.आर. में अंक कम करते हुए यह स्वीकार किया है कि खेमका एक ईमानदार और सत्यनिष्ठ अधिकारी हैं जो ईमानदारी के लिए देश भर में जाने जाते हैं लेकिन उनकी ए.सी.आर. में 10 में से 9.92 अंक को कम कर 9 अंक देते हुए कहीं भी यह नहीं बताया है कि किस आधार पर उनकी ए.सी.आर. में इन अंकों को कम किया गया है। बस इतना लिख दिया कि उनके बारे में मंत्री ने जरा ज्यादा भी बढ़ा-चढ़ा कर टिपण्णी की है यह टिपण्णी भी 184 दिनों के बाद की गई । वहीँ खेमका ने जब अंक कम करने और उन पर की गई इस टिपण्णी को हटाए जाने की रिप्रेजेंटेशन दी तो उनकी इस रिप्रेजेंटेशन पर कोई निर्णय ही नहीं लिया ।
हाई कोर्ट ने कहा कि जब हमारी राजनैतिक, सामाजिक और प्रशासकीय व्यवस्था में बड़ी तेजी से ईमानदारी और सत्यनिष्ठा का पतन होता जा रहा है ऐसे माहौल में ईमानदार अधिकारीयों को संरक्षण दिया जाना बेहद जरुरी है   ।बता दें कि अशोक खेमका ने वर्ष 2016-17 के लिए जून 2017 में अपना एप्रेजल भरा था। उनके इस अप्रेजल पर मुख्य सचिव डी.एस. ढेसी ने उन्हें 10 में से 8.22 अंक दिए थे। इसके बाद खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनिल विज ने उन्हें 10 में से 9.92 अंक देते हुए टिप्पणी की है कि कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने पिछले तीन वर्षों में 20 से अधिक आई.ए.एस. अफसरों के साथ काम किया और उनका काम बेहतर रहा है। वह देशभर में अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं और ऐसे अधिकारी युवा अधिकारीयों के लिए प्रेरणा हैं ।
लेकिन उनकी यह अप्रेजल रिपोर्ट 31 दिसंबर 2017 को मुख्य मंत्री के पास पहुंची तो मुख्यमंत्री ने खेमका के अंक कम करते हुए उन्हें 10 में से 9 अंक देते हुए इस पर अपनी टिपण्णी भी कर दी कि विज की रिपोर्ट में खेमका के बारे में कुछ ज्यादा ही वर्णन कर दिया गया है। खेमका ने अंक कम करने और इसी टिपण्णी के रद्द किये जाने की मांग को लेकर पहले कैट में याचिका दायर की थी कैट ने उनकी यह याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद खेमका ने कैट के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कैट के फैसले को रद्द कर उनकी ए.सी.आर. में की गई टिपण्णी को भी रद्द करते हुए और मंत्री द्वारा दिए 9.92 नंबर बहाल कराने की मांग की थी। 



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