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हरियाणा सरकार करेगी पुराने कचरे का निस्तारण, 262 करोड़ रुपये की राशि होगी खर्च - Legacy waste disposal in Haryana

हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा कि बायो-माइनिंग की दिशा में कार्य करते हुए राज्य सरकार द्वारा दिसंबर 2023 तक लिगेसी वेस्ट (पुराना कचरा) का निवारण किया जाएगा. प्रदेश में 101 लाख मीट्रिक टन पुराने कचरे की प्रोसेसिंग की जानी है. अब तक 38.74 लाख मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण (Legacy waste disposal in Haryana) किया जा चुका है और शेष 62.60 लाख मीट्रिक टन पुराने कचरे का निस्तारण करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

हरियाणा में लिगेसी वेस्ट का निस्तारण
हरियाणा में लिगेसी वेस्ट का निस्तारण
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Published : Nov 9, 2022, 9:42 PM IST

Updated : Nov 9, 2022, 10:21 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल (Chief Secretary Sanjeev Kaushal) ने बुधवार को चंडीगढ़ में बायो-माइनिंग से संबंधित एनजीटी के आदेशों की अनुपालना के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला उपायुक्तों, शहरी स्थानीय निकायों और नगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की निगरानी समिति के अध्यक्ष जस्टिस प्रीतम पाल और एनजीटी के सदस्य उर्वशी गुलाटी, शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरूण गुप्ता भी शामिल हुए.

मुख्य सचिव ने कहा कि लिगेसी वेस्टस (पुरना कचरा) के प्रसंस्करण (Legacy waste disposal in Haryana) पर लगभग 262 करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी. राज्य सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन-अर्बन के तहत आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय को 155 करोड़ रुपये की डिमांड भेजी है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पुराने कचरे के प्रसंस्करण के लिए बड़े प्लांट लगाने की बजाय छोटे-छोटे क्रशर लगाए जाएं. उन्होंने अंबाला, कैथल और यमुनानगर जिलों द्वारा कचरा प्रसंस्करण के कार्य में बेहतर प्रदर्शन करने पर उनकी प्रशंसा की और अन्य जिलों के अधिकारियों को अपने कार्य प्रदर्शन में तेजी लाने के निर्देश दिए.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की निगरानी समिति के अध्यक्ष जस्टिस प्रीतम पाल ने हरियाणा के अधिकारियों को ट्रिब्यूनल के दिशा निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. समिति के सदस्य और हरियाणा की पूर्व मुख्य सचिव उर्वशी गुलाटी ने कहा कि पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली में सुधार के लिए संयुक्त प्रयासों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास धरातल पर दिखाई देने चाहिए. ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के साथ-साथ घर-घर कचरा संग्रहण भी सुचारू रूप से किया जाना चाहिए.

बैठक में बताया गया कि अधिकांश डंपिंग साइट बस्ती या रिहायशी इलाकों से दूर हैं, फिर भी स्थानीय निकायों ने एहतियात के तौर पर कई कदम उठाए हैं. अधिकांश निकायों ने प्रोजेक्ट साइट की परिधि के साथ बाड़/चारदीवारी की है. इसके के अलावा, निकायों द्वारा नियमित रूप से डंपिंग साइट पर विभिन्न गतिविधियों की जांच की जा रही है. निकायों द्वारा समय-समय पर भूजल की गुणवत्ता का परीक्षण भी किया जा रहा है.

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल (Chief Secretary Sanjeev Kaushal) ने बुधवार को चंडीगढ़ में बायो-माइनिंग से संबंधित एनजीटी के आदेशों की अनुपालना के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला उपायुक्तों, शहरी स्थानीय निकायों और नगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की निगरानी समिति के अध्यक्ष जस्टिस प्रीतम पाल और एनजीटी के सदस्य उर्वशी गुलाटी, शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरूण गुप्ता भी शामिल हुए.

मुख्य सचिव ने कहा कि लिगेसी वेस्टस (पुरना कचरा) के प्रसंस्करण (Legacy waste disposal in Haryana) पर लगभग 262 करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी. राज्य सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन-अर्बन के तहत आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय को 155 करोड़ रुपये की डिमांड भेजी है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पुराने कचरे के प्रसंस्करण के लिए बड़े प्लांट लगाने की बजाय छोटे-छोटे क्रशर लगाए जाएं. उन्होंने अंबाला, कैथल और यमुनानगर जिलों द्वारा कचरा प्रसंस्करण के कार्य में बेहतर प्रदर्शन करने पर उनकी प्रशंसा की और अन्य जिलों के अधिकारियों को अपने कार्य प्रदर्शन में तेजी लाने के निर्देश दिए.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की निगरानी समिति के अध्यक्ष जस्टिस प्रीतम पाल ने हरियाणा के अधिकारियों को ट्रिब्यूनल के दिशा निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. समिति के सदस्य और हरियाणा की पूर्व मुख्य सचिव उर्वशी गुलाटी ने कहा कि पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली में सुधार के लिए संयुक्त प्रयासों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास धरातल पर दिखाई देने चाहिए. ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के साथ-साथ घर-घर कचरा संग्रहण भी सुचारू रूप से किया जाना चाहिए.

बैठक में बताया गया कि अधिकांश डंपिंग साइट बस्ती या रिहायशी इलाकों से दूर हैं, फिर भी स्थानीय निकायों ने एहतियात के तौर पर कई कदम उठाए हैं. अधिकांश निकायों ने प्रोजेक्ट साइट की परिधि के साथ बाड़/चारदीवारी की है. इसके के अलावा, निकायों द्वारा नियमित रूप से डंपिंग साइट पर विभिन्न गतिविधियों की जांच की जा रही है. निकायों द्वारा समय-समय पर भूजल की गुणवत्ता का परीक्षण भी किया जा रहा है.

Last Updated : Nov 9, 2022, 10:21 PM IST
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