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हरियाणा में बिक रहा पड़ोसी राज्यों का धान, ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य

पहले हरियाणा में बाहरी राज्य के किसानों की फसल नहीं खरीदी जाती थी, लेकिन अब नए कृषि कानूनों के आने के बाद कोई भी दूसरे राज्य का किसान हरियाणा में अपनी फसल बेच सकता है. दूसरे राज्यों के किसानों से फसल खरीदने की प्रक्रिया 5 अक्टूबर से शुरू हो गई है.

haryana government started buying paddy of neighboring states farmers
हरियाणा में बिक रहा पड़ोसी राज्यों का धान, ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य
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Published : Oct 6, 2020, 7:38 PM IST

चंडीगढ़: 'वन नेशन, वन मार्केट' के सपने को पूरा करने के लिए तीन कृषि कानूनों को लाया गया है. नए कानून के मुताबिक अब किसी भी राज्य का किसान किसी भी दूसरे राज्य में जाकर अपनी फसल बेच सकता है और इस कानून को सबसे पहले लागू करने वाला हरियाणा पहला राज्य बन गया है.

इससे पहले हरियाणा में बाहरी राज्य के किसानों की फसल नहीं खरीदी जाती थी, लेकिन अब नए कृषि कानूनों के आने के बाद कोई भी दूसरे राज्य का किसान हरियाणा में अपनी फसल बेच सकता है. दूसरे राज्यों के किसानों से फसल खरीदने की प्रक्रिया 5 अक्टूबर से शुरू हो गई है. अभी फिलहाल प्रदेश में धान की खरीद की जा रही है. इसके अलावा कुरुक्षेत्र की लाडवा मंडी में दूसरे राज्यों से आए किसानों की औषधी फसल की भी खरीद हो रही है.

हरियाणा में बिक रहा पड़ोसी राज्यों का धान, ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य

पड़ोसी किसान इन शर्तों पर हरियाणा में बेच पाएंगे अपनी फसल

  • पड़ोसी राज्य के किसान हरियाणा में अभी सिर्फ धान बेच पाएंगे.
  • फसल बेचने के लिए किसानों को खरीद से पहले हरियाणा सरकार के मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
  • किसान ने कितनी जमीन पर फसल बोई है इसकी जानकारी किसान को अपने साथ लानी होगी.
  • किसान ने फसल अगर ठेके पर बोई है तो फसल बेचने के लिए उसे जमीन मालिक को फर्द के साथ मंडी में लाना होगा.
  • कुल जमीन के जितने हिस्से में धान बोया है? उस जमीन का खसरा और गिरदावरी नंबर की जानकारी भी देनी होगी.
  • पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बाद फसल बेचने के लिए किसान के मोबाइल पर अपनी बारी से संबंधित एसएमएस आएगा. उसी तिथि पर किसान अपनी फसल हरियाणा की मंडियों में बेचने लाएगा.
  • पड़ोसी राज्यों से आने वाले सभी किसानों को मंडी में प्रवेश के दौरान कोविड-19 से जुड़े तमाम निर्देशों को मानना होगा.

'पहले अपने फिर बाहरी का नंबर'

एक और अहम बात ये है कि हरियाणा सरकार ये पहले ही साफ कर चुकी है कि पहले प्रदेश के किसानों की फसल खरीदी जाएगी. जिसके बाद ही बाहर से आए किसानों को मौका दिया जाएगा. हरियाणा के सीएम मनोहर लाल और कृषि मंत्री जेपी दलाल पहले ही कह चुके हैं कि सबसे पहले हरियाणा के किसानों की फसल खरीदी जाएगी, जिसके बाद ही दूसरे किसानों का नंबर आएगा.

ये भी पढ़िए: हरियाणा में कैसे पूरा होगा 'वन नेशन, वन मार्केट' का सपना, कानून के पेंच में फंसे बाहरी राज्यों के किसान

फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य हरियाणा में दूसरे राज्यों से ज्यादा है. हलांकि कानूनी तौर पर दूसरे राज्यों के किसानों को हरियाणा की मंडियों में अपनी फसल बेचने की अनुमति भले ही मिल गई हो. लेकिन जमीनी तौर पर ये आसान नहीं हैं. क्योंकि मुख्यमंत्री खुद कह चुके हैं कि पहले हरियाणा के किसानों की फसल खरीदी जायेगी. उसके बाद दूसरे राज्यों के किसानों के लिए बहुत ज्यादा जगह नहीं बचेगी. हालांकि अनुमित मिलने से से ये उम्मीद जताई जा रही है कि ज्यादा एमएसपी की चाह में दूसरे राज्यों के किसान काफी संख्या में हरियाणा आ सकते हैं. ऐसे में देखना ये होगा कि प्रदेश सरकार हरियाणा के किसानों और बाहरी किसानों में कैसे सामंजस्य बैठा पाती है और किस तरह से फसलों को खरीदा जाता है.

चंडीगढ़: 'वन नेशन, वन मार्केट' के सपने को पूरा करने के लिए तीन कृषि कानूनों को लाया गया है. नए कानून के मुताबिक अब किसी भी राज्य का किसान किसी भी दूसरे राज्य में जाकर अपनी फसल बेच सकता है और इस कानून को सबसे पहले लागू करने वाला हरियाणा पहला राज्य बन गया है.

इससे पहले हरियाणा में बाहरी राज्य के किसानों की फसल नहीं खरीदी जाती थी, लेकिन अब नए कृषि कानूनों के आने के बाद कोई भी दूसरे राज्य का किसान हरियाणा में अपनी फसल बेच सकता है. दूसरे राज्यों के किसानों से फसल खरीदने की प्रक्रिया 5 अक्टूबर से शुरू हो गई है. अभी फिलहाल प्रदेश में धान की खरीद की जा रही है. इसके अलावा कुरुक्षेत्र की लाडवा मंडी में दूसरे राज्यों से आए किसानों की औषधी फसल की भी खरीद हो रही है.

हरियाणा में बिक रहा पड़ोसी राज्यों का धान, ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य

पड़ोसी किसान इन शर्तों पर हरियाणा में बेच पाएंगे अपनी फसल

  • पड़ोसी राज्य के किसान हरियाणा में अभी सिर्फ धान बेच पाएंगे.
  • फसल बेचने के लिए किसानों को खरीद से पहले हरियाणा सरकार के मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
  • किसान ने कितनी जमीन पर फसल बोई है इसकी जानकारी किसान को अपने साथ लानी होगी.
  • किसान ने फसल अगर ठेके पर बोई है तो फसल बेचने के लिए उसे जमीन मालिक को फर्द के साथ मंडी में लाना होगा.
  • कुल जमीन के जितने हिस्से में धान बोया है? उस जमीन का खसरा और गिरदावरी नंबर की जानकारी भी देनी होगी.
  • पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बाद फसल बेचने के लिए किसान के मोबाइल पर अपनी बारी से संबंधित एसएमएस आएगा. उसी तिथि पर किसान अपनी फसल हरियाणा की मंडियों में बेचने लाएगा.
  • पड़ोसी राज्यों से आने वाले सभी किसानों को मंडी में प्रवेश के दौरान कोविड-19 से जुड़े तमाम निर्देशों को मानना होगा.

'पहले अपने फिर बाहरी का नंबर'

एक और अहम बात ये है कि हरियाणा सरकार ये पहले ही साफ कर चुकी है कि पहले प्रदेश के किसानों की फसल खरीदी जाएगी. जिसके बाद ही बाहर से आए किसानों को मौका दिया जाएगा. हरियाणा के सीएम मनोहर लाल और कृषि मंत्री जेपी दलाल पहले ही कह चुके हैं कि सबसे पहले हरियाणा के किसानों की फसल खरीदी जाएगी, जिसके बाद ही दूसरे किसानों का नंबर आएगा.

ये भी पढ़िए: हरियाणा में कैसे पूरा होगा 'वन नेशन, वन मार्केट' का सपना, कानून के पेंच में फंसे बाहरी राज्यों के किसान

फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य हरियाणा में दूसरे राज्यों से ज्यादा है. हलांकि कानूनी तौर पर दूसरे राज्यों के किसानों को हरियाणा की मंडियों में अपनी फसल बेचने की अनुमति भले ही मिल गई हो. लेकिन जमीनी तौर पर ये आसान नहीं हैं. क्योंकि मुख्यमंत्री खुद कह चुके हैं कि पहले हरियाणा के किसानों की फसल खरीदी जायेगी. उसके बाद दूसरे राज्यों के किसानों के लिए बहुत ज्यादा जगह नहीं बचेगी. हालांकि अनुमित मिलने से से ये उम्मीद जताई जा रही है कि ज्यादा एमएसपी की चाह में दूसरे राज्यों के किसान काफी संख्या में हरियाणा आ सकते हैं. ऐसे में देखना ये होगा कि प्रदेश सरकार हरियाणा के किसानों और बाहरी किसानों में कैसे सामंजस्य बैठा पाती है और किस तरह से फसलों को खरीदा जाता है.

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