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बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका HC में सरकार का जवाब, सभी किसानों को रिहा कर दिया गया

किसानों की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सरकार ने कहा कि जिन भी किसानों को हिरासत में लिया गया था, उन्हें छोड़ दिया गया है. वहीं अब याचिकाकर्ता पक्ष ने किसानों से लिए गए सिक्योरिटी बॉन्ड पर सवाल खड़ा कर दिया है. अगली सुनवाई 1 दिसंबर को होगी.

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट
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Published : Nov 27, 2020, 10:43 PM IST

चंडीगढ़: कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली कूच करने से रोकने के लिए सरकार द्वारा किसानों को हिरासत में लेने के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब तलब किया था. वहीं हरियाणा सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट फाइल कर कहा कि जिन्हें भी हिरासत में लिया गया था उन्हें छोड़ दिया गया है. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने कहा कि जिन्हें छोड़ा गया है उन्हें 50 हजार के सिक्योरिटी बॉन्ड पर छोड़ा गया है.

हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को कहा है कि अगली सुनवाई पर वो बताएं कि कितने किसानों को रिहा किया गया है. साथ ही ये भी कहा कि ये बताया जाए कि उन्हें रिहा करने के लिए हेवी सिक्योरिटी बॉन्ड भरवाया है या नहीं. मामले की अगली सुनवाई 1 दिसंबर को होगी.

ये भी पढे़ं- किसानों की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर HC में सुनवाई, सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट के लिए मांगा एक दिन का समय

हरियाणा प्रोग्रेसिव फार्मर यूनियन नामक संगठन ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर हाईकोर्ट से आग्रह किया था कि वो सभी थानों में जांच के लिए सरकारी खर्चे पर वॉरंट ऑफिसर तैनात करे. वॉरंट ऑफिसर थानों की जांच कर निर्दोष किसानों को रिहा करवाए और सरकार ऐसे किसानों को उचित मुआवजा दे.

याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप रापड़िया ने हाईकोर्ट में कहा कि जिन किसानों को हिरासत में लिया गया उन्हें रिहा करने के लिए हेवी सिक्योरिटी बॉन्ड लिए गए. जबकि वो सिर्फ बड़े मामलों में ही इतने हेवी बॉन्ड भरवाए जाते हैं और किसानों को तो पर्सनल बॉन्ड पर भी छोड़ा जा सकता था.

चंडीगढ़: कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली कूच करने से रोकने के लिए सरकार द्वारा किसानों को हिरासत में लेने के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब तलब किया था. वहीं हरियाणा सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट फाइल कर कहा कि जिन्हें भी हिरासत में लिया गया था उन्हें छोड़ दिया गया है. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने कहा कि जिन्हें छोड़ा गया है उन्हें 50 हजार के सिक्योरिटी बॉन्ड पर छोड़ा गया है.

हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को कहा है कि अगली सुनवाई पर वो बताएं कि कितने किसानों को रिहा किया गया है. साथ ही ये भी कहा कि ये बताया जाए कि उन्हें रिहा करने के लिए हेवी सिक्योरिटी बॉन्ड भरवाया है या नहीं. मामले की अगली सुनवाई 1 दिसंबर को होगी.

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हरियाणा प्रोग्रेसिव फार्मर यूनियन नामक संगठन ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर हाईकोर्ट से आग्रह किया था कि वो सभी थानों में जांच के लिए सरकारी खर्चे पर वॉरंट ऑफिसर तैनात करे. वॉरंट ऑफिसर थानों की जांच कर निर्दोष किसानों को रिहा करवाए और सरकार ऐसे किसानों को उचित मुआवजा दे.

याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप रापड़िया ने हाईकोर्ट में कहा कि जिन किसानों को हिरासत में लिया गया उन्हें रिहा करने के लिए हेवी सिक्योरिटी बॉन्ड लिए गए. जबकि वो सिर्फ बड़े मामलों में ही इतने हेवी बॉन्ड भरवाए जाते हैं और किसानों को तो पर्सनल बॉन्ड पर भी छोड़ा जा सकता था.

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