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हरियाणा सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट: निजी सेक्टर की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण पर हाईकोर्ट के रोक को चुनौती

हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण (75 percent reservation for locals in private sector) देने कानून पर रोक लगाने के पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को हरियाणा सरकार ने चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

haryana government moves supreme court
निजी सेक्टर की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण पर हाईकोर्ट के रोक को दी चुनौती
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Published : Feb 4, 2022, 11:36 AM IST

चंडीगढ़: निजी सेक्टर में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को आरक्षण देने पर हाई कोर्ट के रोक मामले में हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट (Haryana government moves supreme court) पहुंच गई है. सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरार ने याचिका डालकर हाईकोर्ट की रोक को हटाने की गुजारिश की है.

बता दें कि बुधवार को हाई कोर्ट ने निजी क्षेत्र की नौकरी में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने वाले कानून हरियाणा स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020 पर रोक लगा दी थी. हरियाणा डोमिसाइल के लिए निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गई है. हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय निवासियों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य करने के प्रावधान को गुरुग्राम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

कानून के खिलाफ दी गई दलील: इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में कहा था कि निजी क्षेत्र में योग्यता और कौशल के अनुसार लोगों का चयन किया जाता है. अगर नियोक्ताओं से कर्मचारी को चुनने का अधिकार ले लिया जाएगा तो उद्योग कैसे आगे बढ़ सकेंगे. याचिका में कहा था कि हरियाणा सरकार का 75 प्रतिशत आरक्षण का फैसला योग्य लोगों के साथ अन्याय है. यह कानून उन युवाओं के सांविधानिक अधिकारों का हनन है जो अपनी शिक्षा और योग्यता के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने को स्वतंत्र हैं.

ये पढ़ें- हरियाणा में 75 प्रतिशत आरक्षण पर आखिर क्यों लगी रोक, याचिकाकर्ता के वकील से ईटीवी भारत की बातचीत

याची ने कोर्ट में कहा था कि यह कानून योग्यता के बदले रिहायश के आधार पर निजी क्षेत्र में नौकरी पाने की पद्धति को शुरू करने का प्रयास है. ऐसा हुआ तो हरियाणा में निजी क्षेत्र में रोजगार को लेकर अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी. याचिका करने वाली एसोसिएशन के मुताबिक यह कानून निजी क्षेत्र के विकास को भी बाधित करेगा और इसके कारण राज्य से उद्योग पलायन भी आरंभ कर सकते हैं. याची ने कहा कि यह कानून वास्तविक तौर पर कौशलयुक्त युवाओं के अधिकारों का हनन है. 75 फीसदी नौकरियां आरक्षित करने के लिए 2 मार्च, 2021 को लागू अधिनियम और 6 नवंबर, 2021 की अधिसूचना संविधान, संप्रभुता के प्रावधानों के खिलाफ है.

ये पढ़ें- मनोहर सरकार को झटका: निजी क्षेत्र की नौकरियों में हरियाणा के स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक

क्या था निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण का कानून: हरियाणा स्टेट इम्पलॉयमेंट लोकल कैंडिडेट्स एक्ट, 2020 सरकार ने इसी साल जनवरी में लागू किया था. इसके तहत तीस हजार रुपये तक की सेलवी वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण दिये जाने का प्रावधान किया गया था. जननायक जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में इस आरक्षण को अपना प्रमुख मुद्दा बनाया था. जेजेपी ने युवाओं के वोट बैंक को साधने के लिए 75 फीसदी आरक्षण के वादे का जमकर प्रचार प्रसार किया था. सरकार बनने के बाद वो इसे लागू करवाने को अपनी बड़ी सफलता के तौर पर देख रही थी.

ये पढ़ें- युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण पर बोले गुरुग्राम के उद्योगपति- जरूरत पड़ी तो जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

जेजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि इससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए मौके खुलेंगे. सरकार ने कहा था कि ये एक्ट प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों, सोसाइटी, ट्रस्ट, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप फर्म्स, पार्टनरशिप फर्म्स पर लागू होगा. इसके अलावा ये कानून ऐसे भी शख्स पर लागू होगा, जो 10 से ज्यादा लोगों को नौकरी देता है.

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चंडीगढ़: निजी सेक्टर में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को आरक्षण देने पर हाई कोर्ट के रोक मामले में हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट (Haryana government moves supreme court) पहुंच गई है. सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरार ने याचिका डालकर हाईकोर्ट की रोक को हटाने की गुजारिश की है.

बता दें कि बुधवार को हाई कोर्ट ने निजी क्षेत्र की नौकरी में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने वाले कानून हरियाणा स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020 पर रोक लगा दी थी. हरियाणा डोमिसाइल के लिए निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गई है. हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय निवासियों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य करने के प्रावधान को गुरुग्राम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

कानून के खिलाफ दी गई दलील: इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में कहा था कि निजी क्षेत्र में योग्यता और कौशल के अनुसार लोगों का चयन किया जाता है. अगर नियोक्ताओं से कर्मचारी को चुनने का अधिकार ले लिया जाएगा तो उद्योग कैसे आगे बढ़ सकेंगे. याचिका में कहा था कि हरियाणा सरकार का 75 प्रतिशत आरक्षण का फैसला योग्य लोगों के साथ अन्याय है. यह कानून उन युवाओं के सांविधानिक अधिकारों का हनन है जो अपनी शिक्षा और योग्यता के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने को स्वतंत्र हैं.

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याची ने कोर्ट में कहा था कि यह कानून योग्यता के बदले रिहायश के आधार पर निजी क्षेत्र में नौकरी पाने की पद्धति को शुरू करने का प्रयास है. ऐसा हुआ तो हरियाणा में निजी क्षेत्र में रोजगार को लेकर अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी. याचिका करने वाली एसोसिएशन के मुताबिक यह कानून निजी क्षेत्र के विकास को भी बाधित करेगा और इसके कारण राज्य से उद्योग पलायन भी आरंभ कर सकते हैं. याची ने कहा कि यह कानून वास्तविक तौर पर कौशलयुक्त युवाओं के अधिकारों का हनन है. 75 फीसदी नौकरियां आरक्षित करने के लिए 2 मार्च, 2021 को लागू अधिनियम और 6 नवंबर, 2021 की अधिसूचना संविधान, संप्रभुता के प्रावधानों के खिलाफ है.

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क्या था निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण का कानून: हरियाणा स्टेट इम्पलॉयमेंट लोकल कैंडिडेट्स एक्ट, 2020 सरकार ने इसी साल जनवरी में लागू किया था. इसके तहत तीस हजार रुपये तक की सेलवी वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण दिये जाने का प्रावधान किया गया था. जननायक जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में इस आरक्षण को अपना प्रमुख मुद्दा बनाया था. जेजेपी ने युवाओं के वोट बैंक को साधने के लिए 75 फीसदी आरक्षण के वादे का जमकर प्रचार प्रसार किया था. सरकार बनने के बाद वो इसे लागू करवाने को अपनी बड़ी सफलता के तौर पर देख रही थी.

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जेजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि इससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए मौके खुलेंगे. सरकार ने कहा था कि ये एक्ट प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों, सोसाइटी, ट्रस्ट, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप फर्म्स, पार्टनरशिप फर्म्स पर लागू होगा. इसके अलावा ये कानून ऐसे भी शख्स पर लागू होगा, जो 10 से ज्यादा लोगों को नौकरी देता है.

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