चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा से दिल्ली को पानी न मिलने के मामले में हरियाणा सरकार ने बड़ी बात कही है. सरकार ने कहा है कि इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट को सुनवाई करने का अधिकार नहीं है. हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कहा है कि अपर रिवर यमुना बोर्ड पानी के बंटवारे के विवाद पर फैसला करने के लिए उचित निकाय है.
कोर्ट को हरियाणा सरकार का जवाब
हरियाणा सरकार ने अपने वकील एसबी त्रिपाठी के जरिए कहा कि हाई कोर्ट इस मामले पर क्षेत्राधिकार पर फैसला करने में नाकाम रहा है. हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट द्वारा इस मामले की जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की है.
कोर्ट द्वारा गठित टीम से नहीं हुई जांच
हाई कोर्ट ने रिटायर्ड जज इंदर मीत कौर की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाने का गठन किया था. हरियाणा सरकार ने कहा कि इस कमेटी ने एक ही बार का मुआयना कर रिपोर्ट बना दी. हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली में यमुना के जरिए पानी की पर्याप्त आपूर्ति होती है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को लगाई थी फटकार
बता दें कि 8 मई को हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाई थी. कोर्ट इस बात पर नाराज थी कि आखिर उसके आदेशों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने हरियाणा सरकार पर पानी की आपूर्ति नहीं करने का आरोप लगाया था. दिल्ली जल बोर्ड का कहना था कि दिल्ली देश की राजधानी है और पानी की आपूर्ति पड़ोसी राज्य से ही होगी.
दिल्ली 300 क्यूसेक पानी करता है बर्बाद
सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार का कहना था कि वो दिल्ली को 719 क्यूसेक की बजाय रोजाना 1049 क्यूसेक पानी दे रहा है. हरियाणा सरकार ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में लीकेज होने की वजह से करीब 300 क्यूसेक पानी बर्बाद कर देता है. हरियाणा सरकार ने कहा था कि दिल्ली वजीराबाद रिजर्वायर में काफी मात्रा में पानी देता है जो कि पानी की बर्बादी है. इसके बावजूद हरियाणा दिल्ली को लगातार पानी देता रहा है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली जल बोर्ड की ओर से वकील सुमित पुष्कर्णा ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने जल विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था जिसके बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों सचिवों की बैठक प्रस्तावित थी. पिछले 5 फरवरी को हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि वो यमुना में साफ पानी के रास्ते में आ रही सभी रुकावटों को दूर करें.