चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर प्रदेश के लोगों को अनेक प्रकार की राहतें दी हैं. हरियाणा सरकार की ओर से जानकारी दी गई है कि संपत्ति कर से संबंधित उपायों को प्रभावी बनाने के लिए शहरी स्थानीय निकाय विभाग की 11 अक्तूबर, 2013 की अधिसूचनाओं में अनेक संशोधन किए गए हैं और मंदिरों, गुरुद्वारों, चर्चों और मस्जिदों के बिजली बिलों के संबंध में डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी द्वारा शीघ्र ही अधिसूचनाएं जारी की जाएंगी.
बकाया संपत्ति कर में मिलेगी छूट
साथ ही सरकार की ओर से कहा गया है कि साल 2010-11 से 2016-17 तक के संपत्ति कर के देय या बकायों के लिए 25 प्रतिशत की एकमुश्त छूट, उन संपत्ति कर मालिकों को दी जाएगी जो 31 अक्तूबर, 2020 तक सभी करों का भुगतान कर चुके हैं. देरी से भुगतान के मामले में 1.5 प्रतिशत प्रति मास या उसके भाग की दर से ब्याज लगाया जाएगा.
बशर्तें कि साल 2010-11 से 2019-20 तक के लंबित संपत्ति कर देय या बकायों पर ब्याज की एकमुश्त छूट उन सभी करदाताओं को दी जाएगी, यदि उनके बकायों का भुगतान 31 अक्तूबर, 2020 तक कर दिया जाता है. उन संपत्ति मालिकों को अतिरिक्त पांच प्रतिशत छूट दी जाएगी, जो हर साल 31 जुलाई तक ऑटो डेबिट सिस्टम के जरिए भुगतान करेंगे, लेकिन चालू साल 2020-21 के लिए 31 अक्तूबर 2020 को अंतिम तिथि माना जाएगा. वहीं ढाबों और डेयरियों जैसी कृषि संबंधित गतिविधियों के लिए संपत्ति कर की दरें, जिन्हें 19 सितंबर, 2019 को संशोधित किया गया था. ये 11 अक्तूबर, 2013 से लागू होंगी.
पूरा भुगतान करने पर मिलेगी ज्यादा राहत
इसके अलावा 10 प्रतिशत की छूट उन लोगों को दी जाएगी, जो 31 अक्तूबर 2020 तक अपने कुल संपत्ति देयों को भुगतान करेंगे. इसके अतिरिक्त उन संपत्ति मालिकों को साल 2020-21 के लिए एक अच्छे करदाता के रूप में 10 प्रतिशत अतिरिक्त छूट दी जाएगी. जिन्होंने लगातार साल 2017-18, 2018-19 और 2019-20 का उस साल के 31 जुलाई तक अपने कर जमाया किया है. नगर निगम गुरुग्राम के मामले में साल 2017-18 के लिए 10 प्रतिशत छूट के उद्देश्य के लिए अवधि 31 जुलाई, 2017 के बजाय 31 दिसंबर 2017 मानी जाएगी. अगले तीन सालों में उन करतातों को 10 प्रतिशत अतिरिक्त छूट दी जाएगी जो 31 अक्तूबर 2020 अपने कर जमा करेंगे.
धार्मिक स्थलों को विशेष छूट
कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न संकट को मद्देनजर रखते हुए हरियाणा सरकार ने राज्य में सभी धार्मिक स्थलों अर्थात मंदिरों (बौद्ध एवं जैन मंदिरों सहित) गुरुद्वारों, चर्चां और मस्जिदों के लिए अप्रैल, 2020 से जून, 2020 की अवधि के लिए सरचार्ज राशि सहित बिजली बिल माफ करने का निर्णय लिया है, लेकिन सरकार ने इस पर शर्त रखी है. सरकार की शर्त है कि ये सभी अपने मार्च तक के सभी बकाया 31 अक्टूबर 2020 तक जमा कर दें.