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इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर कितना बढ़ रहा हरियाणा, देखिए ये रिपोर्ट

गो ग्रीन का सपना साकार करने के लिए केंद्र और बाकी राज्यों की सरकारें कई तरह के कदम उठा रही हैं. वहीं हरियाणा सरकार भी इस ओर लोगों का ध्यान केंद्रित करने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले ले रही है. इस रिपोर्ट में देखिए हरियाणा में इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन आखिर कहां तक पहुंचा है.

haryana government giving big push to electric vehicles with aim of controlling vehicular pollution
इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ रहा हरियाणा, सरकार कर रही ये प्लान
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Published : Sep 17, 2020, 3:37 PM IST

चंडीगढ़: दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों की ब्रिकी जोर पकड़ रही है, लेकिन भारत में अभी इसकी महज शुरुआत ही हो रही है. वर्तमान में भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहन तो मौजूद हैं, लेकिन लोग चार्जिंग स्टेशन, बैटरी और दूसरी कई वजहों से इनसे दूरी बनाए हुए हैं. अगर बात हरियाणा की करें तो प्रदेश सरकार भी वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या को बढ़ाने पर जोर दे रही है. जिसके चलते हरियाणा सरकार ने अपने ट्रांसपोर्ट विभाग में जल्द ही बिजली से चलने वाली 100 बसों को शामिल करने का निर्णय लिया है.

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो इसके लिए हाल ही में GST काउसिंल ने इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में टैक्स को 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया है. इसके अलावा पिछले साल केंद्र सरकार ने फेम-2 यानि फास्टर अडोप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक एंड हाइब्रिड व्हीकल्स को भी मंजूरी दे दी थी. साथ ही केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकारों को ये भी सुझाव दिया गया कि इलेक्ट्रिक वाहनों से रोड टैक्स ना लिया जाए. सरकार के सुझाव को मानते हुए तेलंगाना ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य भी बन गया है. दूसरी तरफ हरियाणा सरकार भी भविष्य में ऐसा करने पर विचार कर सकती है.

इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ रहा हरियाणा, सरकार कर रही ये प्लान

गो ग्रीन का सपना साकार करने के लिए भले ही केंद्र और राज्य सरकारें कई तरह के कदम उठा रही हो, लेकिन अंत में ये फैसला जनता पर है कि वो इलेक्ट्रिक वाहनों का कितना इस्तेमाल करते हैं? जब चंडीगढ़ में ई रिक्शा चलाने वालों से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने इस पर अलग-अलग राय दी.

ई-रिक्शा चालक मोहन ने कहा कि ऐसे वाहन पैट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों से बेहतर होते हैं. इन वाहनों से काफी बचत होती है, सवारी भी बिजली से चलने वाले वाहनों में बड़े चाव से बैठती हैं. वहीं एक दूसरे ई-रिक्शा चालक ने कहा इलेक्ट्रिक वाहन चलाने में बहुत सी दिक्कतें हैं. जैसे बैटरी का बार-बार खराब होना और चार्जिंग स्टेशन कम होना.

ये भी पढ़िए: लॉकडाउन के बाद श्राद्ध से कपड़ा व्यापारियों पर दोहरी मार, 30 फीसदी रह गई सेल

अगर हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ की बात करें, तो चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से चंडीगढ़ में कई जगह इलेक्ट्रिक वाहन चलाए जा रहे हैं. जैसे सेक्टर-17 के प्लाजा मार्केट और सुखना लेक में. इसके अलावा पलवल स्थित विश्वकर्मा यूनिवर्सिटी में अंदर भी इलेक्ट्रिक वाहन ही चलाए जा रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार को इस फैसले को जन-जन तक पहुंचाने में वक्त लग सकता है क्योंकि लोगों में अभी भी इलेक्ट्रिक वाहनों की जानकारी का आभाव है.

चंडीगढ़: दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों की ब्रिकी जोर पकड़ रही है, लेकिन भारत में अभी इसकी महज शुरुआत ही हो रही है. वर्तमान में भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहन तो मौजूद हैं, लेकिन लोग चार्जिंग स्टेशन, बैटरी और दूसरी कई वजहों से इनसे दूरी बनाए हुए हैं. अगर बात हरियाणा की करें तो प्रदेश सरकार भी वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या को बढ़ाने पर जोर दे रही है. जिसके चलते हरियाणा सरकार ने अपने ट्रांसपोर्ट विभाग में जल्द ही बिजली से चलने वाली 100 बसों को शामिल करने का निर्णय लिया है.

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो इसके लिए हाल ही में GST काउसिंल ने इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में टैक्स को 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया है. इसके अलावा पिछले साल केंद्र सरकार ने फेम-2 यानि फास्टर अडोप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक एंड हाइब्रिड व्हीकल्स को भी मंजूरी दे दी थी. साथ ही केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकारों को ये भी सुझाव दिया गया कि इलेक्ट्रिक वाहनों से रोड टैक्स ना लिया जाए. सरकार के सुझाव को मानते हुए तेलंगाना ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य भी बन गया है. दूसरी तरफ हरियाणा सरकार भी भविष्य में ऐसा करने पर विचार कर सकती है.

इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ रहा हरियाणा, सरकार कर रही ये प्लान

गो ग्रीन का सपना साकार करने के लिए भले ही केंद्र और राज्य सरकारें कई तरह के कदम उठा रही हो, लेकिन अंत में ये फैसला जनता पर है कि वो इलेक्ट्रिक वाहनों का कितना इस्तेमाल करते हैं? जब चंडीगढ़ में ई रिक्शा चलाने वालों से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने इस पर अलग-अलग राय दी.

ई-रिक्शा चालक मोहन ने कहा कि ऐसे वाहन पैट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों से बेहतर होते हैं. इन वाहनों से काफी बचत होती है, सवारी भी बिजली से चलने वाले वाहनों में बड़े चाव से बैठती हैं. वहीं एक दूसरे ई-रिक्शा चालक ने कहा इलेक्ट्रिक वाहन चलाने में बहुत सी दिक्कतें हैं. जैसे बैटरी का बार-बार खराब होना और चार्जिंग स्टेशन कम होना.

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अगर हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ की बात करें, तो चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से चंडीगढ़ में कई जगह इलेक्ट्रिक वाहन चलाए जा रहे हैं. जैसे सेक्टर-17 के प्लाजा मार्केट और सुखना लेक में. इसके अलावा पलवल स्थित विश्वकर्मा यूनिवर्सिटी में अंदर भी इलेक्ट्रिक वाहन ही चलाए जा रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार को इस फैसले को जन-जन तक पहुंचाने में वक्त लग सकता है क्योंकि लोगों में अभी भी इलेक्ट्रिक वाहनों की जानकारी का आभाव है.

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