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'धर्म की जननी, वीरों की धरती और मेडल की खान हूं मैं', पढ़ें मेरे शौर्य और महानता की आत्मगाथा

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Published : Oct 31, 2022, 10:29 PM IST

Updated : Nov 1, 2022, 2:34 PM IST

आज हरियाणा दिवस (haryana day 2022) है. ये प्रदेश नदी-नालों, पर्वतों एवं भूखंडों के नाम तक में भारतीय संस्कृति के गहरे संबंध को प्रकट करता है. इस प्रदेश का वर्णन मनुस्मृति, महाभाष्य और महाभारत के ग्रंथों में मिलती है. यहां वीरों ने शत्रुओं का डटकर सामना किया है तथा देश रक्षा के लिए बड़े से बड़े बलिदान दिए हैं. हरियाणा के खिलाड़ियों ने भी प्रदेश का नाम इतिहास के पन्नों में लिखा है.

haryana foundation day 2022
haryana foundation day 2022

चंडीगढ़: मैं हरियाणा हूं यानी हरि की भूमि. मेरी चर्चा तमाम महाकाव्यों में होती है. मैं गीता की जन्मभूमि हूं. मैंने महाभारत का युद्ध देखा. मैंने दुनिया को जीने की राह बताई है. मैंने पानीपत की लड़ाइयां देखी हैं. मैंने अंग्रेजों का राज देखा है. मैंने गांधी की चाल देखी है. मैंने गुलामी की जंजीरों को देखा है. मैंने भारत को आजाद होते हुए देखा है. यूं तो काल-कालांतर से मैं यहीं हूं, लेकिन आजाद भारत में औपचारिक रूप से मेरा जन्म 1 नवंबर, साल 1966 में हुआ, जब मैं अपने बड़े भाई पंजाब से अलग होकर अस्तित्व (haryana foundation day 2022) में आया.

'जब पंजाब से हुआ अलग': शुरुआत में 7 जिलों को जोड़ कर मैं एक राज्य बना था, लेकिन आज मैं धीरे-धीरे 22 जिलों का सुखी संपन्न राज्य हूं. मेरे उत्तरी हिस्से में स्थित यमुना-घग्गर के मैदान हैं. सुदूर उत्तर में शिवालिक पहाड़ियों की पट्टी, दक्षिण-पश्चिम में बांगर क्षेत्र और दक्षिणी हिस्से में अरावली पर्वतमालाओं के अंतिमांश है, जिनका क्षैतिज विस्तार राजस्थान से दिल्ली तक है. मेरे बाशिदें खुद को हरियाणवी कह कर बहुत गर्व करते हैं. खेती इनका मूल धर्म है. इन्हें दूध-दही और चौपाल का हुक्का बहुत पसंद है. देसी बोली, सादा जीवन-सादा विचार, यही तो है इनके जीवन का सूत्र धार है.

haryana foundation day 2022
हरियाणा की संस्कृति

'आज मैं 56 साल का हो गया': मैं देश का ऐसा पहला राज्‍य हूं, जहां सबसे पहले गांव-गांव तक बिजली पहुंची. आज मुझे भारत का विशाल औद्योगिक हब माना जाता है. मैं कारों, ट्रैक्‍टरों, मोटरसाइकिलों, साइकिलों, रेफ्रिजरेटरों, वैज्ञानिक उपकरणों का सबसे बड़ा उत्पादक माना जाता हूं. मुझे मेरे अस्तिव को पाए 56 साल हो गए. आज मैं 57 साल में प्रवेश (haryana day 2022) कर रहा हूं. इन 56 सालों में मैंने बहुत से दौर देखें हैं. बहुत से संघर्ष देखें हैं. पर आज भी मैं कहीं ना कहीं अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा हूं. 1 नवंबर 1966 को जब मैं पंजाब से अलग हुआ तब मेरे पास कुछ नहीं था.

'अधिकारों की लड़ रहा हूं लड़ाई': पंजाब से अलग होकर मैं 17वां राज्य तो बन गया, पर मेरी पहचान सिर्फ रेतीले, कीकर के जंगल तक ही सीमित रह गई. इन 56 सालों में मैंने बहुत से उतार-चढ़ाव भी देखे. मैं अपने भाई पंजाब से अलग तो हो गया, लेकिन यादें वहीं रह गईं. जब मुझे एक राज्य का दर्जा दिया गया तो मेरी आर्थिक स्थिति जरा सी भी सही नहीं थी. मेरे भाई ने तो मुझे पानी तक ना दिया. आज भी वो कसक मेरे जहन में बनी हुई है. जिसे आप सतलुज यमुना लिंक नहर से जानते हैं. धर्म और भाषा के आधार पर 1955 में अकाली नेताओं ने मेरे भाई पंजाब को मुझसे अलग करने की मांग कर दी.

haryana foundation day 2022
कुरुक्षेत्र का ब्रह्मसरोवर

इसके बाद केंद्र सरकार ने उनकी इस मांग को मान भी लिया था. पंजाब को मुझसे अलग करने के लिए 23 अप्रैल 1966 को पंजाब सीमा आयोग का गठन किया गया. मैं उस दौर की बात कर रहा हूं जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 12 जून, 1966 को रेडियो के जरिए मुझे मेरे भाई से जुदा करने का ऐलान कर दिया था. राष्ट्रपति के मुहर के बाद मुझे 1 नवंबर 1966 को पूरी तरह से विभाजित कर दिया गया. मैंने जो बनाया खुद से बनाया. मेरे भाई ने मेरा साथ ना दिया. मैं गिरा, संभला और फिर उठकर आगे बढ़ा शायद यही वजह है कि मैं आज पंजाब से कई मामलों में बहुत आगे हूं.

मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है जब मुझे मेडल की खान बुलाया जाता है. मुझे गर्व है कि देश का हर दसवां सैनिक मेरे आंचल से निकलता है. मैंने धीरे-धीरे अपनी खुद की पहचान बनाई. आज मुझे लोग औद्योगिक हब के रूप में जानते हैं. मैंने उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सड़कों का निर्माण कराया. उत्पादों को लेकर मैं विश्व मानचित्र पर चमक रहा हूं. गुरुग्राम, फरीदाबाद, पानीपत, बहादुरगढ़, अंबाला, करनाल, यमुनानगर ये मेरी शाखाएं हैं. जिन्हें उत्पादों का कार्यभार मैंने सौंपा है.

haryana foundation day 2022
गुरुग्राम में देश विदेश की बड़ी कंपनियों के ऑफिस हैं.

'आज मैं प्रगति के पथ पर अग्रसर हूं': मैंने अपनी पहचान बनाने के लिए ऊंचे भवन, हेल्थ इंस्टीट्यूट, शिक्षण संस्थान, हाईवे का निर्माण कराया. मुझे लोग आईटी हब से भी जानते हैं. खेलों में मैं तो किसी सिरमौर से कम नहीं हूं. यही कारण है कि विश्व में मेरा डंका बजता है. मैंने अपने युवाओं को खेल से जोड़ा और आज मेरे लाल देश-विदेश में परचम लहरा रहे हैं. सेना, खेल, राजनीति, अंतरिक्ष, व्यापार, शिक्षा, कृषि शोध के अलावा अनेक क्षेत्रों में मैंने कीर्तिमान स्थापित किया है. मैं बनावटी नहीं हूं. मेरा रहन-सहन, मेरा खान-पान और मेरी बोली मुझे सबसे जुदा करती है. वहीं मुझे आज भी इस बात की टीस है कि मुझे मेरी राजधानी के साथ ही हाई कोर्ट और विधानसभा नसीब नहीं हुई है. एसवाईएल के पानी का इंतजार मुझे आज भी है.

दशकों से खराब लिंगानुपात का कलंक: मैं दशकों से खराब लिंगानुपात का कलंक लिए जी रहा था. मुझे बहुत तकलीफ होती जब बोटियों को गर्भ में मार दिया जाता. लोगों हरियाणा का नाम सुनते ही बातें बनाने लगते थे कि वहां बेटियों को मारा जाता है, लेकिन अब वो कलंक भी मुझसे हट गया है. पहले के मुकाबले यहां लिंगानुपात काफी बेहतर हुआ है. जो बेहतर हो ही रहा है. आज मेरी पहचान मेरी बेटियों के नाम से भी होती है. जैसे रेसलर गीता फोगाट, बबीता फोगाट, विनेश फोगाट, क्रिकेटर शैफाली वर्मा, कलाकार सपना चौधरी, हॉकी प्लेयर रानी रामपाल और भी बहुत ऐसे नाम हैं जिन्होंने मेरे सिर से कलंक मिटाने का काम किया है.

haryana foundation day 2022
कुरुक्षेत्र की धरती पर श्री कृष्ण ने दिया था गीता का उपदेश

अब बात करते हैं मेरे राजनीतिक जीवन की. मैं राजनीति में भी पीछे नहीं हूं. आया-राम, गया-राम तो मिसाल के तौर पर मुझे याद किया जाता है. या यूं कहें दलबदल की राजनीति के लिए मेरी पूरे देश में एक अलग पहचान है. अभी मेरे ऊपर भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी मिलकर राज चला रहे हैं. मुख्यमंत्री मनोहर लाल हैं, जबकि उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला हैं. दोनों ही बेहतर तालमेल के साथ मुझे विकास के पथ पर आगे ले जा रहे हैं.

जब मुझे मेरे भाई पंजाब से अलग किया गया तो मैंने अपनी छोटी-छोटी धरोहरें बनाईं. जैसे 1 नवंबर, 1966 को मैंने रोहतक, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, हिसार, जींद, अंबाला और करनाल को बनाया. 22 दिसंबर, 1972 को सोनीपत, भिवानी को मैंने ही पहचान दिलाई. 23 जनवरी, 1973 को कुरुक्षेत्र बनाया. वहीं 26 अगस्त, 1975 सिरसा को मैंने एक मजबूत स्तंभ के रूप में खड़ा किया. 1 नवंबर, 1989 का वो दौर आया जब मैंने यमुनानगर, रेवाड़ी, पानीपत, कैथल की शाखाएं तैयारी की. इसके बाद 15 जुलाई, 1997 को झज्जर और फतेहाबाद, 15 अगस्त, 1995 को पंचकूला, 15 अगस्त, 1997 को फरीदाबाद को बनाया. ये सब मैं आपको इसलिए बता रहा हूं जिससे कि आप भी मेरी शाखाओं का जन्म जान सकें. मैं अगर अपनी शाखाओं के बारे में आगे बात करूं तो 4 अप्रैल, 2005 को नूंह अस्तित्व में आया. और इसके बाद 15 अगस्त, 2008 को पलवल और 1 दिसंबर, 2016 को चरखी दादरी को पहचान मैंने ही दिलाई.

haryana foundation day 2022
राजपथ पर निकाली जाती है हरियाणा की झांकी

जाट आरक्षण आंदोलन: एक दौर ऐसा भी आया जब जाट आरक्षण आंदोलन के नाम पर मेरे ही लोगों ने मुझे जला दिया. लाठी-डंडों से जमकर मुझपर प्रहार किया. सरेआम मुझे लूटा गया. मेरी बोटियों से दुर्व्यवाहर किया गया. मैं दर्द से कहराता रहा. चिखाता रहा, चिल्लाता रहा, लेकिन शायद सुनने वाला कोई नहीं था. ये वो दर्द है जब कोई भी इस बारे में बात करता है तो मैं सिहर उठता हूं. मुझे याद हो वो पंचकूला में हुई हिंसा. जो मेरे लिए काला इतिहास साबित हुई. कड़ी सुरक्षा के बीच भी लोगों ने मुझे खूब चोट पहुंचाई.

खैर ये सब अब बीते जमाने की बात हो गई है. मैं ये सब भूलकर आगे बढ़ रहा हूं. मेरे किसान इतने मेहनती हैं कि कोरोना काल के भयावह दौर में भी देश और मेरी राजस्व को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मेरे किसानों की बदौलत आज मैं दूध उत्पादन में सबसे आगे राज्यों में गिना जाता हूं. धान और गेहूं की क्वालिटी और कवांटिटी में भी मेरा कोई जवाब नहीं. मैं शुक्रगुजार हूं मेरे जावनों का, मेरे किसानों का, मेरे सभी वासियों का. जो मुझे अभी तक सहेजे हुए हैं. ये है मेरी कहानी. आज भी मैं निरंतर संघर्षरत हूं और एक नया मुकाम बनाने के लिए उत्सुक हूं.

चंडीगढ़: मैं हरियाणा हूं यानी हरि की भूमि. मेरी चर्चा तमाम महाकाव्यों में होती है. मैं गीता की जन्मभूमि हूं. मैंने महाभारत का युद्ध देखा. मैंने दुनिया को जीने की राह बताई है. मैंने पानीपत की लड़ाइयां देखी हैं. मैंने अंग्रेजों का राज देखा है. मैंने गांधी की चाल देखी है. मैंने गुलामी की जंजीरों को देखा है. मैंने भारत को आजाद होते हुए देखा है. यूं तो काल-कालांतर से मैं यहीं हूं, लेकिन आजाद भारत में औपचारिक रूप से मेरा जन्म 1 नवंबर, साल 1966 में हुआ, जब मैं अपने बड़े भाई पंजाब से अलग होकर अस्तित्व (haryana foundation day 2022) में आया.

'जब पंजाब से हुआ अलग': शुरुआत में 7 जिलों को जोड़ कर मैं एक राज्य बना था, लेकिन आज मैं धीरे-धीरे 22 जिलों का सुखी संपन्न राज्य हूं. मेरे उत्तरी हिस्से में स्थित यमुना-घग्गर के मैदान हैं. सुदूर उत्तर में शिवालिक पहाड़ियों की पट्टी, दक्षिण-पश्चिम में बांगर क्षेत्र और दक्षिणी हिस्से में अरावली पर्वतमालाओं के अंतिमांश है, जिनका क्षैतिज विस्तार राजस्थान से दिल्ली तक है. मेरे बाशिदें खुद को हरियाणवी कह कर बहुत गर्व करते हैं. खेती इनका मूल धर्म है. इन्हें दूध-दही और चौपाल का हुक्का बहुत पसंद है. देसी बोली, सादा जीवन-सादा विचार, यही तो है इनके जीवन का सूत्र धार है.

haryana foundation day 2022
हरियाणा की संस्कृति

'आज मैं 56 साल का हो गया': मैं देश का ऐसा पहला राज्‍य हूं, जहां सबसे पहले गांव-गांव तक बिजली पहुंची. आज मुझे भारत का विशाल औद्योगिक हब माना जाता है. मैं कारों, ट्रैक्‍टरों, मोटरसाइकिलों, साइकिलों, रेफ्रिजरेटरों, वैज्ञानिक उपकरणों का सबसे बड़ा उत्पादक माना जाता हूं. मुझे मेरे अस्तिव को पाए 56 साल हो गए. आज मैं 57 साल में प्रवेश (haryana day 2022) कर रहा हूं. इन 56 सालों में मैंने बहुत से दौर देखें हैं. बहुत से संघर्ष देखें हैं. पर आज भी मैं कहीं ना कहीं अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा हूं. 1 नवंबर 1966 को जब मैं पंजाब से अलग हुआ तब मेरे पास कुछ नहीं था.

'अधिकारों की लड़ रहा हूं लड़ाई': पंजाब से अलग होकर मैं 17वां राज्य तो बन गया, पर मेरी पहचान सिर्फ रेतीले, कीकर के जंगल तक ही सीमित रह गई. इन 56 सालों में मैंने बहुत से उतार-चढ़ाव भी देखे. मैं अपने भाई पंजाब से अलग तो हो गया, लेकिन यादें वहीं रह गईं. जब मुझे एक राज्य का दर्जा दिया गया तो मेरी आर्थिक स्थिति जरा सी भी सही नहीं थी. मेरे भाई ने तो मुझे पानी तक ना दिया. आज भी वो कसक मेरे जहन में बनी हुई है. जिसे आप सतलुज यमुना लिंक नहर से जानते हैं. धर्म और भाषा के आधार पर 1955 में अकाली नेताओं ने मेरे भाई पंजाब को मुझसे अलग करने की मांग कर दी.

haryana foundation day 2022
कुरुक्षेत्र का ब्रह्मसरोवर

इसके बाद केंद्र सरकार ने उनकी इस मांग को मान भी लिया था. पंजाब को मुझसे अलग करने के लिए 23 अप्रैल 1966 को पंजाब सीमा आयोग का गठन किया गया. मैं उस दौर की बात कर रहा हूं जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 12 जून, 1966 को रेडियो के जरिए मुझे मेरे भाई से जुदा करने का ऐलान कर दिया था. राष्ट्रपति के मुहर के बाद मुझे 1 नवंबर 1966 को पूरी तरह से विभाजित कर दिया गया. मैंने जो बनाया खुद से बनाया. मेरे भाई ने मेरा साथ ना दिया. मैं गिरा, संभला और फिर उठकर आगे बढ़ा शायद यही वजह है कि मैं आज पंजाब से कई मामलों में बहुत आगे हूं.

मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है जब मुझे मेडल की खान बुलाया जाता है. मुझे गर्व है कि देश का हर दसवां सैनिक मेरे आंचल से निकलता है. मैंने धीरे-धीरे अपनी खुद की पहचान बनाई. आज मुझे लोग औद्योगिक हब के रूप में जानते हैं. मैंने उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सड़कों का निर्माण कराया. उत्पादों को लेकर मैं विश्व मानचित्र पर चमक रहा हूं. गुरुग्राम, फरीदाबाद, पानीपत, बहादुरगढ़, अंबाला, करनाल, यमुनानगर ये मेरी शाखाएं हैं. जिन्हें उत्पादों का कार्यभार मैंने सौंपा है.

haryana foundation day 2022
गुरुग्राम में देश विदेश की बड़ी कंपनियों के ऑफिस हैं.

'आज मैं प्रगति के पथ पर अग्रसर हूं': मैंने अपनी पहचान बनाने के लिए ऊंचे भवन, हेल्थ इंस्टीट्यूट, शिक्षण संस्थान, हाईवे का निर्माण कराया. मुझे लोग आईटी हब से भी जानते हैं. खेलों में मैं तो किसी सिरमौर से कम नहीं हूं. यही कारण है कि विश्व में मेरा डंका बजता है. मैंने अपने युवाओं को खेल से जोड़ा और आज मेरे लाल देश-विदेश में परचम लहरा रहे हैं. सेना, खेल, राजनीति, अंतरिक्ष, व्यापार, शिक्षा, कृषि शोध के अलावा अनेक क्षेत्रों में मैंने कीर्तिमान स्थापित किया है. मैं बनावटी नहीं हूं. मेरा रहन-सहन, मेरा खान-पान और मेरी बोली मुझे सबसे जुदा करती है. वहीं मुझे आज भी इस बात की टीस है कि मुझे मेरी राजधानी के साथ ही हाई कोर्ट और विधानसभा नसीब नहीं हुई है. एसवाईएल के पानी का इंतजार मुझे आज भी है.

दशकों से खराब लिंगानुपात का कलंक: मैं दशकों से खराब लिंगानुपात का कलंक लिए जी रहा था. मुझे बहुत तकलीफ होती जब बोटियों को गर्भ में मार दिया जाता. लोगों हरियाणा का नाम सुनते ही बातें बनाने लगते थे कि वहां बेटियों को मारा जाता है, लेकिन अब वो कलंक भी मुझसे हट गया है. पहले के मुकाबले यहां लिंगानुपात काफी बेहतर हुआ है. जो बेहतर हो ही रहा है. आज मेरी पहचान मेरी बेटियों के नाम से भी होती है. जैसे रेसलर गीता फोगाट, बबीता फोगाट, विनेश फोगाट, क्रिकेटर शैफाली वर्मा, कलाकार सपना चौधरी, हॉकी प्लेयर रानी रामपाल और भी बहुत ऐसे नाम हैं जिन्होंने मेरे सिर से कलंक मिटाने का काम किया है.

haryana foundation day 2022
कुरुक्षेत्र की धरती पर श्री कृष्ण ने दिया था गीता का उपदेश

अब बात करते हैं मेरे राजनीतिक जीवन की. मैं राजनीति में भी पीछे नहीं हूं. आया-राम, गया-राम तो मिसाल के तौर पर मुझे याद किया जाता है. या यूं कहें दलबदल की राजनीति के लिए मेरी पूरे देश में एक अलग पहचान है. अभी मेरे ऊपर भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी मिलकर राज चला रहे हैं. मुख्यमंत्री मनोहर लाल हैं, जबकि उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला हैं. दोनों ही बेहतर तालमेल के साथ मुझे विकास के पथ पर आगे ले जा रहे हैं.

जब मुझे मेरे भाई पंजाब से अलग किया गया तो मैंने अपनी छोटी-छोटी धरोहरें बनाईं. जैसे 1 नवंबर, 1966 को मैंने रोहतक, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, हिसार, जींद, अंबाला और करनाल को बनाया. 22 दिसंबर, 1972 को सोनीपत, भिवानी को मैंने ही पहचान दिलाई. 23 जनवरी, 1973 को कुरुक्षेत्र बनाया. वहीं 26 अगस्त, 1975 सिरसा को मैंने एक मजबूत स्तंभ के रूप में खड़ा किया. 1 नवंबर, 1989 का वो दौर आया जब मैंने यमुनानगर, रेवाड़ी, पानीपत, कैथल की शाखाएं तैयारी की. इसके बाद 15 जुलाई, 1997 को झज्जर और फतेहाबाद, 15 अगस्त, 1995 को पंचकूला, 15 अगस्त, 1997 को फरीदाबाद को बनाया. ये सब मैं आपको इसलिए बता रहा हूं जिससे कि आप भी मेरी शाखाओं का जन्म जान सकें. मैं अगर अपनी शाखाओं के बारे में आगे बात करूं तो 4 अप्रैल, 2005 को नूंह अस्तित्व में आया. और इसके बाद 15 अगस्त, 2008 को पलवल और 1 दिसंबर, 2016 को चरखी दादरी को पहचान मैंने ही दिलाई.

haryana foundation day 2022
राजपथ पर निकाली जाती है हरियाणा की झांकी

जाट आरक्षण आंदोलन: एक दौर ऐसा भी आया जब जाट आरक्षण आंदोलन के नाम पर मेरे ही लोगों ने मुझे जला दिया. लाठी-डंडों से जमकर मुझपर प्रहार किया. सरेआम मुझे लूटा गया. मेरी बोटियों से दुर्व्यवाहर किया गया. मैं दर्द से कहराता रहा. चिखाता रहा, चिल्लाता रहा, लेकिन शायद सुनने वाला कोई नहीं था. ये वो दर्द है जब कोई भी इस बारे में बात करता है तो मैं सिहर उठता हूं. मुझे याद हो वो पंचकूला में हुई हिंसा. जो मेरे लिए काला इतिहास साबित हुई. कड़ी सुरक्षा के बीच भी लोगों ने मुझे खूब चोट पहुंचाई.

खैर ये सब अब बीते जमाने की बात हो गई है. मैं ये सब भूलकर आगे बढ़ रहा हूं. मेरे किसान इतने मेहनती हैं कि कोरोना काल के भयावह दौर में भी देश और मेरी राजस्व को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मेरे किसानों की बदौलत आज मैं दूध उत्पादन में सबसे आगे राज्यों में गिना जाता हूं. धान और गेहूं की क्वालिटी और कवांटिटी में भी मेरा कोई जवाब नहीं. मैं शुक्रगुजार हूं मेरे जावनों का, मेरे किसानों का, मेरे सभी वासियों का. जो मुझे अभी तक सहेजे हुए हैं. ये है मेरी कहानी. आज भी मैं निरंतर संघर्षरत हूं और एक नया मुकाम बनाने के लिए उत्सुक हूं.

Last Updated : Nov 1, 2022, 2:34 PM IST
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