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क्या हरियाणा में भी कोयले की कमी से पैदा होगा बिजली संकट, कब हो सकती है बत्ती गुल? सुनिए विभाग का जवाब - हरियाणा बिजली संकट

देश में कोयले की कमी (coal shortage) को लेकर चर्चाएं तेज हैं. ये भी कहा जा रहा है कि अब कई प्रदेशों में कुछ दिन के लिए कोयला बचा है. जिससे वहां पर ब्लैक आउट होने की संभावना बढ़ गई है. इस बारे में हरियाणा बिजली विभाग के एसीएस पीके दास ने हरियाणा की स्थिति के बार में जानकारी दी.

haryana coal shortage
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Published : Oct 11, 2021, 8:03 PM IST

चंडीगढ़: कोयले की कमी (coal shortage) के कारण देश में बिजली संकट (electricity crisis) गहराने का खतरा बढ़ता जा रहा है. हालात ये हैं कि 5 अक्टूबर तक कोयले से चलने वाले 135 पावर प्लांट में से 106 क्रिटिकल या सुपरक्रिटिकल स्टेज में थे. वहीं बिजली मंत्री आरके सिंह ने दावा किया है कि कोयले की घरेलू आपूर्ति पर्याप्त है. देश में पावर प्लांट के पास औसतन 4 दिन के लिए कोयले का स्टॉक है. केंद्र सरकार सुनिश्चित कर रही है कि जहां भी जरूरी है, कोयला पहुंचे.

कोयले की आपूर्ति पर जब हरियाणा बिजली विभाग के एसीएस पीके दास से बात की गई तो उन्होंने दावा किया कि हरियाणा में कोयले की कोई कमी नहीं है, और यहां पर बिजली उत्पादन पहले की तरह जारी है. लोगों को बिजली की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी. पीके दास ने बताया कि इन दिनों में हर साल कोयले की थोड़ी कमी देखी जाती है. मानसून की वजह से कोयले की कमी सितंबर महीने से ही देखी जा रही है. ऐसे में हमारे पास फिलहाल 4 से 5 दिन का कोयला स्टॉक किया जा रहा है.

क्या हरियाणा में भी कोयले की कमी से पैदा होगा बिजली संकट, कब हो सकती है बत्ती गुल? सुनिए विभाग का जवाब

ये भी पढ़ें- हरियाणा के थर्मलों में 22 दिन का कोयला पर्याप्त मात्रा में मौजूद, नहीं होगी समस्या- दुष्यंत चौटाला

ये स्थिति सितंबर महीने से ही बनी हुई है, लेकिन हरियाणा को लगातार कोयले की सप्लाई मिल रही है. जिससे प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में बिजली उत्पादन किया जा रहा है. कोयले की कमी की वजह से बिजली उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ा है. उन्होंने कहा कि मानसून के मौसम में कोयले की खदानों में पानी भर जाता है. जिससे खदानों से कोयला निकालना संभव नहीं हो पाता. ऐसे में कोयले की कुछ कमी होना लाजमी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसका असर बिजली उत्पादन पर पड़ेगा क्योंकि प्लांटस में पहले से ही कोयले का स्टॉक रखा जाता है.

प्रदेश में कोयले की कमी से किसी भी प्लांट को बंद नहीं किया गया है. हालांकि यमुनानगर के पावर प्लांट और हिसार के प्लांट की एक यूनिट को बंद रखा गया है, लेकिन वह भी तकनीकी खराबी की वजह से बंद है. इसके अलावा दो यूनिट पानीपत पावर प्लांट की बंद रखी गई है क्योंकि प्रदेश में जितनी बिजली आपूर्ति की आवश्यकता है, उतनी की जा रही है. इसलिए उससे ज्यादा बिजली उत्पादन करने का कोई फायदा नहीं.

ये भी पढ़ें- कोयले की कमी से बंद होने लगे थर्मल पावर स्टेशन, जानिए किन राज्यों में संकट गहराया

उन्होंने बताया कि इस समय हम प्रदेश में आवश्यकता के अनुसार 16 से 18 करोड़ यूनिट प्रतिदिन के हिसाब से बिजली आपूर्ति कर रहे हैं. जबकि जुलाई महीने में बिजली की ज्यादा जरूरत होती है. और उस वक्त हम प्रदेश में 26 करोड़ यूनिट प्रतिदिन तक की बिजली आपूर्ति कर रहे थे. अगर बिजली आपूर्ति को बढ़ाने की आवश्यकता होगी तो हम इसे बढ़ा सकते हैं. फिलहाल प्रदेश में न तो कोयले की कोई कमी है और न ही बिजली आपूर्ति की.

चंडीगढ़: कोयले की कमी (coal shortage) के कारण देश में बिजली संकट (electricity crisis) गहराने का खतरा बढ़ता जा रहा है. हालात ये हैं कि 5 अक्टूबर तक कोयले से चलने वाले 135 पावर प्लांट में से 106 क्रिटिकल या सुपरक्रिटिकल स्टेज में थे. वहीं बिजली मंत्री आरके सिंह ने दावा किया है कि कोयले की घरेलू आपूर्ति पर्याप्त है. देश में पावर प्लांट के पास औसतन 4 दिन के लिए कोयले का स्टॉक है. केंद्र सरकार सुनिश्चित कर रही है कि जहां भी जरूरी है, कोयला पहुंचे.

कोयले की आपूर्ति पर जब हरियाणा बिजली विभाग के एसीएस पीके दास से बात की गई तो उन्होंने दावा किया कि हरियाणा में कोयले की कोई कमी नहीं है, और यहां पर बिजली उत्पादन पहले की तरह जारी है. लोगों को बिजली की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी. पीके दास ने बताया कि इन दिनों में हर साल कोयले की थोड़ी कमी देखी जाती है. मानसून की वजह से कोयले की कमी सितंबर महीने से ही देखी जा रही है. ऐसे में हमारे पास फिलहाल 4 से 5 दिन का कोयला स्टॉक किया जा रहा है.

क्या हरियाणा में भी कोयले की कमी से पैदा होगा बिजली संकट, कब हो सकती है बत्ती गुल? सुनिए विभाग का जवाब

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ये स्थिति सितंबर महीने से ही बनी हुई है, लेकिन हरियाणा को लगातार कोयले की सप्लाई मिल रही है. जिससे प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में बिजली उत्पादन किया जा रहा है. कोयले की कमी की वजह से बिजली उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ा है. उन्होंने कहा कि मानसून के मौसम में कोयले की खदानों में पानी भर जाता है. जिससे खदानों से कोयला निकालना संभव नहीं हो पाता. ऐसे में कोयले की कुछ कमी होना लाजमी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसका असर बिजली उत्पादन पर पड़ेगा क्योंकि प्लांटस में पहले से ही कोयले का स्टॉक रखा जाता है.

प्रदेश में कोयले की कमी से किसी भी प्लांट को बंद नहीं किया गया है. हालांकि यमुनानगर के पावर प्लांट और हिसार के प्लांट की एक यूनिट को बंद रखा गया है, लेकिन वह भी तकनीकी खराबी की वजह से बंद है. इसके अलावा दो यूनिट पानीपत पावर प्लांट की बंद रखी गई है क्योंकि प्रदेश में जितनी बिजली आपूर्ति की आवश्यकता है, उतनी की जा रही है. इसलिए उससे ज्यादा बिजली उत्पादन करने का कोई फायदा नहीं.

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उन्होंने बताया कि इस समय हम प्रदेश में आवश्यकता के अनुसार 16 से 18 करोड़ यूनिट प्रतिदिन के हिसाब से बिजली आपूर्ति कर रहे हैं. जबकि जुलाई महीने में बिजली की ज्यादा जरूरत होती है. और उस वक्त हम प्रदेश में 26 करोड़ यूनिट प्रतिदिन तक की बिजली आपूर्ति कर रहे थे. अगर बिजली आपूर्ति को बढ़ाने की आवश्यकता होगी तो हम इसे बढ़ा सकते हैं. फिलहाल प्रदेश में न तो कोयले की कोई कमी है और न ही बिजली आपूर्ति की.

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